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दिल्ली के बदले गुजरात-हरियाणा-गोवा में हिस्सेदारी, पंजाब में 50-50... क्या AAP की शर्तों पर राजी होगी कांग्रेस?

विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. बातचीत के जरिए सीट बंटवारा फाइनल किया जा रहा है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने मतभेदों को एक तरफ रखते हुए सोमवार को बंद कमरे में पंजाब और दिल्ली में सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर चर्चा की. सूत्रों ने बताया कि AAP ने गुजरात और गोवा में एक-एक और हरियाणा में तीन लोकसभा सीटें देने की मांग रखी है.

नई दिल्ली में सोमवार को INDIA अलायंस में शामिल कांग्रेस और AAP के बीच सीट बंटवारे पर चर्चा हुई. नई दिल्ली में सोमवार को INDIA अलायंस में शामिल कांग्रेस और AAP के बीच सीट बंटवारे पर चर्चा हुई.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:35 PM IST

विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक में सीट शेयरिंग पर फॉर्मूला निकालने की कवायद शुरू हो गई है. सोमवार को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता एक साथ बैठे और दिल्ली-पंजाब में सीट बंटवारे पर चर्चा की. इस दौरान दोनों ही पार्टियों ने अपने विधायक-सांसदों की संख्या के मुताबिक हिस्सेदारी देने का प्रस्ताव रखा. इस बीच, AAP ने गुजरात, हरियाणा और गोवा में भी दावेदारी कर दी और कांग्रेस से इन तीनों राज्यों में सीटें छोड़ने की मांग रखी. फिलहाल, इस बातचीत में अभी कोई फॉर्मूला नहीं निकला है, लेकिन दूसरे दौर की बैठक करने पर सहमति जताई गई है. यानी दोनों दलों के नेता एक फिर बातचीत की टेबल पर बैठेंगे और पांचों राज्यों का फॉर्मूला फाइनल करेंगे.

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इस बैठक में कांग्रेस की नेशनल अलायंस कमेटी के प्रमुख मुकुल वासनिक, अशोक गहलोत समेत नेताओं के साथ-साथ सीट बंटवारे कमेटी के सदस्य भी शामिल हुए. AAP का प्रतिनिधित्व राज्यसभा सांसद संदीप पाठक और दिल्ली कैबिनेट मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने किया. हालांकि बैठक में मौजूद नेताओं ने मीडिया के साथ कोई विवरण साझा नहीं किया, लेकिन सूत्रों ने बताया कि AAP ने दिल्ली में कांग्रेस को तीन लोकसभा सीटें देने का प्रस्ताव दिया है.

दिल्ली में कुल सात लोकसभा सीटें हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सातों सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी ने 2019 में 56 फीसदी वोट हासिल किए थे. कांग्रेस को 22 फीसदी और AAP को 18 फीसदी वोट मिले थे. सातों लोकसभा सीटों में से किसी में भी कांग्रेस और AAP उम्मीदवारों का संयुक्त वोट शेयर बीजेपी उम्मीदवारों से ज्यादा नहीं था.

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'दिल्ली में AAP 4, पंजाब में 7 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में'

इसी तरह पंजाब में AAP ने कांग्रेस को 6 सीटों का ऑफर दिया है. पंजाब में कुल 13 सीटें हैं. यानी पंजाब और दिल्ली में AAP 50-50 फॉर्मूले पर तैयार है. लेकिन खुद बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहती है. सूत्रों ने यह भी बताया कि AAP ने कांग्रेस से गुजरात में एक, हरियाणा में तीन और गोवा में एक सीट दिए जाने का प्रस्ताव रखा है. गुजरात में कुल 26 सीटें हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. दो दिन पहले ही AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुजरात की भरूच लोकसभा सीट से चैतर वसावा की उम्मीदवारी का ऐलान किया है. वसावा इस समय जेल में बंद हैं.

'AAP ने हरियाणा में 3 और गोवा में एक सीट मांगी'

वहीं, हरियाणा में कुल 10 सीटें हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने यहां भी सभी सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, गोवा में लोकसभा की कुल दो सीटें हैं. 2019 में एक पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस ने चुनाव जीता था. फिलहाल, सीटों को अंतिम रूप देने के लिए इंडिया ब्लॉक की दोनों पार्टियां एक बार फिर बातचीत करेंगी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस हाईकमान इस फॉर्मूले पर सहमत होगा? 

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'कांग्रेस फिर से मंथन करने पर मजबूर'

चूंकि, अब तक गुजरात, हरियाणा, गोवा, पंजाब और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ती आई है. इन पांचों राज्यों में कांग्रेस ने पिछले चुनावों में अकेले चुनाव लड़ा. हालांकि, इस बार इंडिया अलायंस में AAP के शामिल होने के बाद माना जा रहा था कि दोनों पार्टियों में दिल्ली और पंजाब में सीट बंटवारे पर बात होगी. लेकिन, AAP ने कांग्रेस के प्रभाव वाले हरियाणा, गुजरात और गोवा में भी अपनी दावेदारी कर शीर्ष नेतृत्व को फिर से मंथन करने पर मजबूर कर दिया है.

'AAP की मजबूती और कांग्रेस को नुकसान?'

दरअसल, पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है. दोनों राज्यों के विधानसभा चुनावों में AAP ने जबरदस्त जीत हासिल की. AAP ने दिल्ली के बाद पंजाब में भी कांग्रेस से ही सरकार छीनी है. 2022 के विधानसभा चुनाव में गुजरात में पांच और गोवा में दो सीटें जीतीं. कांग्रेस के वोट बैंक में भी सेंध लगाई. AAP के मैदान में आने से कांग्रेस को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ा है. 

'MP, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में दावेदारी क्यों नहीं?'

हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी AAP चुनावी मैदान में उतरी थी. हालांकि, इन राज्यों में AAP कोई सीट नहीं जीत सकी है. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव में AAP यहां दावेदारी नहीं कर रही है. लेकिन हरियाणा में AAP विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है और पंजाब से सटा राज्य होने के चलते लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर दावेदारी कर दी है.

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'उदारता दिखा सकती है कांग्रेस'

राजनीतिक जानकार कहते हैं कि दिल्ली-पंजाब में AAP ने जो फॉर्मूला दिया है, वो कांग्रेस के लिए मुफीद साबित हो सकता है. लेकिन हरियाणा, गुजरात और गोवा में सीटें मांगने से टेंशन बढ़ सकती है. हालांकि, यह वक्त कांग्रेस को उदारता दिखाने का है. खासकर गुजरात, हरियाणा और गोवा जैसे राज्यों में.

'हरियाणा को लेकर फंस सकता है पेंच'

कांग्रेस के लिए चिंता की बात यह है कि हरियाणा में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं. वहां कांग्रेस का अपना प्रभाव है और पार्टी चुनावी तैयारियों में जुटी है. स्थानीय नेतृत्व का कहना है कि AAP का हरियाणा में संगठन मजबूत नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव में AAP तीन सीटों पर लड़ी थी और हार मिली थी. AAP को हरियाणा में 1.2% वोट शेयर मिला था. 2019 के विधानसभा चुनाव में AAP 46 सीटों पर लड़ी थी और सिर्फ 0.5% वोट मिले थे. ऐसे में तीन सीटें देना उचित नहीं रहेगा. यही सुर गुजरात और गोवा को लेकर उठ रहे हैं. स्थानीय नेतृत्व किसी कीमत पर मुंह मांगी सीटें देने को तैयार नहीं है. AAP ने हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता को पूरी तरह चुनावी मोड में रखा है. इस बार राज्यसभा में रिपीट नहीं किया है.

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'AAP का फीडबैक लेकर निर्णय करेगी कांग्रेस'

फिलहाल, कांग्रेस हाईकमान ने एक बार फिर मंथन शुरू कर दिया है. गुजरात, हरियाणा और गोवा को लेकर मंथन को दौर चलने लगा है. जल्द ही पांचों राज्यों के लिए सीट बंटवारे पर सहमति बनाई जाएगी. इसके लिए अलग-अलग राज्यों के नेताओं से भी चर्चा की जाएगी और वहां AAP के प्रभाव को लेकर फीडबैक लिया जाएगा.

'अलायंस का दिल्ली में दफ्तर होने का सुझाव'

सोमवार की बैठक में दिल्ली में एक दफ्तर बनाने का भी सुझाव आया है, जहां इंडिया गुट के सभी नेता बैठक कर विचार-विमर्श कर सकें. बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुकुल वासनिक ने कहा, कांग्रेस और AAP मिलकर चुनाव लड़ेगी और बीजेपी को हराएगी. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बैठक में क्या चर्चाएं हुईं, यह खुलासा करना उचित नहीं है. कुछ समय इंतजार करना होगा. कांग्रेस और AAP इंडिया अलायंस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

'पंजाब में स्थानीय नेतृत्व अलायंस के पक्ष में नहीं'

दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी सत्ता में है. दोनों राज्यों में कांग्रेस इकाइयां AAP के साथ किसी भी तरह के समझौते के विरोध में हैं. शीर्ष कांग्रेस नेता इस बात पर जोर देते रहे हैं कि सभी स्तरों पर पार्टी के सदस्य AAP के साथ हाथ मिलाने को तैयार नहीं हैं. विचार-विमर्श पर AAP नेता चुप्पी साधे रहे. सूत्रों ने बताया कि दोनों पार्टियों ने उन सीटों पर भी चर्चा की, जिन पर वे दिल्ली में चुनाव लड़ना चाहते हैं.

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दिल्ली में AAP-कांग्रेस की नजरें अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर...

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस और AAP में सीट बंटवारे के साथ संसदीय क्षेत्र भी फाइनल किए जाएंगे. दोनों पार्टियों की नजर ना सिर्फ जीत के पैमाने पर है, बल्कि जिन सीटों पर अल्पसंख्यकों का दबदबा है, वहां भी दोनों ही पार्टियां चुनाव लड़ने के मूड में है. यानी पार्टियों को लगता है कि वहां जीत के चांस ज्यादा हैं और अल्पसंख्यकों को अपने पाले में करने का मौका भी बेहतर रहेगा. 

'दिल्ली की दो सीटों पर दोनों पार्टियों की नजर'

दिल्ली में सात लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से कुछ सीटें अल्पसंख्यक बहुल हैं- जैसे चांदनी चौक और उत्तरपूर्वी दिल्ली. इन संसदीय सीटों पर AAP और कांग्रेस दोनों की नजर है. वहीं, पश्चिमी दिल्ली सीट सिख बहुल है. इसलिए AAP भी यही सीट मांग रही है. AAP का तर्क है कि सिख विरोधी दंगों के कारण वहां कांग्रेस को लेकर नकारात्मक भावना है. दिल्ली में AAP चार लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. उसने कांग्रेस को नई दिल्ली, चांदनी चौक और उत्तर पूर्व  क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है. दोनों दल 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भी सीट बंटवारे पर चर्चा में शामिल थे, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई थी. 

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