
राजधानी दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों के लिए 25 मई को छठे चरण में वोटिंग होगी. एक तरफ दूसरे दल कैम्पेन में जुटे हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अंदरूनी कलह से जूझ रही है. दिल्ली में कांग्रेस के लिए परेशानी बढ़ाते हुए शीला दीक्षित की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजकुमार चौहान ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. चौहान ने कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी दीपक बाबरिया पर सार्वजनिक रूप से उनका अपमान करने का आरोप लगाया. दरअसल, दिल्ली कांग्रेस में कन्हैया कुमार और उदित राज की उम्मीदवारी का जबरदस्त विरोध हो रहा है.
दिल्ली के कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने इस सिलसिले में पिछले दिनों अपने घर पर कांग्रेस के पूर्व मंत्रियों और विधायकों की बैठक बुलाई थी. लेकिन इस बैठक में विवाद सुलझने की बजाय और उलझ गया. इस बैठक में उदित राज और कन्हैया कुमार की दिल्ली कांग्रेस के पूर्व विधायकों के बीच जमकर कहासुनी हुई. यहां तक कि बात अपशब्दों तक पहुंच गई. राजकुमार चौहान ने एक वीडियो जारी करके दीपक बाबरिया पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने घर पर बुलाई गई बैठक में उनकी बात नहीं सुनी और उन्हें बाहर जाने के लिए कहा.
राजकुमार चौहान ने कहा कि बार-बार उन्हें बेइज्जत किया गया, जिसके कारण आज उन्होंने दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली को अपना इस्तीफा सौप दिया. चौहान ने कहा, 'कांग्रेस ने उत्तर पश्चिम दिल्ली से उदित राज को टिकट दिया है, लेकिन वह ऐसा प्रत्याशी है जिस पर पैसों के लेनदेन का आरोप लगा है. उस पर ब्राह्मणों को अपशब्द कहने का आरोप है. ऐसे किसी व्यक्ति को कांग्रेस कैसे अपना उम्मीदवार बना सकती है?' अरविंदर सिंह लवली ने अभी राजकुमार चौहान का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है.
चार बार के पूर्व विधायक और तीन बार दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके राजकुमार चौहान ने कहा कि किसी अन्य पार्टी में जाने की उनकी कोई योजना नहीं है. उत्तर पश्चिम दिल्ली के उम्मीदवार उदित राज के खिलाफ कथित तौर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक वर्ग को लामबंद करने के लिए चौहान पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की तलवार लटक रही थी. मई 2019 में, राकुमार चौहान ने लोकसभा टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस छोड़ दी थी, और भाजपा में शामिल हो गए थे. 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे.