Advertisement

पहले नीतीश से तल्खी, फिर गिरफ्तारी, अब दरियादिली... अनंत सिंह के जेल से बाहर आने से कितना बदलेगा मुंगेर का समीकरण?

बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह के जेल से बाहर निकलने के बाद बिहार की सियासत गरम है. अनंत पटना के बेऊर जेल में सजा काट रहे हैं और पैरोल पर बाहर निकले हैं. मुंगेर लोकसभा सीट पर चुनाव के पहले अनंत का जेल से बाहर निकलना अहम माना जा रहा है. अनंत की पहले नीतीश से तल्खी, फिर घर से खतरनाक हथियार बरामद होने के मामले में गिरफ्तारी और अब दरियादिली की चर्चा हो रही है.

बिहार के बाहुबली अनंत सिंह के जेल से बाहर आने के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि मुंगेर का सियासी समीकरण कितना बदलेगा? बिहार के बाहुबली अनंत सिंह के जेल से बाहर आने के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि मुंगेर का सियासी समीकरण कितना बदलेगा?
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2024,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST

गैंगस्टर से नेता बने अनंत कुमार सिंह रविवार को 15 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आ गए हैं. अनंत को कुछ साल पहले ही गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक मामले में पटना की अदालत ने 10 साल जेल की सजा सुनाई थी. वह पटना के बेउर जेल से बाहर आए और एंबुलेंस से करीब 100 किलोमीटर दूर मोकामा स्थित अपने पैतृक घर पहुंचे. अनंत मोकामा से लगातार चौथी बार विधायक बने थे, लेकिन दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें अयोग्य ठहराया गया था. हालांकि, बाद में उनकी पत्नी नीलम देवी ने उपचुनाव में जीत हासिल कर यह सीट बरकरार रखी थी. 

Advertisement

हाल ही में अनंत की विधायक पत्नी नीलम देवी राजद छोड़कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू में शामिल हो गई हैं. अनंत का अपने गृह क्षेत्र में इतना रसूख है कि लोग उन्हें 'छोटे सरकार' कहते हैं. जेल से बाहर आने के बाद अनंत ने अपने इरादे भी जाहिर कर दिए हैं. उन्होंने मुंगेर लोकसभा सीट पर जदयू के पूर्व अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह 'ललन' की 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत होने का दावा किया है. अनंत सिंह की रिहाई को लेकर सियासत भी गरमा गई है. अनंत के बारे में कहा जाता है कि उनका प्रभाव मोकामा से बाहर तक फैला है. इतना ही नहीं, अनंत की पैरोल को मुंगेर में ऊंची जाति के भूमिहारों को एनडीए के पक्ष में एकजुट करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

Advertisement

मुंगेर में अनंत का अच्छा खासा प्रभाव

मुंगेर लोकसभा सीट से सीएम नीतीश कुमार के प्रमुख सहयोगी ललन एक बार फिर मैदान में हैं. उन्हें इंडिया ब्लॉक की उम्मीदवार अनीता देवी कड़ी टक्कर दे रही हैं. राजद प्रमुख लालू यादव ने गैंगस्टर रहे अशोक महतो की पत्नी अनीता को चुनावी मैदान में उतारा है. अशोक को समाज और राजनीति में ऊंची जाति के प्रभुत्व का कट्टर आलोचक माना जाता है. महतो पिछले दिनों ही जेल से बाहर आए थे और अब ललन सिंह पैरोल पर जेल से बाहर आए हैं. जानकार मानते हैं कि ललन सिंह को अनंत सिंह से बड़ी उम्मीदें भी होंगी. अनंत सिंह ना सिर्फ मोकामा, बल्कि पूरे मुंगेर लोकसभा सीट पर अपना प्रभाव दिखा सकते हैं और इसका फायदा सीधे-सीधे ललन सिंह को मिल सकता है. मुंगेर लोकसभा सीट पर 13 मई को वोटिंग होगी.

यह भी पढ़ें: बिहार: चुनाव के बीच जमीन बंटवारे के लिए अनंत सिंह को मिल गई 15 दिनों की पैरोल!

जेल से बाहर आकर क्या बोले अनंत सिंह?

जेल से बाहर निकलते ही अनंत सिंह ने नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की. इसके साथ ही बिहार से शराबबंदी हटाने की मांग उठा दी. अनंत ने कहा, शराबबंदी की वजह से बच्चे स्मैक का नशा करने लगे हैं. हम मांग करते हैं कि शराब की जगह-जगह दुकानें खुलना चाहिए. नीतीश कुमार सबसे बढ़िया नेता हैं. नीतिश कुमार बिहार को बनाए हैं. उससे पहले लालू के राज में क्या था? बच्चे स्कूल जाते थे और किडनैप हो जाते थे. तेजस्वी यादव को लेकर अनंत ने कहा, ये सभी एक-दो सीटें मुश्किल से जीतेंगे. उससे ज्यादा नहीं जीतेंगे. पूरा बिहार मोदी लहर में है. इन लोगों ने 20 साल में कुछ नहीं किया. ललन सिंह 5 लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीतेंगे. अनंत ने अशोक महतो को पहचानने से ही इनकार कर दिया. उन्होंने किसी को नहीं जानता. हम घर के काम से बाहर निकले हैं.

Advertisement

2019 में ललन से चुनाव हार गई थीं अनंत की पत्नी

दिलचस्प बात यह है कि 2019 में नीलम देवी ने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था. उनका मुकाबला जेडीयू के ललन सिंह से था. हालांकि, नीलम देवी चुनाव हार गई थीं और ललन सिंह मुंगेर से सांसद चुने गए थे. लोकसभा चुनाव के सालभर बाद ही 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए तो अनंत ने जेल में रहते हुए राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी.

यह भी पढ़ें: 'छोटे सरकार' के भरोसे लोकसभा पहुंचेंगे ललन सिंह? वोटिंग से पहले पैरोल पर बाहर आ सकते हैं अनंत सिंह

कभी नीतीश के बेहद करीबी रहे अनंत सिंह

कभी नीतीश कुमार के बेहद खास रहे अनंत सिंह बाद में राजनीतिक कारणों से सीएम से दूर होते चले गए. एक बार उन्होंने नीतीश कुमार का चांदी के सिक्कों से तौल कर सम्मान किया था. 2015 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अनंत सिंह बागी हो गए थे. उन्होंने मोकामा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जेल में रहते हुए जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार को हरा दिया था. एक समय अनंत की तल्खी भरी टिप्पणियां खूब सुर्खियों में रहीं थीं. अनंत और नीतीश के बीच रिश्ते भी उतार-चढ़ाव भरे वाले देखने को मिलते रहे हैं. नीतीश कुमार और अनंत सिंह के बीच साल 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान नजदीकियां बढ़ी थीं. उस समय नीतीश बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे. इतना ही नहीं, अनंत और ललन सिंह की सियासी अदावत भी चर्चा में रही है. यह भी उतना ही रोचक है कि एक समय ललन सिंह ही अनंत को राजनीति में लेकर आए थे. 

Advertisement

राजद से भी चुनाव लड़े और अब एनडीए में वापसी

बाद में अनंत सिंह राजद प्रमुख लालू यादव के करीबी हो गए. लेकिन, बीते साल ही अनंत की पत्नी नीलम देवी महागठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर चर्चा में आ गई थीं. उन्होंने बेऊर जेल में बंद अपने पति अनंत सिंह की हत्या की साजिश किए जाने का आरोप लगाया था. अनंत सिंह ने आरोप लगाया था कि बेऊर जेल में पूरी रात उनकी बैरक का दरवाजा खुला हुआ था और वहां कोई जेल प्रहरी भी नहीं था. इस घटना को लेकर नीलम सिंह ने अपनी ही सरकार और तेजस्वी यादव पर सवाल खड़े किए थे. नीलम देवी ने तेजस्वी यादव से सवाल पूछा था कि क्या यही दिन देखने के लिए उन्हें मोकामा की जनता ने चुनाव जिताकर विधानसभा भेजा था. समय के साथ नीलम की राजद से दूरी बढ़ी और अब एक बार फिर अनंत सिंह एनडीए के पाले में हैं. जानकारों का दावा है कि अनंत सिंह भले ही खुले तौर पर चुनाव प्रचार ना करें, तब भी वे अपने स्तर से जेडीयू के लोकसभा उम्मीदवार और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को फायदा पहुंचा सकते हैं.

यह भी पढ़ें: क्या है 'छोटे सरकार' अनंत सिंह का रुतबा? हर चुनाव में उनके पक्ष में हो जाते हैं समीकरण

Advertisement

अनंत की पत्नी की राजद से जदयू में एंट्री

अगस्त 2019 में अनंत के मोकामा स्थित आवास से ग्रेनेड, रॉकेट लॉन्चर, एके 47 राइफल बरामद की गई थी. पुलिस ने यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज की थी. इस घटना के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गईं. पुलिस ने अनंत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. उस समय अनंत सिंह और उनके समर्थकों ने ललन को साजिश के लिए जिम्मेदार ठहराया था. साल 2022 में कोर्ट ने दोषी करार दिया था. इससे पहले साल 2015 में अनंत सिंह के पटना स्थित सरकारी आवास से इंसास राइफल की मैगजीन और विदेशी बुलेटप्रूफ जैकेट बरामद की थी. कुछ महीने पहले जब नीतीश कुमार ने राजद के साथ गठबंधन को तोड़ा और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में लौट आए तो नीलम देवी ने भी पाला बदल लिया था और सदन में वोटिंग के दौरान नीतीश सरकार का साथ दिया था.

जब ललन ने उपचुनाव में अनंत की पत्नी के लिए जुटाया था समर्थन

अनंत सिंह को यूएपीए केस में सजा हुई तो उनकी विधायकी चली गई थी. उसके बाद साल 2022 में जब मोकामा सीट पर विधानसभा उपचुनाव हुए तो नीलम देवी आरजेडी उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरीं. उस समय नीतीश और लालू एक साथ थे. नतीजा यह हुआ कि ललन सिंह ने मोकामा विधानसभा उपचुनाव के दौरान अनंत सिंह की पत्नी के लिए वोट मांगे थे.

Advertisement

कुछ एहसानों का बदला चुकाना होगा

फिलहाल, अनंत सिंह की जेल से रिहाई को लेकर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधा. तिवारी ने कहा, यहां एक ऐसी सरकार है जो खुद पैरोल पर है. एक व्यक्ति की रिहाई के बारे में क्या कहा जाए. सभी जानते हैं कि बिहार में यह सरकार कैसे बनी थी. कुछ एहसानों का बदला भी चुकाना होगा.

अनंत को क्यों मिली पैरोल?

जानकारी के मुताबिक, अनंत सिंह को 15 दिन की पैरोल मिली है. उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन जायदाद के बंटवारे के लिए पैरोल मांगी थी. पहले इलाज के लिए पैरोल मिलने की चर्चा थी. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement