
असम की जोरहाट सीट पर सूबे की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी कांग्रेस के बीच रोचक लड़ाई है. इस सीट से दोनों ही पार्टियों ने गोगोई उम्मीदवार पर दांव लगाया है. कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बेटे और गौरव गोगोई को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं बीजेपी ने इस सीट पर सीटिंग सांसद तपन गोगोई को टिकट दिया है. दोनों ही प्रभावशाली अहोम समुदाय से आते हैं और इस इलाके में अच्छा होल्ड रखते हैं. बीजेपी को केंद्र, प्रदेश सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों के सहारे इस सीट से जीत की हैट्रिक का भरोसा है तो कांग्रेस को गौरव गोगोई के चेहरे पर अपना खोया गढ़ वापस छिन लेने की उम्मीद.
दोनों उम्मीदवार कर रहे जीत का दावा
जोरहाट की चुनावी जंग को गौरव गोगोई ने कांग्रेस के दो धड़ों की लड़ाई बताया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता, वास्तविक असम गण परिषद के नेता और जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया है और बीजेपी की ताकत कांग्रेस के पूर्व सदस्य ही है. गौरव गोगोई ने कहा कि यहां लड़ाई कांग्रेस ए जो पार्टी की विचारधारा में यकीन कर असम के लोगों की सेवा करती है और कांग्रेस बी जो निजी हितों और बीजेपी की चिंता करती है, उसके बीच है.
तपन गोगोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा की सरकारों के विकास को लेकर प्रयास गिना रहे हैं, अपने काम बता रहे हैं. उन्होंने फ्री राशन, लखपति दीदी जैसी योजनाओं के लाभार्थियों के वोट का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि मेरे प्रचार के दौरान अधिकतर महिलाएं आईं. दुर्भाग्य से कुछ ऐसी महिलाएं भी मिलीं जिन्हें ओरुनोदोई और आवास योजना के लाभ नहीं मिले हैं, लेकिन उन्हें भविष्य में इन योजनाओं का लाभ मिलने की उम्मीद है.
जोरहाट में मुद्दे क्या
जोरहाट में स्वास्थ्य और शिक्षा मुख्य मुद्दे हैं. चुनाव प्रचार के दौरान कनेक्टिविटी का मुद्दा भी छाया रहा. जोरहाट और इसके आसपास के जिलों की पहचान व्यापारिक, आध्यात्मिक केंद्र के साथ पर्यटन को लेकर भी है. दोनों ही दलों ने इस सीट पर चुनाव प्रचार के लिए स्टार प्रचारकों की फौज उतार दी.
कांग्रेस की ओर से पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने गौरव गोगोई के समर्थन में चुनावी जनसभा को संबोधित किया. गौरव ने भी बड़ी रैलियों की जगह छोटी-छोटी सभाओं पर जोर दिया, डोर-टू-डोर कैंपेन किया. वहीं. बीजेपी की ओर से हिमंता बिस्व शर्मा ने प्रचार की बागडोर संभाली. हिमंता कैबिनेट के कई मंत्रियों ने जोरहाट में कैंप कर बीजेपी उम्मीदवार के प्रचार की बागडोर संभाली.
यह भी पढ़ें: देश के सबसे ज्यादा वोटर्स वाला परिवार... 350 वोटर हैं असम के इस परिवार में, 1200 है कुल आबादी
जोरहाट सीट के समीकरण
जोरहाट लोकसभा सीट के तहत 10 विधानसभा सीटें हैं. इस क्षेत्र में अहोम और चाय बागान में काम करने वाली आबादी प्रभावशाली है. जोरहाट लोकसभा क्षेत्र में अहोम मतदाताओं की तादाद 5.5 लाख और चाय बागानों में काम करने वाले मतदाताओं की तादाद करीब 3.1 लाख है. यह दोनों ही मतदाता वर्ग चुनाव नतीजे तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं. इस क्षेत्र में कोच, कलिता और ब्राह्मण मतदाताओं की तादाद भी करीब डेढ़ लाख है. हिंदू बंगाली और मुस्लिम मतदाताओं की तादाद भी करीब 1 लाख 5 हजार और डेढ़ लाख है.
जोरहाट सीट का इतिहास
जोरहाट सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो यह सीट 1991 से 2009 के चुनाव तक कांग्रेस का गढ़ रही. कांग्रेस के टिकट पर विजयकृष्ण हांडिक इस सीट से लगातार संसद पहुंचते रहे लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2014 में बीजेपी के कामाख्या प्रसाद तासा ने हांडिक को एक लाख वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था. 2019 में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदल दिया लेकिन फिर हार मिली. 2019 में बीजेपी के तपन कुमार गोगोई ने कांग्रेस उम्मीदवार को 82 हजार से अधिक वोट से हरा दिया था.
यह भी पढ़ें: 'ईद के लिए जैसी भक्ति दिखाई, काश राम मंदिर...', CM हिमंत बिस्वा सरमा का गौरव गोगोई पर कटाक्ष
खोया गढ़ छिन पाएंगे गौरव?
गौरव गोगोई कालियाबोर सीट से दो बार के सांसद हैं. जोरहाट से वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन इस इलाके के लोगों के लिए वह अनजाना या नया नाम भी नहीं हैं. गौरव के पिता तरुण गोगोई का इलाके में अच्छा होल्ड था. तरुण गोगोई राज्य की राजनीति में एक्टिव होने से पहले दो बार इस सीट से सांसद रहे थे. तरुण जिस तिताबार विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते थे, वह सीट भी जोरहाट लोकसभा क्षेत्र में ही आती है. कांग्रेस को उम्मीद है कि तरुण के साथ प्रभावशाली अहोम समाज के भावनात्मक रिश्ते का लाभ गौरव को मिल सकता है. जोरहाट के बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं में राणा गोस्वामी के पार्टी में शामिल होने को लेकर नाराजगी की बातें भी कही जा रही हैं.
(जोरहाट से आफरीदा हुसैन की रिपोर्ट)