
लोकसभा चुनाव से पहले कई क्षेत्रों में क्षत्रीय समाज की नाराजगी खुलकर सामने आई. इस कड़ी में क्षत्रिय समुदाय के कुछ सदस्यों ने शुक्रवार को कहा कि वह राजकोट लोकसभा सीट से परषोत्तम रूपाला की उम्मीदवारी रद्द नहीं करने पर भाजपा के खिलाफ नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे. दरअसल, हाल ही में एक चुनावी रैली में कई राजपूत शासकों द्वारा ब्रिटिश और अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के साथ सहयोग करने और उनके साथ "रोटी और बेटी" (व्यापार और विवाह) संबंध रखने वाले रूपाला के बयान से विवाद बना हुआ है.
पिछले कुछ हफ्तों से हो रहे विरोध प्रदर्शन के बावजूद रूपाला ने 16 अप्रैल को इस सीट से अपना नामांकन दाखिल किया. राजपूत समन्वय समिति के प्रवक्ता करणसिंह चावड़ा ने कहा, "चूंकि भाजपा ने उन्हें बदलने से इनकार कर दिया, इसलिए गुजरात की सभी 26 सीटों पर पार्टी की हार सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष राजपूत नेताओं की एक बैठक हुई."
पीटीआई के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों में भाजपा पदाधिकारियों को चुनाव प्रचार करने से रोकना, राज्य भर में महिलाओं का क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठना और समर्थन के लिए अन्य समुदायों के साथ बातचीत करना शामिल होगा.
समुदाय ने भाजपा से शुक्रवार तक रूपाला को बदलने के लिए कहा था, जो नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख थी. गुजरात की सभी 26 सीटों पर 7 मई को मतदान होगा. हालांकि रूपाला ने अपने बयान के लिए माफ़ी मांगी थी, लेकिन इससे क्षत्रिय समुदाय का गुस्सा शांत नहीं हुआ. उनकी मांग थी कि रूपाला की जगह किसी और को उम्मीदवार बनाया जाए.
बैठक के बाद चावड़ा ने कहा, "भाजपा ने 24 करोड़ राजपूतों को हल्के में लिया है. अगर भाजपा राजपूतों को नहीं चाहती है, तो हमें भी उनकी जरूरत नहीं है. हम केवल रूपाला को ही नहीं, बल्कि गुजरात में सभी भाजपा उम्मीदवारों को हराने की कोशिश करेंगे. वोट हमारा हथियार है. शनिवार से, राजपूत महिलाएं पूरे गुजरात में भूख हड़ताल पर बैठेंगी और 7 मई को मतदान के दिन तक आंदोलन जारी रखेंगी, जबकि भाजपा के खिलाफ पांच क्षेत्रों में "धर्म-रथ" निकाले जाएंगे.
उन्होंने कहा, "हम लोगों से बातचीत करेंगे. हमें विश्वास है कि हम पाटन, बनासकांठा, भरूच, साबरकांठा, सुरेंद्रनगर, राजकोट, भावनगर और जामनगर सीटों पर भाजपा को भारी नुकसान पहुंचाएंगे. चूंकि अहमदाबाद पुलिस ने हाल ही में चुनावी रैलियों के दौरान और उम्मीदवारों के विरोध में काले झंडे दिखाने पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना जारी की है, इसलिए युवा और महिलाएं नारंगी झंडे दिखाएंगे. समुदाय इस अधिसूचना के खिलाफ एक जनहित याचिका भी दायर करेगा क्योंकि यह लोगों की स्वतंत्रता को कम करता है.
उन्होंने दावा किया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस जिन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज करेगी, उनकी मदद के लिए जिलेवार कानूनी टीमें भी बनाई जाएंगी. चावड़ा ने दावा किया, "सत्तारूढ़ पार्टी की हार सुनिश्चित करने के लिए हम भाजपा के खिलाफ सबसे मजबूत उम्मीदवार का समर्थन करेंगे."