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बीजेपी और शिवसेना के बीच फंसे NCP उम्मीदवार! सीटों के लिए अजित पवार को क्यों करना पड़ रहा इंतजार?

एक-एक सीट के लिए अजित पवार गुट को तनावपूर्ण बातचीत का सामना करना पड़ रहा है. अजित पवार गुट ने कम से कम 7 से 8 सीटें लड़ने की इच्छा जाहीर की थी, जिनमे भंडारा गोंदिया और गडचिरोली सीट भी शामिल हैं. लेकीन वहां पर बीजेपी ने अपने सिटिंग सासंदों को ही मैदान मे उतारा है और आज जिस नाशिक और धाराशीव लोकसभा चुनाव क्षेत्र से उम्मीदवारों की घोषणा होना तय था, वह भी टल गया है.

देवेंद्र फडणीवस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार (फाइल फोटो) देवेंद्र फडणीवस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार (फाइल फोटो)
अभिजीत करंडे
  • मुंबई,
  • 01 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 5:40 PM IST

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी (अजित पवार) को सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. कारण, नासिक और धाराशीव की लोकसभा सीट को लेकर शिवसेना औऱ राष्ट्रवादी के बीच तनाव की स्थिती दिख रही है. सोमवार दोपहर को प्रेस कांफ्रेस कर एनसीपी (अजित पवार) के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे नासिक और धाराशीव की सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा करने वाले थे, लेकीन अचानक से इसे रद्द कर दिया गया. इसका कारण शिवसेना की तरफ से बढ़ता हुआ दबाव बताया जा रहा है.

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एनसीपी (अजित पवार) ने अब तक तीन जगहों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए है, जिनमे बारामती से अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार, शिरुर से शिवाजीराव आढलराव पाटील और रायगड से सुनील तटकरे का नाम घोषित हो चुका है. अब एक-एक सीट के लिए अजित पवार गुट को तनावपूर्ण बातचीत का सामना करना पड़ रहा है. अजित पवार गुट ने कम से कम 7 से 8 सीटें लड़ने की इच्छा जाहीर की थी, जिनमे भंडारा गोंदिया और गडचिरोली सीट भी शामिल हैं. लेकीन वहां पर बीजेपी ने अपने सिटिंग सासंदों को ही मैदान मे उतारा है और आज जिस नाशिक और धाराशीव लोकसभा चुनाव क्षेत्र से उम्मीदवारों की घोषणा होना तय था, वह भी टल गया है. 

क्या है नासिक लोकसभा का मामला?

नासिक लोकसभा चुनावक्षेत्र से मौजूदा सांसद हेमंत गोडसे चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकीन इस सीट पर एनसीपी ने दावा किया है और वहां से ओबीसी के बड़े नेता छगन भुजबल को मैदान मे उतारने की तैयारी की है. इसकी वजह बताते हुए एनसीपी नेताओं का कहना है कि नासिक लोकसभा में आने वाली छह विधानसभा सीटों में से दो पर राष्ट्रवादी के विधायक हैं, और बाकी तीन जगहों पर बीजेपी के विधायक हैं. एक सीट कांग्रेस के विधायक ने जीती है. अब ताकत का हिसाब लगाया जाए तो यहां पर शिवसेना (शिंदे) की ताकत बहुत कम है. इसलिए यह सीट राष्ट्रवादी को मिलनी चाहिए. 2009 में इसी सीट से छगन भुजबल के भतीजे समीर भुजबल लोकसभा में चुनकर गए थे. लेकीन इस मौजूदा सीट पर शिवसेना सांसद हेमंत गोडसे ने हक जताया है. और किसी भी हालत मे सीट हाथ से ना निकल जाए इसलिए वह पिछले एक हप्ते तक सीएम के सरकारी आवास के चक्कर काटते रहे.

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उद्धव के खिलाफ साथ आए लोगों को टिकट देने का दबाव

उद्धव ठाकरे के खिलाफ 2022 मे बागी बनकर जो 13 सांसद एकनाथ शिंदे के साथ आ गए थे, उनका सीएम पर काफी दबाव है. उनका कहना है कि उन्होंने अपना राजनीतिक करियर दांव पर लगाकर शिंदे के साथ आने का फैसला किया. अब बीजेपी से उनकी सीट को बचाना सीएम शिंदे की जिम्मेदारी है, ऐसा सांसदो का मानना है. इसी दबाव के चलते सीएम शिंदे ने पहली 8 उम्मीदवारों की लिस्ट मे रामटेक से कृपाल तुमाने को छोड़ सभी मौजूदा सांसदों को टिकट दिया है.

धाराशीव का क्या है मामला?

धाराशीव लोकसभा चुनावक्षेत्र से एनसीपी अपना उम्मीदवार मैदान मे उतारना चाहती है. वहां के मौजूदा सांसद ओमराजे निंबालकर ठाकरे गुट के साथ हैं और शिवसेना के खिलाफ यह सीट एनसीपी ही लड़ती आई है. लेकीन अब शिवसेना (शिंदे) और बीजेपी, दोनों इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते है. विनेबिलिटी के हिसाब से यहां से ओमराजे को टक्कर दे सके, ऐसा कोई उम्मीदवार ना एनसीपी के पास है, ना शिवसेना ( शिंदे ) के. इसलिए अब बीजेपी ने इस जगह का निर्णय बाकी रखा है.

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