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पांच वाली सपा की 65 डिमांड, 1 वाली Congress मांग रही 25 सीटें, Uttar Pradesh में किस फॉर्मूले पर जाएगा 'INDIA'?

यूपी में 2019 के लोकसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने वाली सपा 65 सीटों की डिमांड कर रही है तो वहीं एक सीट जीतने वाली कांग्रेस भी 25 सीटें मांग रही है. 80 लोकसभा सीटों वाले सूबे में इंडिया गठबंधन किस फॉर्मूले पर जाएगा?

अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और मल्लिकार्जुन खड़गे (फाइल फोटो) अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और मल्लिकार्जुन खड़गे (फाइल फोटो)
बिकेश तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:36 PM IST

लोकसभा चुनाव करीब है और अब विपक्षी इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग की गाड़ी भी रफ्तार पकड़ती नजर आ रही है. कांग्रेस ने सीट शेयरिंग पर बातचीत के लिए मुकुल वासन के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई है. मुकुल वासन की अगुवाई वाली कमेटी दिल्ली में अलग-अलग प्रदेश की अलग-अलग पार्टियों के साथ बातचीत कर रही है. बातचीत की कड़ी में अब बारी उत्तर प्रदेश की है. 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में सीटों का बंटवारा कैसे हो? इसे लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं की दिल्ली में बैठक होनी है.

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यूपी में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या होगा, सपा-आरएलडी और कांग्रेस में कैसे सीटें बंटेंगी? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए सपा और कांग्रेस के नेता दिल्ली की बैठक में मंथन करेंगे. सीट शेयरिंग को लेकर यह बैठक ऐसे समय में होने जा रही है जब मायावती यह साफ कर चुकी हैं कि बसपा किसी से गठबंधन किए बगैर चुनाव मैदान में उतरेगी. कांग्रेस इंडिया गठबंधन में बसपा को भी लाने की कोशिश कर रही थी.

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हालांकि, सपा इस गठबंधन में बसपा की एंट्री के खिलाफ थी. मायावती के ऐलान से यूपी में इंडिया गठबंधन की तस्वीर क्या होगी? यह साफ हो गया है. ऐसे में अब सस्पेंस सीट शेयरिंग को लेकर ही है. इसकी चर्चा भी जरूरी है कि सपा-कांग्रेस और आरएलडी, तीनों दल क्या चाहते हैं? 

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किस पार्टी की डिमांड कितनी सीटें

यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. अखिलेश यादव पहले ही यह साफ कह चुके हैं कि सूबे में इंडिया गठबंधन का नेतृत्व सपा ही करेगी. सपा के गठबंधन का नेतृत्व का सीधा अर्थ अधिक सीटों पर दावेदारी है. सपा 65 सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रही है. सपा की कोशिश है कि कांग्रेस और आरएलडी को 15 सीटों पर मना लिया जाए.

अखिलेश यादव ने खींच रखी है 65 सीटों की लकीर (फाइल फोटो)

वहीं, यूपी कांग्रेस के नेता सपा के बराबर सीटें चाहते हैं. यूपी कांग्रेस के नेता 2019 में सपा-बसपा गठबंधन का जिक्र करते हुए यह तर्क दे रहे हैं कि अखिलेश यादव जब मायावती की पार्टी को अधिक सीटें दे सकते हैं तब हमें क्यों नहीं. वहीं, कांग्रेस के केंद्रीय नेता करीब 25 सीटों पर दावेदारी के पक्ष में हैं. जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) भी 7 से 8 सीटों के लिए दावेदारी कर रही है.

आंकड़ों में किसकी दावेदारी कितनी मजबूत

सपा, कांग्रेस और आरएलडी, तीनों ही दलों के अपने-अपने दावे के समर्थन में अपने-अपने तर्क हैं. लेकिन आंकड़े क्या कहते हैं? इसकी चर्चा भी जरूरी है. साल 2019 के चुनाव की बात करें तो सपा, बसपा और आरएलडी से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी थी. सपा ने 37 और बसपा ने 38 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. आरएलडी के हिस्से तीन सीटें आई थीं.

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अखिलेश यादव और जयंत चौधरी (फाइल फोटोः ट्विटर)

सपा-बसपा-आरएलडी के गठबंधन ने सोनिया गांधी की सीट रायबरेली और अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे. तब सपा ने 18.1 फीसदी वोट शेयर के साथ 37 में से पांच सीटें जीती थीं और 31 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे. एक सीट पर पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी. सपा को कुल 1 करोड़ 55 लाख 33 हजार 620 वोट मिले थे.

कांग्रेस ने सूबे की 80 में से 67 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. पार्टी 6.4 फीसदी वोट शेयर के साथ केवल एक सीट ही जीत सकी और तीन सीटों पर दूसरे स्थान पर रही. कांग्रेस को कुल 54 लाख 57 हजार 269 वोट मिले थे और 58 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे थे. कांग्रेस के टिकट पर यूपी से केवल सोनिया गांधी ही चुनाव जीत सकीं और तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी अपनी सीट भी नहीं बचा पाए थे.

पिछले चुनाव में यूपी से कांग्रेस के टिकट पर बस सोनिया गांधी ही जीत सकी थीं (फाइल फोटो)

आरएलडी को तीन सीटों पर 14 लाख 47 हजार 363 वोट मिले थे. पार्टी का वोट शेयर 1.7 फीसदी रहा था लेकिन जयंत चौधरी अपनी सीट भी हार गए थे. आरएलडी एक भी सीट जीतना तो दूर, किसी सीट पर दूसरे स्थान पर भी नहीं रही थी. तीनों ही सीट पर आरएलडी उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे थे. 

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किसके दावे का आधार क्या

यूपी कांग्रेस के नेता जहां सीट शेयरिंग के लिए 2009 के लोकसभा चुनाव को फॉर्मूला बनाने की बात कर रहे हैं. वहीं, सपा 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के यूपी चुनाव को आधार बनाने की बात कह रही है. 2022 के यूपी चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी ने 376 सीटों पर चुनाव लड़कर 255 सीटें जीती थीं. बीजेपी को 3 करोड़ 80 लाख 51 हजार 721 वोट मिले थे. सत्ताधारी पार्टी के 41.6 फीसदी वोट शेयर के मुकाबले 347 सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाली सपा को 32.3 फीसदी वोट मिले थे.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटोः पीटीआई)

वोटों के लिहाज से देखें तो सपा, बीजेपी के मुकाबले करीब 85 लाख वोट के अंतर से ही पीछे रही थी. सपा को 2022 के यूपी चुनाव में 2 करोड़ 95 लाख 43 हजार 934 वोट मिले थे.कांग्रेस ने यूपी की 403 में से 399 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी महज दो सीटें ही जीत सकी थी. कांग्रेस को 21 लाख 51 हजार 234 वोट मिले थे जो वोट शेयर के लिहाज से 2.4 फीसदी पहुंचता है.

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पिछले लोकसभा चुनाव और 2022 के यूपी चुनाव में प्रदर्शन को आधार बनाकर सपा, कांग्रेस को अधिक सीटें देने के पक्ष में नहीं है. यूपी कांग्रेस के नेता शीर्ष नेतृत्व से यह कह चुके हैं कि 30 सीटों से कम पर सपा से बात न की जाए. अब देखना होगा कि दोनों दलों के नेताओं के बीच सीट शेयरिंग को लेकर जब बातचीत होती है तो क्या फॉर्मूला निकलता है?

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