
लोकसभा चुनाव के बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान से इंडिया टुडे ग्रुप के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने खास बातचीत की है. चिराग ने चुनावी तैयारियों से लेकर बिहार में एनडीए की भूमिका तक पर खुलकर बात की. चिराग ने दावा किया कि इस बार चुनाव में बिहार में NDA 40 की 40 सीटें जीतेगी. राज्य में बड़ा युवा चेहरा के सवाल पर उन्होंने कहा, मैं किसी भी रेस में शामिल नहीं हूं. मैं सिर्फ अपनी लकीर लंबी खींच रहा हूं. जिस विजन की बात करता हूं, उसे धरातल पर उतारने की कोशिश करता हूं. उन्होंने कहा, मेरी पार्टी मेरे पिता की पार्टी है. किसी दूसरी पार्टी में विलय करने का सवाल ही नहीं है.
चिराग का कहना था कि बीजेपी की तरफ से पार्टी विलय करने का मेरे पास कोई प्रस्ताव नहीं आया है. अगर ऐसा प्रस्ताव आएगा तो मैं बहुत स्पष्ट हूं कि अपनी पार्टी है, पिता के खून-पसीने से बनाई पार्टी है, ऐसे में किसी पार्टी के साथ विलय करने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. इस चुनाव में अकेले मैदान में होने के सवाल पर चिराग ने कहा, यह पहला चुनाव है, जब अकेले मैदान में हूं. पहले तो पापा का साथ रहता था. उनके अनुभव का लाभ मिलता था. अकेलापन जरूर है, लेकिन मेरे पिता मुझे गाइड कर रहे हैं. उम्मीद है कि हम अपना प्रदर्शन दोहराएंगे.
'इस बार हम पांच दल मिलकर चुनाव लड़ रहे'
चुनाव में टाइट फाइट के सवाल पर चिराग ने कहा, ये बातें 2014 और 2019 में भी बोली गई थीं. 2019 में तीन दल बीजेपी, एलजेपी और जदयू मिलकर चुनाव लड़ रही थी. हम लोग 40 में से 39 सीटें जीते थे. इस बार हम लोग पांच दल मिलकर लड़ रहे हैं. दो दल (जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी) ऐसे हैं, जो पहले विपक्ष के साथ थे, इस बार हमारे साथ हैं. हम लोग पहले से ज्यादा मजबूत हैं. लाभार्थी एक बड़ी संख्या में हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री जी की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिला है. मैं मानता हूं कि इस बार हम लोग 40 की 40 सीटें जीतेंगे.
'जिसे जो खाना है, वो खाए'
चिराग ने कहा, हम लोग आस्तिक हैं और मैं मानता हूं कि सावन, नवरात्र में मांस नहीं खाते हैं. जो लोग भी पूजा-पाठ करते हैं, वो सावन, नवरात्र में यह सब नहीं खाता है. मैंने अभी पूरी तरह से नॉनवेज छोड़ रखा है. जिसको जो खाना है, वो खाए लेकिन उसका दिखावा ना करें. कैमरे पर उसका दिखावा ना करें. वो भी नवरात्र के दिन मछली लहरा रहे थे. उसका कोई मतलब नहीं था.
'श्रेय लेने की होड़ मची है'
चिराग का कहना था कि जनता को पता है कि किसने काम किया. लेकिन लोग सिर्फ श्रेय लेने की होड़ कर रहे हैं. जनता यह बात चुनाव में बताएगी कि किसने काम किया था. हम एक बड़े लक्ष्य के साथ एकसाथ आए हैं. पीएम मोदी को तीसरी बार जिताना है. इसलिए साथ हैं. अब नीतीश कुमार जी से बहुत अच्छी बातचीत है. हम लोग साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं.
'धरातल तक पहुंचीं हैं सरकार की योजनाएं'
चिराग ने कहा, मोदी सरकार-3.0 बनने पर जितनी विकास और गरीब कल्याण की योजनाएं हैं, उन्हें मजबूत दी जाएगी. ठोस कदम उठाए जाएंगे. देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूती दी जाएगी. एंटी इंकंबेंसी के सवाल पर चिराग कहते हैं कि जमीन पर जाते हैं तो एंटी इंकंबेंसी नहीं, बल्कि प्रो-इंकंबेंसी दिखाई देती है. दिल्ली में बैठे प्रधानमंत्री ने एक गांव में बैठी महिला के लिए शौचालय बनवाया, ये एक बहुत बड़ी बात है. वो किसके साथ जाएगी? जिस उज्ज्वला योजना में गैस का कनेक्शन मिला, वो किसके साथ जाएगी? वो परिवार जो पहले बीमारी आने पर जमीन और जेवर बेचते थे, वो आज आयुष्मान योजना में पांच लाख का फ्री में इलाज करवा पा रहे हैं, वो किनका साथ देंगे? 81 करोड़ लोगों को आज भी मुफ्त में राशन दिया जा रहा है. किसान सम्मान निधि के लाभार्थी भी हैं. वो पहली बार ऐसी सरकार है, जिसकी योजनाएं धरातल पर पहुंची हैं.
चिराग का कहना था कि चुनाव प्रचार में राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष ने सिर्फ एक बार बिहार आना जरूरी समझा है. इन लोगों के लिए गठबंधन में बिहार मायने ही नहीं रखता है तो बिहारियों के लिए भी ये मायने नहीं रखते हैं. बिहार का कैंपेन देख लीजिए, एक-डेढ़ लोग मिलकर कैंपेन कर रहे हैं.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की ज्यादा रैलियों और घायल होने के सवाल पर चिराग ने कहा, मैं सबसे पहले उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं. वो युवा हैं और फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए. आप देखिए, वो अकेले ही तो प्रचार कर रहे हैं. इनका गठबंधन कहां है? विपक्ष को 2014 से बुरी हार 2019 में मिली थी और अब उससे भी बुरी हार मिलेगी.
चिराग ने कहा, हम लोग जिसके साथ गए, उसकी सरकार बनती रही है. हमारी लड़ाई खुद के एशो-आराम के लिए नहीं है, बल्कि बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट के लिए है. हालांकि, पार्टी और परिवार में मतभेद आए. लेकिन, इसमें दूसरों को क्या दोष दूं, जब मेरे अपनों ने ही धोखा दिया. मेरी शिकायत किसी और से नहीं है. शिकायत मेरी अपनों से ही है.