
विपक्षी एकता के नतीजे INDIA गठबंधन को एक और झटका लगने चर्चाएं जारी हैं. ये झटका पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जमीन से लग सकता है, जहां ये कयास लग रहे हैं कि, राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के नेता जयंत चौधरी आगामी लोकसभा चुनावों में संभावित गठबंधन के लिए भाजपा के साथ बातचीत कर रहे हैं. मामले से जुड़े करीबी सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने रालोद को उत्तर प्रदेश में चार लोकसभा सीटें कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा की पेशकश की है और दोनों पार्टियों के बीच बातचीत जारी है.
अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी के लिए क्या कहा?
सूत्रों ने यह भी कहा कि जयंत चौधरी ने मंगलवार को दिल्ली में एक वरिष्ठ भाजपा नेता से मुलाकात की है. इस मुलाकात के बाद ही अटकलें तेज हो गईं कि दोनों दल आम चुनाव से पहले हाथ मिलाने पर विचार कर सकते हैं. समाजवादी पार्टी (सपा) सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस टूट पर सीधे तौर पर चर्चा किए बगैर कहा, ''जयंत चौधरी बहुत सीधे और पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं और वह राजनीति को समझते हैं...मुझे उम्मीद है कि वह किसानों की लड़ाई को कमजोर नहीं होने देंगे.
इस बीच, सूत्रों ने कहा, आरएलडी के आलाकमान ने सभी पार्टी प्रवक्ताओं को निर्देश दिया है कि वे पार्टी के बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने की अटकलों पर कोई भी बयान देने से बचें.
JDU, AAP, TMC के बीच RLD भी बगावती?
समाजवादी पार्टी के एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में, जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने से इंडिया ब्लॉक को एक और झटका ऐसे समय में लग सकता है, जबकि वह पहले ही नीतीश कुमार के NDA में जाने से हल्का हुआ है और लगातार तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की ओर से विद्रोह सुर सुन रहा है. अब ऐसे में जयंत चौधरी भी गठबंधन से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं. उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश के छपरौली में एक रैली स्थगित कर दी, जहां उनके दादा चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया जाना था. बताया जा रहा है कि रैली रद्द होने की वजह भी, नए होने वाले गठबंधन से जुड़ी हुई है.
अखिलेश से तनाव बनी वजह?
ऐसी भी चर्चा है कि अगर बीजेपी और आरएलडी के बीच सहमति बनती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रैली में शामिल हो सकते हैं. हाल के दिनों में चौधरी की संसद से अनुपस्थिति को सत्तारूढ़ दल के साथ हाथ मिलाने की ओर उनके झुकाव का संकेत माना जा रहा है. इसके अतिरिक्त, एसपी-आरएलडी गठबंधन के भीतर सीट आवंटन को लेकर स्पष्टता की कमी के कारण कथित तौर पर जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के रिश्ते में तनाव आ गया है.
क्यों NDA में शामिल हो सकते हैं जयंत?
अब अगर जयंत NDA में शामिल होते हैं तो इसके कारणों के पीछे 5 वजहों को गिना जा सकता है. इनमें तीन कारण तो ये हैं कि RLD को इस गठबंधन में स्पष्टता दिख रही होगी. ये स्पष्टता सीट बंटवारे और मंत्रिमंडल में जगह के तौर पर हो सकती है. जयंत चौधरी के इंडिया ब्लॉक से एनडीए में जाने की खबरों के बीच इन पांच बड़े निष्कर्ष पर डालते हैं नजर-
1. परफेक्ट डील?
सूत्रों के मुताबिक, आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने पार्टी नेताओं को सूचित किया कि भाजपा के साथ बातचीत हो चुकी है और आने वाले दिनों में सीट बंटवारे को भी सुलझा लिया जाएगा. रालोद सूत्रों ने कहा कि उन्होंने नेताओं से यह भी कहा कि घोषणा जल्द ही होने की संभावना है. इसके जरिए प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी लक्ष्य 'अब की बार 400 पार' को पूरा करने की कोशिश होगी. इसके अलावा उस पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं को एकजुट करना भी लक्ष्य था, जो कि बीजेपी के लिए पहले भी परेशानी का सबब बनता रहा है.
2. सम्मानजनक सीट बंटवारा!
आरएलडी के सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि बीजेपी कुछ समय से जयंत चौधरी को साथ लेने की कोशिश में थी. डील लगभग तय हो गई थी. इसके जरिए उत्तर प्रदेश में सम्मानजनक सीट बंटवारे का होना भी तय हुआ है, जिसमें आरएलडी को चुनने के लिए जगह मिलेगी. उन सीटों के बाद जो उसका पारंपरिक गढ़ रही हैं या प्रतिष्ठा का विषय हैं.
3. जयंत को कैबिनेट!
सूत्रों के मुताबिक, बातचीत में केंद्र और लखनऊ में एक मंत्री पद का प्रस्ताव भी शामिल है. संभावना है कि जयंत दिल्ली में कैबिनेट मंत्री बनेंगे और अपने नौ विधायकों में से एक को उत्तर प्रदेश में मंत्री नियुक्त कराएंगे.
4.सपा की ओर से खराब व्यवहार?
आरएलडी और समाजवादी पार्टी के बीच यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान तनाव बढ़ गया था. जहां आरएलडी को लगा कि एसपी ने उसके साथ खराब व्यवहार किया और अखिलेश ने आरएलडी को आवंटित सीटों पर अपने उम्मीदवारों पर दबाव डाला. सूत्रों के मुताबिक, इंडिया ब्लॉक बनने के बाद स्थिति और खराब हो गई. सपा मुखिया RLD को हल्के में लेते रहे. चूंकि अखिलेश प्रतिबद्ध नहीं थे, इसलिए आरएलडी कैराना, मुज़फ़्फ़रनगर और बिजनौर पर जोर दे रही थी, लेकिन इसके बजाय उसे भाजपा के गढ़ फ़तेहपुर सिकरी और मथुरा की पेशकश की जा रही थी. हालात तब बिगड़ गए जब आरएलडी को लगा कि अखिलेश इस बात पर भी अपनी बात बड़ी रखना चाहते हैं कि आरएलडी से कौन चुनाव लड़ेगा.
5. अखिलेश का एक ट्वीट और दरार बनी खाई
इतना ही नहीं, अखिलेश मुजफ्फरनगर सीट से हरिंदर मलिक के लिए बैटिंग कर रहे थे. जबकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि वह अजीत सिंह के परिवार के पारंपरिक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे हैं. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ताबूत में आखिरी कील तब ठुकी, जब अखिलेश यादव ने हरिंदर मलिक की तस्वीर ट्वीट की. उन्होंने रालोद के साथ गठबंधन की घोषणा करते समय लगभग उसी फ्रेम में जयंत चौधरी की तस्वीर ट्वीट करने के ठीक बाद जाटों के मलिक समुदाय को संबोधित किया.