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मांझी, चिराग, पशुपति, कुशवाहा... बिहार में BJP ने सहयोगी दलों को दे दिया सीट शेयरिंग का फॉर्मूला

बिहार में NDA के सहयोगी उपेंद्र कुशवाह ने बीजेपी के सामने चार सीटों पर दावेदारी पेश की है. इसमें कराकाट, जहानाबाद, सीतामढ़ी और झंझारपुर या सुपौल में से कोई एक सीट का सुझाव दिया है. वहीं, चिराग पासवान ने 2014 और 2019 की तर्ज पर बीजेपी के सामने छह लोकसभा सीटें और एक सीट राज्यसभा में दिए जाने की मांग रखी है.

बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बात की जा रही है. बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बात की जा रही है.
हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 19 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:14 PM IST

लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच बिहार में NDA ब्लॉक में सीटों को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं. बीजेपी के सहयोगी दल लगातार बातचीत कर रहे हैं और फॉर्मूला निकाल रहे हैं. गुरुवार को दिल्ली में हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी उपेंद्र कुशवाहा और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने मुलाकात की है और सीट शेयरिंग पर चर्चा की है. एनडीए के सामने इन तीनों दलों ने अपनी डिमांड रख दी है. हालांकि, गठबंधन ने अलग-अलग फॉर्मूले के तहत बीच का रास्ता सुझाया है.

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बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं. 2019 में NDA ब्लॉक ने 39 सीटें जीती थीं. अकेले बीजेपी ने 17 सीटों पर जीत हासिल की थी. एक सीट कांग्रेस को मिली थी. सूत्रों का कहना है कि 2024 के आम चुनाव को लेकर बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और नित्यानन्द राय बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों से सीट शेयरिंग को लेकर बात कर रहे हैं. सूत्र यह भी बताते हैं कि जीतनराम मांझी की पार्टी ने दो सीटों पर अपनी दावेदारी की है. बीजेपी की तरफ से गया लोकसभा सीट और मांझी को राज्यसभा भेजे जाने का ऑफर दिया गया है.

'चार सीटें चाहते हैं उपेंद्र'

वहीं, उपेंद्र कुशवाह ने बीजेपी के सामने चार सीटों पर दावेदारी पेश की है. इसमें कराकाट, जहानाबाद, सीतामढ़ी और झंझारपुर या सुपौल में से कोई एक सीट का सुझाव दिया है. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी उपेंद्र कुशवाह दो सीटें देना चाहती है. इससे पहले 2014 में एनडीए गठबंधन में उपेंद्र कुशवाह की पार्टी को तीन सीट मिली थीं. 

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'चिराग ने छह लोकसभा सीटें मांगी'

चिराग पासवान ने 2014 और 2019 की तर्ज पर बीजेपी के सामने छह लोकसभा सीटें और एक सीट राज्यसभा में दिए जाने की मांग रखी है. सूत्रों की मानें तो चिराग की पार्टी को तीन सीटें दिए जाने का प्रस्ताव मिला है. 2014 में एनडीए गठबंधन में रामविलास पासवान के नेतृत्व वाले एलजेपी को सात सीटें मिली थीं और 2019 में छह लोकसभा सीटें और एक राज्यसभा सीट दी गई थी. रामविलास के निधन के बाद चिराग पासवान की नीतीश कुमार से दूरियां बढ़ गईं और उन्होंने एनडीए से अलग होकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा था.

'पशुपति भी चाहते हैं छह सीटें'

वहीं, 2021 में पशुपति पारस ने तख्तापलट कर दिया और  चार सांसदों को अपने पाले में ले लिया. उन्होंने  LJP पर अपना दावा ठोक दिया. पशुपति पारस को रामविलास पासवान की जगह मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. सूत्रों की माने तों पशुपति पारस अपनी पार्टी के लिए 6 लोकसभा सीट चाहते हैं. इस समय पशुपति पारस समेत पार्टी में पांच मौजूदा सांसद हैं. हालांकि एनडीए ब्लॉक ने पशुपति पारस को तीन लोकसभा सीट या दो लोकसभा सीट समस्तीपुर और नवादा और एक राज्यसभा सीट का प्रस्ताव दिया गया है.

'हाजीपुर सीट पर दावेदारी से NDA चिंतित'

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बीजेपी के सामने समस्या यह है कि चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों ही रामविलास पासवान की विरासत यानी हाजीपुर सीट चाहते हैं. पशुपति पारस हाजीपुर से वर्तमान में सांसद हैं और वो किसी भी कीमत पर हाजीपुर सीट नहीं छोड़ना चाहते हैं. दूसरी तरफ चिराग पासवान जमुई से वर्तमान में सांसद हैं. वो किसी भी कीमत पर हाजीपुर सीट से अगला चुनाव लड़ना चाहते हैं.

'साहनी से भी चल रही है बातचीत'

सूत्रों की माने तों मुकेश साहनी को भी एनडीए में शामिल करने को लेकर बातचीत चल रही है. वो मुजफ्फरपुर सीट चाहते हैं, लेकिन बीजेपी उन्हें खगड़ियां सीट देना चाहती है.

'सियासी संभावनाओं को तलाश रहे सहयोगी'

दरअसल, बिहार में जेडीयू और आरजेडी में सीट शेयरिंग को लेकर तकरार बढ़ी है, उसके बाद से राजनैतिक हलकों में खबर है कि नीतीश कुमार और बीजेपी फिर एक साथ आ सकते हैं. बिहार में ऐसी स्थिति में एनडीए गठबंधन के साथी दल अपने भविष्य को लेकर दुविधा में हैं. एक दिन पहले चिराग पासवान के दिल्ली आवास पर उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी ने बैठक की थी और अपने-अपने भविष्य की संभावनाओं को तलाशा था.

'जल्द सीट शेयरिंग चाहते हैं सहयोगी'

सूत्रों की मानें तो बिहार में एनडीए के गठबंधन के सहयोगी दल जल्द से जल्द सीट शेयरिंग चाहते हैं. बिहार में एनडीए की मौजूदा स्थिति देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीटों को लेकर एनडीए में सियासी खेल कम नहीं होगा. वैसे भी एक कहावत है कि राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता है.

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