
यूपी की कैसरगंज लोकसभा सीट पर सबकी नजरें टिकी थीं. यहां से बीजेपी के मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण मैदान में थे. वहीं, सपा ने बाह्मण चेहरे भगत राम मिश्रा पर दांव लगाया था. इस सीट पर बसपा ने भी ब्राह्मण कार्ड खेला. मायावती की पार्टी ने कैसरगंज से नरेंद्र पांडेय को टिकट दिया था. हालांकि, आखिर में जीत बीजेपी प्रत्याशी के खाते में गई.
कैसरगंज का रिजल्ट
कैसरगंज लोकसभा सीट से बृजभूषण के बेटे करण भूषण ने जीत दर्ज की है. करण भूषण को 571263 वोट मिले. वहीं, उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के भागवत राम को 422420 मत प्राप्त हुए. इस तरह करण भूषण ने सपा प्रत्याशी को 148843 वोटों से शिकस्त दी. तीसरे नंबर पर बसपा के अरविंद पांडे रहे, जिन्हें 44279 वोट हासिल हुए.
56 प्रतिशत हुआ था मतदान
बता दें कि कैसरगंज में 20 मई को वोट डाले गए थे. यहां कुल 56 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो कि पिछली बार से 2% ज्यादा है. 2019 में 54.39 प्रतिशत वोट पड़े थे.
बीजेपी के बृजभूषण शरण सिंह ने पिछले दो लोकसभा चुनाव में कैसरगंज से जीत दर्ज की. लेकिन, इस बार बीजेपी ने लंबे समय से विवादों में घिरे बृजभूषण का टिकट काटकर उनके छोटे बेटे करण भूषण सिंह को दे दिया. वहीं, समाजवादी पार्टी ने इस सीट से भगत राम मिश्रा को टिकट दिया, जो कि श्रावस्ती के पूर्व बीजेपी सांसद दद्दन मिश्रा के बड़े भाई हैं.
कैसरगंज का समीकरण
सवर्ण बाहुल्य कैसरगंज लोकसभा सीट में सर्वाधिक ब्राह्मण मतदाता हैं. यहां राजपूत वोटर्स की संख्या भी अच्छी-खासी है. क्षेत्र में 18 फीसदी दलित और 25 फीसदी मुस्लिम भी हैं. कैसरगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत गोंडा जिले की तीन और बहराइच की दो विधानसभा सीटें आती हैं. 1996 से लेकर 2009 के दौरान यह क्षेत्र सपा का गढ़ था. 2009 में बृजभूषण शरण सिंह ने भी सपा के टिकट पर यहां से जीत दर्ज की थी. इसके बाद बृजभूषण ने 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की.
बृजभूषण एक दशक तक भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष रहे हैं. उनपर महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था जिसके बाद बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया. लेकिन इसे बृजभूषण का 'दबदबा' ही कहेंगे कि टिकट उनके परिवार के सदस्य को मिला.