
कर्नाटक की शिवमोग्गा लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. भाजपा इस सीट पर अपने बागी नेता केएस ईश्वरप्पा को मनाने में विफल रही. उन्होंने शुक्रवार को शिवमोग्गा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर दिया है.
अपना नामांकन करने के बाद उन्होंने कहा कि मैंने शिवमोग्गा से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया है. शिवमोग्गा के सभी 8 निर्वाचन क्षेत्रों से लगभग 25-30 हजार लोग मेरा समर्थन करने आए. हमारे समर्थक घर-घर जाकर प्रचार करेंगे कि भाजपा का एक वफादार समर्थक क्यों आहत है और पिता-पुत्र ने किस तरह का अन्याय किया है.
हिंदुत्व के साथ किया अन्याय, क्यों है पार्टी पिता-पुत्र के अधीन है. हमारे समर्थक एक-एक घर जाकर बताएंगे. मुझे विश्वास है कि चुनाव के बाद पार्टी शुद्ध हो जाएगी.
नामांकन से पहले किया मार्च
केएस ईश्वरप्पा के नामांकन से पहले उनके समर्थक शहर में रमन्ना श्रेष्ठी पार्क से गांधी बाजार और नेहरू रोड होते हुए शीनप्पा शेट्टी सर्कल तक मार्च निकालेंगे. इसके बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल करेंगे.
वहीं, बीते दिनों बीजेपी के कर्नाटक राज्य चुनाव प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि ईश्वरप्पा कौन हैं. जबकि भाजपा आलाकमान ने केएस ईश्वरप्पा के प्रति उदासीनता दिखाई है.
बेटे को टिकट न मिलने से नाराज हैं ईश्वरप्पा
बताया जा रहा है कि ईश्वरप्पा कर्नाटक की हावेरी लोकसभा सीट से अपने बेटे केई कांतेश को टिकट नहीं दिए जाने से नाराज हैं. उन्होंने इस सीट से उनके बेटे को टिकट न देने के बजाय पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को सीट से चुनने के लिए येदियुप्प को दोषी ठहराया है. साथ ही जानकारी आ रही है कि ईश्वरप्पा बुधवार को अमित शाह मिलने के लिए दिल्ली आएंगे.
बीवाई राघवेंद्र की बढ़ सकती हैं मुश्क्लिें
बता दें कि बीएस येदियुरप्पा और उनके बेटे बीवाई राघवेंद्र, 2009 से शिवमोग्गा निर्वाचन क्षेत्र से जीत रहे हैं. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में राघवेंद्र का मुकाबला ईश्वरप्पा के अलावा कांग्रेस के उम्मीदवार गीता शिवराज कुमार से होगा.
कुरुबा जाति से आने वाले ईश्वरप्पा ने शिवमोग्गा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार जीत हासिल की है. अनुभवी भाजपा नेता ने पहले चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी, लेकिन अपने बेटे को टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने फिर से चुनाव लड़ने का फैसला कर चुनावी मैदान में उतर गए हैं.