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लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें चरण का मतदान समाप्त हो चुका है. एग्जिट पोल की मानें तो यहां एक बार फिर कांग्रेस की अगुवाई वाला यूडीएफ अच्छा प्रदर्शन कर सकता है.
कांग्रेस गठबंधन को इस बार के चुनाव में 17-18 सीटें मिलने का अनुमान है. इनमें अकेले कांग्रेस को 13-14 सीटें मिल सकती है, जबकि लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट एक सीट हासिल कर सकता है.
बीजेपी को केरल में 2-3 सीटें मिल सकती है. इस दक्षिणी राज्य में बीजेपी का वोटिंग पर्सेंटेज बढ़ने का भी अनुमान है. बीजेपी को ग्रामीण इलाकों में 27 फीसदी और शहरी इलाकों में 26 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. ग्रामीण इलाकों में 12 फीसदी और शहरी इलाकों में बीजेपी का वोट शेयर 9 फीसदी तक बढ़ने की संभावना है.
यूडीएफ को कितना वोट मिल सकता है?
एग्जिट पोल के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को ग्रामीण इलाकों में 41 फीसदी और शहरी इलाकों में 42 फीसदी वोट मिल सकता है. वहीं लेफ्ट फ्रंट को ग्रामीण इलाकों में 29 फीसदी और शहरी इलाकों में 30 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.
मसलन, माना जाता है कि 43 फीसदी पुरुष मतदाताओं ने यूडीएफ के लिए मतदान किया है, जबकि 39 फीसदी महिला वोट मिल सकता है. बीजेपी ने राज्य में ईसाई मतदाताओं को लुभाने की पुरजोर कोशिश की है, और पार्टी को इस समुदाय से 23 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है, जहां बीते चुनाव के मुकाबले 11 फीसदी वोट बढ़ने का अनुमान है.
हालांकि, कुल वोटिंग पर्सेंटेज की बात करें तो यूडीएफ को 41 फीसदी, एनडीए को 27 फीसदी, एलडीएफ को 29 फीसदी और अन्य पार्टियों को तीन फीसदी वोट मिल सकता है. बीजेपी अपना वोट शेयर 12 फीसदी बढ़ा सकती है तो यूडीएफ को पांच फीसदी और एलडीएफ को 9 फीसदी वोट पर्सेंटेज का नुकसान हो सकता है.
केरल का चुनाव इस बार इसलिए दिलचस्प माना जा रहा है, क्योंकि यहां बीते चुनावों में सीपीआई (एम) पर हावी हुई कांग्रेस केंद्रीय स्तर पर एक ही INDIA गठबंधन का हिस्सा है. कुछ सीट पर दोनों दलों में फ्रैंडली फाइट भी देखी गई है. वहीं बीजेपी ने भी कई हाई-प्रोफाइल कैंडिडेट उतारे थे, जिन्हें बीते चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी.
2024 का लोकसभा चुनाव
केरल में 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की अगुवाई वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला. हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर लेफ्ट और कांग्रेस इंडिया गठबंधन का हिस्सा है.
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केरल में 2024 के लोकसभा चुनाव में 70.35 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है, जो कि 2019 में 77.84 फीसदी से कम है. ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि जब भी ज्यादा मतदान हुए हैं तो नतीजे कांग्रेस गठबंधन (यूडीएफ) के पक्ष में आए हैं, जैसा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में देखा गया था.
2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे
कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ का राज्य के अल्पसंख्यक समुदायों (मुस्लिम और ईसाई) के बीच एक मजबूत पारंपरिक वोट बेस माना जाता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने राज्य की 20 लोकसभा सीटों में 19 पर जीत दर्ज की थी. हालांकि, गठबंधन को बाद में कांग्रेस नेताओं के बीजेपी में शामिल होने और प्रमुख नेताओं के बीच एकता की कमी की वजह से माना जाता है कि इस लोकसभा चुनाव में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.
मसलन, कांग्रेस ने अकेले राज्य की 15 लोकसभा सीटों पर कब्जा किया था, तो वहीं इसकी सहयोगी इंडियन मुस्लिम लीग (IML) ने दो सीटें और अन्य सहयोगियों ने दो सीटें जीती थी. गठबंधन को बीते चुनाव में 47.5 फीसदी वोट मिले थे, जिसमें कांग्रेस ने अकेले 37.5 फीसदी वोट हासिल की थी. हालांकि, सीपीआई(एम) ने एक सीट जीतने के साथ 26 फीसदी और बीजेपी ने 15.6 फीसदी वोट हासिल की थी लेकिन एक भी सीट नहीं मिला था. बीजेपी ने इस चुनाव में ईसाई मतदाताओं को लुभाने की पुरजोर कोशिश की है.
2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे
केरल में 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ गठबंधन ने 8 सीटें जीतकर महत्वपूर्ण जीत हासिल की थी. सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एलडीएफ) ने पांच सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी एक सीट जीतने में सफल रही थी. कांग्रेस ने 31.5 फीसदी, लेफ्ट फ्रंट ने 40.2 फीसदी, और बीजेपी ने 10.3 फीसदी वोट हासिल की थी.
केरल में 2024 के स्टार कैंडिडेट्स
केरल में 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों ने कई हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार उतारे थे. बीजेपी ने तिरुवनंतपुरम में राजीव चंद्रशेखर, त्रिशूर में सुरेश गोपी और वायनाड में के. सुरेंद्रन को उम्मीदवार बनाया था. कांग्रेस ने वायनाड में राहुल गांधी, तिरुवनंतपुरम में शशि थरूर और अत्तिंगल में अदूर प्रकाश को उम्मीदवार बनाया था. एलडीएफ ने तिरुवनंतपुरम में पन्नियन रवींद्रन, अत्तिंगल में वी जॉय और कोल्लम में एम मुकेश जैसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा थे.
एक्सपर्ट की मानें तो राज्य सरकार के खिलाफ कथित एंटी इनकंबेंसी का एलडीएफ पर कोई खास असर देखने को नहीं मिल सकता है. लोकसभा का चुनाव होने के नाते राज्य में केंद्रीय सत्ता के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का फायदा सीपीआई (एम) को हो सकता है, जो कि केंद्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन का हिस्सा है.