
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 102 सीटों के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है. पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटें भी हैं जिनके लिए नॉमिनेशन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. यह सीटें हैं- सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत. इन सीटों पर पिछली बार यानि 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को तगड़ा झटका लगा था.
बीजेपी इस बार सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर उतरी है और पार्टी के सामने जाटलैंड की कठिन जमीन पर कमल खिलाने की चुनौती है. इन सीटों पर 2019 के चुनाव में विपक्षी पार्टियां भारी पड़ी थीं लेकिन इस बार बदले हालात में एनडीए और विपक्षी इंडिया, दोनों गठबंधनों के समीकरण का भी टेस्ट होना है.
जाटलैंड की मुजफ्फरनगर, नगीना जैसी सीटों पर बीजेपी और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) गठबंधन का टेस्ट होगा. बीजेपी को आरएलडी से गठबंधन के बाद इस बेल्ट में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है तो वहीं सपा को पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के समर्थन से साइकिल दौड़ने की आस.
रामपुर, कैराना, बिजनौर जैसी सीटों पर पीडीए वाले समीकरण की परीक्षा होगी. ये सभी आठ सीटें ऐसी हैं जहां जाट के साथ ही पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक मतदाता चुनाव नतीजे तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
पिछले चुनाव में कैसे थे नतीजे
लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों की बात करें तो बीजेपी को यूपी में 2014 के मुकाबले नौ सीटों का नुकसान हुआ था और इनमें से भी अधिकतर सीटें पश्चिमी यूपी की थीं. पहले चरण की आठ सीटों की ही बात करें तो 2019 में बीजेपी इनमें से केवल तीन सीटें ही जीत सकी थी- पीलीभीत, कैराना और मुजफ्फरनगर. मुजफ्फरनगर सीट पर कड़े मुकाबले में बाजी बीजेपी के हाथ लगी थी और जीत का अंतर 6526 वोट का था. पीलीभीत से वरुण गांधी जरूर 2 लाख 66 हजार वोट के अंतर से बड़ी जीत हासिल करने में सफल रहे थे लेकिन कैराना में भी जीत का अंतर एक लाख से नीचे ही रहा.
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रामपुर सीट भी अभी बीजेपी के पास है लेकिन इस सीट पर पार्टी को उपचुनाव में जीत मिली थी. मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को तीन सीटों- सहारनपुर, बिजनौर और नगीना सीट पर जीत मिली थी जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) ने मुरादाबाद और रामपुर सीट जीती थी. सपा-बसपा की पांच में से दो सीटों पर जीत का अंतर एक लाख के पार रहा था.
2024 में कितना अलग है सीन
पिछले चुनाव से इस चुनाव तक, गठबंधनों की तस्वीर बदल चुकी है. 2019 में सपा और बसपा के साथ जाट वोट बेस वाली जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी भी विपक्षी गठबंधन में शामिल थी. इस बार सपा का कांग्रेस से गठबंधन है लेकिन जयंत की पार्टी बीजेपी के साथ है. बसपा किसी दल से गठबंधन किए बगैर अकेले चुनाव मैदान में है.
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गठबंधनों के बदले गणित से सीटों के समीकरण भी उलझ गए हैं. जयंत के साथ अगर जाट वोट बैंक भी बीजेपी के साथ जाता है और बसपा अपना वोट बैंक बचाने में सफल रहती है तो सपा-कांग्रेस गठबंधन की राह मुश्किल हो सकती है.
किस राज्य की कितनी सीटों पर मतदान
पहले चरण में यूपी की आठ सीटों के साथ ही तमिलनाडु की 39, बिहार की चार, मध्य प्रदेश की छह, राजस्थान की 12, उत्तराखंड और असम की पांच-पांच सीटों के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है. पश्चिम बंगाल की तीन, अरुणाचल प्रदेश की दो और छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, सिक्किम, जम्मू कश्मीर, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, पुडुचेरी की एक-एक सीट के लिए भी पहले चरण में ही वोट डाले जाने हैं. पहले चरण की कुल 102 में से 41 सीटें ऐसी हैं जहां से बीजेपी के सांसद हैं. गठबंधन सहयोगियों को भी मिला लें तो 50 सीटें फिलहाल एनडीए के पास हैं तो वहीं विपक्षी इंडिया ब्लॉक 48 सीटों पर काबिज है.