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ममता-नीतीश-जयंत गए, फारूक-केजरीवाल लाइन में... 'INDIA' के पास अब क्या बचा है?

लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं और विपक्षी इंडिया गठबंधन को झटके पर झटका लग रहा है. ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और जयंत चौधरी गठबंधन से किनारा कर चुके हैं. वहीं, अब फारूक अब्दुल्ला और अरविंद केजरीवाल भी इसी ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं. ऐसे में अब इंडिया गठबंधन के पास बचा क्या?

फारूक अब्दुल्ला, मल्लिकार्जुन खड़गे और अरविंद केजरीवाल फारूक अब्दुल्ला, मल्लिकार्जुन खड़गे और अरविंद केजरीवाल
बिकेश तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:40 PM IST

यूपी और बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल तक गठबंधनों का गणित बदल गया है. पहले ममता बनर्जी, फिर विपक्षी एकजुटता की कवायद के अगुवा नीतीश कुमार और जयंत चौधरी एक-एक करके इंडिया गठबंधन से किनारा कर चुके हैं. अब नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ ही दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी इंडिया गठबंधन को तेवर दिखा रहे हैं. ऐसे में अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि एक-एक करके नेता और राजनीतिक दल किनारा करते जा रहे हैं.

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवारों के खिलाफ एक सीट से एक उम्मीदवार उतारने की मंशा के साथ विपक्षी एकजुटता की कवायद हुई थी. जोर-शोर के साथ अस्तित्व में आए गठबंधन का कुनबा दिल्ली बैठक तक करीब दो दर्जन से अधिक छोटी-बड़ी पार्टियों का था. अब स्थिति यह है कि पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), एकजुटता की इस कवायद की अगुवा जनता दल यूनाइटेड के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में मजबूत दखल रखने वाली जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) इंडिया गठबंधन से नाता तोड़ चुके हैं.

ममता ने एकला चलो का नारा दे दिया है तो वहीं जेडीयू और आरएलडी, एनडीए में बीजेपी के साथ जा चुके हैं. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दो टूक कह दिया है कि हम कांग्रेस को दिल्ली में एक लोकसभा सीट देने के लिए तैयार हैं. पार्टी ने गुजरात की भरूच और भावनगर के साथ ही साउथ गोवा लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर दिया है. सीट शेयरिंग को लेकर जारी बातचीत के बीच आम आदमी पार्टी के इस कदम को कुछ वैसा ही बताया जा रहा है जैसा नीतीश कुमार ने किया था. नीतीश की पार्टी ने भी सीट शेयरिंग पर जारी बातचीत के बीच कुछ सीटों से अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया था.

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जेडीयू ने भी चुनाव की तैयारी के लिए समय का हवाला दिया था, अब आम आदमी पार्टी भी कुछ वैसा ही कह रही है. पीएम पद की रार हो या आपसी मतभेद, पटना में हुई पहली बैठक से ही एक तरह से मध्यस्थ के रोल में नजर आई जम्मू कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस के तेवर भी अब तल्ख होते नजर आ रहे हैं. फारूक अब्दुल्ला ने सीट शेयरिंग को लेकर गठबंधन में बातचीत फेल बताते हुए केंद्र शासित प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है. फारूक ने एनडीए के साथ जाने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है. वहीं, उनके बेटे और जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला अपने पिता के बयान को पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छा से जोड़ रहे हैं.

उमर अब्दुल्ला ने इंडिया गठबंधन के साथ रहने की बात दोहराते हुए कहा है कि सीट शेयरिंग को लेकर औपचारिक बातचीत नहीं हुई है, लेकिन साथ ही अनौपचारिक चर्चा का जिक्र करते हुए यह भी जोड़ दिया है कि बातचीत उन सीटों पर ही होगी जिन पर बीजेपी काबिज है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर की छह लोकसभा सीटों में से तीन पर बीजेपी और तीन सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को जीत मिली थी. जम्मू कश्मीर राज्य के पुनर्गठन के बाद लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया और एक सीट वहां चली गई. अब जम्मू की पांच में से नेशनल कॉन्फ्रेंस की तीन सीटें हटा दें तो दो सीटों पर तीन दावेदार हैं. ऐसे में नेशनल कॉन्फ्रेंस, महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी और कांग्रेस में  सीट शेयरिं कैसे होगी?

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इंडिया गठबंधन में शामिल रहीं पांच पार्टियों- समाजवादी पार्टी (सपा), आम आदमी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और लेफ्ट को छोड़ दें तो बाकी के दल कभी ना कभी यूपीए में शामिल रहे हैं. सपा और लेफ्ट ने भी यूपीए सरकार का समर्थन किया था, लेकिन बाहर से. अब ताजा तस्वीर देखें तो इन पार्टियों में से जेडीयू इंडिया गठबंधन से एग्जिट कर चुकी है. सपा सीट शेयरिंग को लेकर जारी बातचीत के बीच उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी कर चुकी है. इसे भी कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के लिए सख्त संदेश की तरह ही देखा जा रहा है.

आम आदमी पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के तेवर भी कुछ वैसे ही नजर आ रहे हैं. पश्चिम बंगाल में टीएमसी, बिहार में जेडीयू और यूपी में आरएलडी गठबंधन से किनारा कर चुके हैं. अब सपा से लेकर आम आदमी पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस तक तेवर दिखा रहे हैं. ऐसे में अब यह सवाल भी उठ रहे हैं कि इंडिया गठबंधन के पास बचा क्या?

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि यूपी, दिल्ली, पंजाब से लेकर महाराष्ट्र तक इंडिया गठबंधन की डगर मुश्किल नजर आ रही है. यूपी में अखिलेश जिस तरह से उम्मीदवारों का ऐलान किए जा रहे हैं, खुद ही दूसरे दल को सीटें देने की घोषणा के साथ ही उम्मीदवारों के नाम देने के लिए कह रहे हैं, गठबंधन इस तरह मनमानी से नहीं चला करते. आम आदमी पार्टी अब किनारा करने की ओर बढ़ चली है. महाराष्ट्र में बगावत के कारण अपने-अपने दल गंवा चुके शरद पवार और उद्धव ठाकरे भी पिछले चुनाव के बराबर सीटें मांग रहे हैं जबकि उनकी राजनीतिक ताकत 2019 के बराबर रही नहीं और ना ही पार्टी के नाम-निशान ही. ऐसे में 48 सीटों वाले प्रदेश में गठबंधन भी मुश्किल लग रहा है.

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लोकसभा चुनाव का समय करीब आ रहा है. बीजेपी एनडीए का कुनबा बढ़ाने के साथ ही चुनावी तैयारियों में जुट गई है. विपक्षी इंडिया गठबंधन अपना कुनबा बचाए रखने में उलझा हुआ है. केजरीवाल की पार्टी से लेकर फारूक अब्दुल्ला की पार्टी तक, इंडिया गठबंधन के घटक दल सीट शेयरिंग को लेकर अपनी-अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव आते-आते विपक्षी गठबंधन की तस्वीर क्या रहती है, यह वक्त बताएगा.

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