
लोकसभा चुनाव करीब है और विपक्षी गठबंधन में सीट शेयरिंग की कवायद भी अब रफ्तार पकड़ती नजर आ रही है. दिल्ली में मंथन का दौर चल रहा है और नजरें इसी बात पर टिकी हैं कि बिहार जैसे राज्यों में सीटों की गुत्थी कैसे सुलझेगी? अलग-अलग राज्यों में लोकसभा सीटों को लेकर कांग्रेस के अपने दावे हैं. बिहार में कांग्रेस ने जिन सीटों पर दावा किया है, उसे देखते हुए अब यह कहा जा रहा है कि सीट शेयरिंग की गुत्थी लालू यादव और नीतीश कुमार की सहमति के बगैर सुलझती नहीं दिख रही.
बिहार में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर रविवार को दिल्ली में कांग्रेस और आरजेडी नेताओं की पहली बैठक हुई थी. इस बैठक में आरजेडी की तरफ से सांसद मनोज झा शामिल हुए थे. मनोज झा की मुकुल वासनिक के आवास पर कांग्रेस नेताओं के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत हुई थी. इस बैठक के बाद मनोज झा ने इशारों में संकेत दिए थे कि बातचीत सार्थक रही लेकिन अब कांग्रेस से सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 10 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए दावा किया है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने उन 10 लोकसभा सीटों की लिस्ट भी आरजेडी को सौंपी है. कहा जा रहा है कि आरजेडी अब इसे लेकर जेडीयू से बातचीत करेगी.
कांग्रेस ने इन सीटों पर किया दावा
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने जिन 10 लोकसभा सीटों पर दावा किया है, उनमें किशनगंज और कटिहार के साथ ही सासाराम, सुपौल, पूर्णिया, समस्तीपुर सीट शामिल है. कांग्रेस ने औरंगाबाद, मधुबनी, नवादा और बेतिया लोकसभा सीट पर भी दावा किया है. इनमें से कुछ सीटों पर जबरदस्त पेच है. कटिहार लोकसभा सीट पर आरजेडी और जेडीयू, इंडिया गठबंधन के दोनों बड़े घटक दल भी दावा कर रहे हैं. फिलहाल, यह सीट जेडीयू के पास है. नवादा, मधुबनी और औरंगाबाद सीट पर भी कमोबेश यही हालात हैं. बेतिया सीट पर भी कांग्रेस के दावे को आरजेडी और जेडीयू कबूल करेंगे? इसे लेकर संशय है.
जेडीयू नहीं करेगी कांग्रेस से सीधी बात
कांग्रेस की तरफ से जिन लोकसभा सीटों पर दावेदारी पेश की गई है, उनकी लिस्ट अब आरजेडी सहयोगी जेडीयू के साथ साझा करेगी. जेडीयू–आरजेडी आपस में बातचीत के साथ-साथ वाम दलों से भी कांग्रेस के दावे वाली सीटों को लेकर बातचीत करेंगे. जेडीयू पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि हम सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस के साथ सीधी बातचती नहीं करेंगे.
ये भी पढ़ें- जरूरी या मजबूरी... नीतीश कुमार को 'INDIA' का संयोजक बनाने की क्यों हो रही बात?
यानी बिहार में आरजेडी को ही कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के साथ-साथ जेडीयू से भी बातचीत करनी होगी. जेडीयू के वरिष्ठ नेता और नीतीश कैबिनेट में मंत्री संजय झा ने तीन दिन पहले ही यह बात स्पष्ट कर दी थी. नीतीश कुमार भी पहले ही कह चुके हैं की सीट शेयरिंग पर अंतिम बातचीत जनवरी तक हो जानी चाहिए. जेडीयू की तरफ से बार-बार यह कहा जाता रहा है की सीट शेयरिंग पर पहले ही काफी देर हो चुकी है और इसे लोकसभा चुनाव के बिल्कुल ठीक पहले तक ले जाना बेहतर नहीं होगा. ऐसे में अब आरजेडी कांग्रेस के दावे वाली सीटों के साथ जेडीयू से कब बातचीत करती है, नजरें इस पर टिकी हैं.
ये भी पढ़ें- बिहार में किस आधार पर 9 सीटें मांग रही कांग्रेस? पिछली बार 7.9% वोट लेकर जीती थी एक सीट
जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने सीट शेयरिंग को लेकर कहा है कि एक तरफ बीजेपी उम्मीदवार फाइनल करने के साथ ही पन्ना प्रमुख नियुक्त कर रही है, बूथ मजबूत करने में जुटी है तो वहीं अब तक सीट शेयरिंग पर ही बात कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हमारा मैनिफेस्टो कहां है, अन्य चीजों का क्या हुआ? केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के निर्माता हैं लेकिन इस बात के भी एक साल हो गए जब उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के बिना कोई राष्ट्रीय गठबंधन संभव नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि हमारे गठबंधन सहयोगियों के साथ हमारी चिंता जायज है. केसी त्यागी ने यह भी कहा कि अधीर रंजन चौधरी जो क्या कर रहे हैं? पश्चिम बंगाल में यह भी अस्वीकार्य है. उन्होंने यह भी कहा कि अधीर बीजेपी की भाषा बोल रहे हैं.
सीट शेयरिंग बड़ी चुनौती
जेडीयू की प्राथमिकता अपनी 16 सीटिंग सीटें पाना है तो वहीं आरजेडी भी 17 सीटों पर दावा कर रही है. अब कांग्रेस ने 10 सीटों पर दावा कर दिया है. लेफ्ट पार्टियां भी आधा दर्जन सीटें मांग रही हैं. ऐसे में 40 सीटें कैसे बंटेंगी? यह लालू यादव, नीतीश कुमार और कांग्रेस नेतृत्व के लिए भी बड़ी चुनौती होगा.