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वकील बनाम वकील, जातीय वर्चस्व और दलबदलुओं पर दांव... दिल्ली की इन 3 सीटों पर दिलचस्प रहेगा मुकाबला

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. बीजेपी को दो सीटों पर और कांग्रेस को आप के साथ गठबंधन में तीन सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान करना बाकी है. इस बीच आइए आपको तीन लोकसभा सीटों का पूरा समीकरण बताते हैं, जहां मुकाबला सबसे दिलचस्प हो सकता है.

कमलजीत सहरावत, रामवीर सिंह बिधूड़ी, बांसुरी स्वराज कमलजीत सहरावत, रामवीर सिंह बिधूड़ी, बांसुरी स्वराज
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 6:33 AM IST

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली में बीजेपी ने पांच उम्मीदवारों की घोषणा की है. आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के साथ गठबंधन में अपने हिस्से की सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. कांग्रेस पार्टी भी जल्द ही अपने कैंडिडेट्स का ऐलान कर सकती है. दिल्ली की सभी सीटें फिलहाल बीजेपी के पास हैं लेकिन आप-कांग्रेस के गठबंधन की वजह से आगामी चुनाव दिलचस्प हो सकता है.

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सबसे हाई-प्रोफाइल नई दिल्ली सीट पर वकील बनाम वकील

हाई-प्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्रों में से एक में दो प्रतिष्ठित वकीलों के बीच मुकाबला होगा. प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक, अधिकांश न्यायाधीश और वरिष्ठ नेता इसी निर्वाचन क्षेत्र में रहते हैं. इस लोकसभा सीट की विविधता इसके अंतर्गत आने वाले इलाकों में देखी जा सकती है. 

मोती नगर से लेकर ग्रेटर कैलाश तक, करोल बाग, पहाड़ गंज, कनॉट प्लेस, खान मार्केट, साउथ एक्सटेंशन और सरोजिनी नगर जैसे कई व्यापारिक केंद्र इसी संसदीय क्षेत्र में आते हैं. लुटियंस दिल्ली, चाणक्य पुरी, आनंद लोक, वसंत विहार और ग्रेटर कैलाश जैसे पॉश आवासीय इलाके भी नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत हैं. इन चुनावी क्षेत्रों में सरकारी कर्मचारियों को गेम चेंजर माना जाता है लेकिन इस बार यहां वकील बनाम वकील की लड़ाई देखने को मिलेगी.

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दिल्ली में बीजेपी का अब तक का सबसे युवा चेहरा बांसुरी स्वराज, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिल्ली की पूर्व सीएम सुषमा स्वराज की बेटी हैं और पेशे से सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं, उनका सामना एक अन्य वकील और तीन बार के विधायक सोमनाथ भारती से होगा. बांसुरी के पास अपनी मां और पिता के साथ अपनी खुद की राजनीतिक विरासत है. मां सुषमा स्वराज और पिता स्वराज कौशल दोनों प्रसिद्ध राजनेता रहे हैं. 

1998 में जब सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं, तो वह सबसे कम समय यानी 52 दिनों के लिए इस सीट पर रहीं. वह 1996 में दक्षिणी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के कपिल सिब्बल के खिलाफ जीतीं और पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गईं. उस दक्षिणी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के कई इलाके अब नई दिल्ली सीट के अंतर्गत आते हैं, जहां से बांसुरी पहली बार चुनाव लड़ेंगी. उन्हें एक अन्य वकील और राजनेता सोमनाथ भारती से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा जो कांग्रेस के साथ गठबंधन में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.

सोमनाथ भारती ने हाई प्रोफाइल मालवीय नगर विधानसभा से बीजेपी की पूर्व मेयर आरती मेहरा, शीला दीक्षित के कैबिनेट में मंत्री प्रोफेसर किरण वालिया और पूर्व डूसू अध्यक्ष नीतू वर्मा जैसे दिग्गजों को हराकर लगातार तीन बार चुनाव जीता, ये सभी नेता महिला राजनीति के दिग्गज हैं. भारती 2013 में अरविंद केजरीवाल की 49 दिनों की सरकार में भी मंत्री रहे, जब वह अपने विधानसभा क्षेत्र में नाइजीरियाई लोगों को लेकर आधी रात को हुई झड़प जैसे विवादों में आए थे. अभी, वह दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं.

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महावल मिश्रा, सहीराम पहलवान और सोमनाथ भारती

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पश्चिमी दिल्ली में पूर्व सांसद और पूर्व महापौर की लड़ाई और भी बहुत कुछ

पश्चिमी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में इस बार दिलचस्प लड़ाई है, क्योंकि पूर्व कांग्रेस सांसद महाबल मिश्रा को आम आदमी पार्टी ने मौका दिया है. महाबल के बेटे, विनय मिश्रा द्वारका विधानसभा से AAP के विधायक हैं, जिसका प्रतिनिधित्व शीला दीक्षित शासन के दौरान स्वयं महाबल ने किया था. 2009 में महाबल मिश्रा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और पहली बार सांसद बने. 2022 के नगर निगम चुनावों से ठीक पहले महाबल कांग्रेस छोड़कर केजरीवाल में शामिल हो गए और अब वह आप-कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में आप के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. 

महाबल मिश्रा ने पार्षद के रूप में अपना सफर शुरू किया तो इस बार उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंदी श्रीमती कमलजीत सहरावत ने भी अपना राजनीतिक सफर नगर निगम से ही शुरू किया है. 2008 में मटियाला से अपना पहला विधानसभा चुनाव हारने के बाद वह भाजपा की राज्य इकाई में सक्रिय रहीं. 2017 में, उन्होंने अपना पहला चुनाव द्वारका वार्ड से से जीता. इसी साल उन्हें साउथ एमसीडी का मेयर बनाया गया. 

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पांच साल बाद 2022 में वह एक बार फिर एकीकृत एमसीडी के लिए पार्षद चुनी गईं और पिछले साल एकीकृत एमसीडी की स्थायी समिति के सदस्य के रूप में नामांकित और चुनी गईं. वह जाट समुदाय से हैं, उसी समुदाय से परवेश साहिब सिंह वर्मा आते हैं जिनकी जगह वह चुनाव लड़ रही हैं. पश्चिमी दिल्ली इंद्रधनुषी सामाजिक समुदायों वाला एक दिलचस्प निर्वाचन क्षेत्र है. 

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इसमें राजौरी गार्डन, सुभाष नगर, तिलक नगर और हरि नगर जैसे सिख बहुल क्षेत्र हैं. वहीं विकासपुरी, उत्तम नगर, द्वारका, पालम और मटियाला जैसे विधानसभा क्षेत्र हैं जो अनधिकृत कॉलोनियां हैं और यहां कई राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी आबादी रहती है. जैसे बिहार, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बड़ी संख्या में लोग रहते हैं. नजफगढ़ जैसे कई गांव ऐसे भी हैं जहां पारंपरिक जाट मतदाता हैं. इसलिए, इस बार सिख और पंजाबी समुदाय तय करेंगे कि इस प्रतिष्ठित सीट पर कौन जीतेगा.

राजनीतिक दलबदलुओं और गुर्जर प्रभुत्व की लड़ाई

दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में दो गुर्जर नेताओं और मौजूदा विधायकों के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा. AAP ने तुगलकाबाद विधायक सहीराम पहलवान और पूर्व बसपा कैडर और पार्षद को सीट से मैदान में उतारा है. भाजपा ने दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी को मैदान में उतारा है, जो एक काफी पुराने राजनेता हैं जो 2013 में भाजपा में वापस आने से पहले कांग्रेस और एनसीपी सहित कई दलों में रहे. बिधूड़ी वर्तमान में बदरपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं.

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दिलचस्प बात यह है कि रामवीर सिंह बिधूड़ी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1970 के दशक में हरियाणा से भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से की थी लेकिन, जल्द ही वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के साथ काम किया. 1993 में जब दिल्ली विधानसभा का पहला चुनाव हुआ तो बिधूड़ी ने जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और निर्वाचित हुए. 

रामवीर बिधूड़ी 2013 में बीजेपी में शामिल हो गए और विधायक बन गए. 2015 में बिधूड़ी बदरपुर विधानसभा से बीजेपी के टिकट पर हार गए लेकिन 2020 के चुनाव में उसी सीट से वापस जीत गए और विपक्ष के नेता बन गए. दिलचस्प बात यह है कि रमेश बिधूड़ी, जो दक्षिणी दिल्ली से मौजूदा सांसद हैं, रामवीर बिधूड़ी के पड़ोसी हैं और तुगलकाबाद गांव में उनके बगल में रहते हैं.

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सहीराम पहलवान ने 2007 में बीएसपी के टिकट पर पार्षद के रूप में शुरुआत की थी और 2012 में फिर से उसी पार्टी से पार्षद के रूप में चुने गए. 2014 में, सहीराम तत्कालीन साउथ एमसीडी के डिप्टी मेयर बने और फिर उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए अपनी मूल पार्टी बीएसपी छोड़ दी. वह एक ही निर्वाचन क्षेत्र से दो बार चुने गए और मौजूदा सांसद रमेश बिधूड़ी के भतीजे विक्रम बिधूड़ी को हराया.

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इस क्षेत्र की जनसांख्यिकी दिलचस्प हैन, जो बिजवासन, पालम और महरौली जैसी जाट बहुल सीटों से शुरू होती है लेकिन, जाटों के साथ-साथ, छतरपुर, तुगलकबाद, संगम विहार, कालकाजी और बदरपुर जैसे इलाके भी हैं जहां बड़ी संख्या में गुर्जर आबादी रहती है. दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्र में देवली, अंबेडकर नगर और संगम विहार जैसे बेहद पिछड़े इलाके भी शामिल हैं.
 

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