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Lok Sabha Elections 2024: कौन है इंजीनियर राशिद, जिसने जेल में बैठे-बैठे ही कश्मीर के कद्दावर नेता Omar Abdullah को हरा दिया?

शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में टैरर-फंडिंग के मामले में बंद हैं. लेकिन इसमें बताने लायक बात क्या? ये वो शख्स है, जिसने जेल में बैठे हुए ही जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्री उमर अबदुल्ला को पछाड़ दिया, वो भी निर्दलीय उम्मीदवार रहते हुए. उनके पक्ष का प्रचार उनके दो बेटों ने किया था.

बारामूला से उमर अब्दुल्ला ने अपनी हार स्वीकार कर ली है. बारामूला से उमर अब्दुल्ला ने अपनी हार स्वीकार कर ली है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 04 जून 2024,
  • अपडेटेड 6:36 PM IST

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 6 लोकसभा सीटों पर वोटों की गिनती जारी है.  चुनावी परिणामों के दौरान किसी भी तरह हिंसा को रोकने के लिए घाटी में सुरक्षा के इंतजाम बेहद कड़े हैं. इस दौरान वहां एक दिलचस्प बात दिख रही है. बारामूला लोकसभा सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के बड़े नेता उमर अब्दुल्ला चुनाव हार रहे हैं, वो भी जेल में बैठे इंजीनियर से. खुद को इंजीनियर राशिद कहने वाला ये नेता निर्दलीय कैंडिडेट है. 

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खुद उमर अब्दुल्ला ने ये बात कह दी. उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर राशिद को बधाई देते हुए लिखा कि जो हो रहा है, ये उसे स्वीकारने का समय है. नॉर्थ कश्मीर में जीत के लिए इंजीनियर राशिद को बधाई. मुझे नहीं लगता कि उनकी जीत उन्हें जेल से बाहर ला सकेगी, न ही उत्तरी कश्मीर के लोगों को उनका प्रतिनिधि मिल सकेगा, जो कि उनका अधिकार भी है. लेकिन वोटर्स ने अपना पक्ष जता दिखा, लोकतंत्र में यही मायने रखता है. 

जिस कैंडिडेट का नाम भी शायद कम ही लोग जानते हों, उसने कश्मीर के प्रभावशाली नेता को हरा दिया. जानिए, कौन है इंजीनियर राशिद उर्फ अब्दुल राशिद.



उत्तरी कश्मीर की राजनीति में ये नाम उतना भी अनाम नहीं. राशिद वहां से दो बार एमएलए रह चुके हैं. हालांकि पिछले पांच सालों से वे यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) के चार्ज में तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं. वैसे राशिद अवामी इत्तेहाद पार्टी से हुआ करते थे, लेकिन इस चुनाव में वे निर्दलीय उम्मीदवार थे. वैसे साल 2019 के आम चुनाव में भी वे इंडिपेंडेंट दावेदार थे, लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुहम्मद अकबर लोन से हार गए. 

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कब लगा था चार्ज

साल 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने टैरर फंडिंग के आरोप में राशिद को गिरफ्तार कर लिया. भारत के इतिहास में वो पहले लीडर थे, जिनपर आतंकी गतिविधियों का आरोप लगा. 

जेल से कैसे लड़ा चुनाव

अब्दुल राशिद तो तिहाड़ में थे, लेकिन जमीन पर लोग उन्हें पहचानते थे. इसका फायदा मिला. जहां तक चुनाव प्रचार की बात है तो ये काम उनके दो बेटों- अबरार राशिद और असरार राशिद ने किया. बेटों ने लगातार रैलियां और सभाएं कीं, जिसमें वे अपने पिता के पक्ष में वोट देने की अपील करते नजर आए. 

अनंतनाग राजौरी लोकसभा सीट पर पीडीपी की उम्मीदवार महबूबा मुफ्ती की करारी हार दिख रही है. जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार मियां अल्ताफ अहमद इस सीट पर उनसे काफी आगे चल रहे हैं. महबूबा ने भी एक्स पर अपनी हार लगभग स्वीकारते हुए लिखा कि मैं लोगों के फैसले का सम्मान करती हूं. हार-जीत खेल का हिस्सा है और हमें रास्ते से नहीं भटका सकता.

वैसे बता दें कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार चुनाव हुआ, जिसमें रिकॉर्ड मतदान देखने में आया. पहले माना जा रहा था कि ये भाजपा के खिलाफ जा रहे वोट होंगे, लेकिन काउंटिंग में माजरा उतना उलट भी नहीं दिख रहा. पांच सीटों के लिए जेकेएन और बीजेपी दोनों ही दो-दो सीटों पर आगे चल रहे हैं, जबकि निर्दलीय में केवल एक कैंडिडेट राशिद आगे हैं. 

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