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छह सीटों पर आधे से भी कम मतदान के क्या संदेश? फेज-2 में भी जारी रहा Low Voting का सिलसिला

पिछले लोकसभा चुनाव में, भारत में औसतन लगभग 70 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन इस साल के लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में उल्लेखनीय कमी देखी गई. शाम 5 बजे तक केवल 60 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, यह गिरावट मतदाता सहभागिता में बदलाव का संकेत देती है, जो देश में मतदान के दौरान राजनीतिक गतिशीलता में संभावित बदलावों को उजागर करती है.

जम्मू में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के दौरान वोट डालने पहुंची महिलाएं जम्मू में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के दौरान वोट डालने पहुंची महिलाएं
दीपू राय/सम्राट शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 26 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 11:37 PM IST

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह ही शुक्रवार को हुए दूसरे चरण में  मतदान 2019 की तुलना में कम ही हुए हैं. दूसरे फेज में 13 राज्यों की 88 सीटों पर वोटिंग हुई. शाम 5 बजे तक उपलब्ध अनंतिम डेटा ये संकेत देता है कि लोकतंत्र के महापर्व में मतदाताओं भागीदारी में व्यापक गिरावट आई है. ये एक तरीके से बदलाव का इशारा भी हो सकता है जो कि इलेक्शन के फाइनल रिजल्ट पर असर डाल सकता है. 

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दूसरे फेज में भी मतदान में कमी
पिछले लोकसभा चुनाव में, भारत में औसतन लगभग 70 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन इस साल के लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में उल्लेखनीय कमी देखी गई. शाम 5 बजे तक केवल 60 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, यह गिरावट मतदाता सहभागिता में बदलाव का संकेत देती है, जो देश में मतदान के दौरान राजनीतिक गतिशीलता में संभावित बदलावों को उजागर करती है.

कहां कितने प्रतिशत मतदान?
छह निर्वाचन क्षेत्रों - मध्य प्रदेश में रीवा, बिहार में भागलपुर, उत्तर प्रदेश में मथुरा और गाजियाबाद, और कर्नाटक में बेंगलुरु दक्षिण और सेंट्रल में वोट डालने के लिए 50 प्रतिशत से कम मतदाता मतदान केंद्रों पर आए. राज्य-वार, असम में सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत में आठ प्रतिशत से लेकर 13.9 प्रतिशत तक की कमी देखी गई. बिहार के निर्वाचन क्षेत्रों में 8.23 ​​प्रतिशत से 12 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. 

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छत्तीसगढ़ में तुलनात्मक रूप से मामूली गिरावट देखी गई, जिसमें सबसे मामूली गिरावट केवल 0.86 प्रतिशत थी. कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में भी महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई, केरल में दोहरे अंकों में गिरावट देखी गई, जिनमें से सबसे बड़ी गिरावट वडकारा में 18.24 प्रतिशत थी.

इसी तरह, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में मतदान में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई, राजस्थान के अजमेर जिले में 14.89 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट देखी गई. त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों ने इस गिरावट की प्रवृत्ति का अनुसरण किया, जिससे पूरे मंडल में चुनावी व्यस्तता में व्यापक कमी की पुष्टि हुई. किसी भी राज्य में मतदान प्रतिशत में वृद्धि नहीं दिखी है, जो कि चुनाव के इस चरण में मतदाताओं की कम भागीदारी की एक राष्ट्रव्यापी प्रवृत्ति को उजागर करता है.

इन राज्यों में भी कम वोटिंग
फेज-2 में शुक्रवार को 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदान हुआ और कम मतदान का सिलसिला इस चरण में भी जारी रहा. ऐसे 11 राज्यों - असम, बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में शाम 5 बजे तक उत्तर प्रदेश में मतदान सबसे कम रहा, इसके बाद बिहार का स्थान रहा. दोनों राज्यों में लगभग 53 प्रतिशत मतदान हुआ. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी 60 प्रतिशत से कम मतदान हुआ. इसके विपरीत, त्रिपुरा और मणिपुर में मतदान प्रतिशत सबसे अधिक - 75 प्रतिशत से अधिक रहा. पहले चरण में भी दोनों राज्यों में अपेक्षाकृत अधिक मतदान हुआ. 

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फेज-2 के चुनाव में इन उम्मीदवारों की साख दांव पर
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में, 1,210 उम्मीदवारों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और शशि थरूर, भारतीय जनता पार्टी के तेजस्वी सूर्या, केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, हेमा मालिनी और अरुण गोविल जैसे अभिनेता-राजनेता खासतौर पर शामिल रहे. 2019 में, NDA ने 88 में से 54 सीटें जीतीं, जबकि UPA ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की. इस संख्या में दो पूर्व निर्दलीय शामिल हैं जो हाल ही में भगवा रैंक में शामिल हुए हैं. इसके अलावा, परिसीमन प्रक्रिया के बाद इनमें से छह सीटों का पुनर्गठन किया गया.
 

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