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शिवपाल की जगह उनके बेटे आदित्य लड़ेंगे बदायूं से चुनाव, सपा की एक और लिस्ट जारी

समाजवादी पार्टी ने बदायूं लोकसभा सीट से शिवपाल यादव की जगह उनके बेटे आदित्य यादव को प्रत्याशी बनाया है. इससे पहले शिवपाल यादव ने खुद चुनाव ना लड़ने की बात कह कर अपने बेटे को चुनाव लड़ाने की घोषणा की थी. कल आदित्य यादव बदायूं से नामांकन करेंगे. 

फाइल फोटो फाइल फोटो
समर्थ श्रीवास्तव/अंकुर चतुर्वेदी
  • लखनऊ,
  • 14 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 9:24 PM IST

समाजवादी पार्टी ने बदायूं लोकसभा सीट से शिवपाल यादव की जगह उनके बेटे आदित्य यादव को प्रत्याशी बनाया है. इससे पहले शिवपाल यादव ने खुद चुनाव ना लड़ने की बात कह कर अपने बेटे को चुनाव लड़ाने की घोषणा की थी. कल आदित्य यादव बदायूं से नामांकन करेंगे. सपा ने सुल्तानपुर सीट पर भी प्रत्याशी बदल दिया है. भीम निषाद की जगह बीजेपी की मेनका गांधी के सामने अब इंडिया अलायन्स के प्रत्याशी राम भूआल निषाद होंगे.

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राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद का विरोध मंचों से जरूर होता है, लेकिन कोई भी पार्टी इससे अछूती दिखाई नहीं देती. मुलायम सिंह यादव के परिवार से आज वंशवाद को आगे बढ़ाने का एक और मिसाल दिखा. आज शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव को बदायूं लोकसभा से प्रत्याशी बनाया गया है. आदित्य यादव का यह पहला चुनाव है.

इन्हें भी मिला टिकट
अखिलेश यादव परिवारवाद का विरोध दबी जुबान करते हैं, लेकिन चुनाव में टिकट देने की बात आती है तो अखिलेश यादव भी परिवारवाद से अछूते नजर नहीं आते. समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अभी तक जारी टिकट में अपने परिवार से धर्मेन्द्र यादव को आजमगढ़ से, डिंपल यादव को मैनपुरी से, फिरोजाबाद से अक्षय यादव और अब आदित्य यादव को बदायूं से मैदान में उतारा है. 

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आदित्य यादव ने परिवारवाद से किया इनकार
आदित्य यादव को टिकट मिलने के बाद जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि जनता और कार्यकर्ताओं की मांग पर मुझे टिकट दिया गया है. मुझे या किसी को टिकट मिलने के बाद जनता के बीच जाकर उनका आशीर्वाद लेना होता है. उसके बाद ही हम सांसद या विधायक बनते हैं. राज्यसभा या एमएलसी बनकर संसद या विधानसभा में नहीं बैठ रहे है. आप इसको परिवारवाद नहीं कह सकते हैं.

भाजपा ने साधा निशाना
आदित्य यादव के टिकट की घोषणा के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने कहा कि यह समाजवादी नहीं है, परिवारवादी पार्टी है. इनके परिवार से ही सांसद और विधायक बनाए जाते हैं. कार्यकर्ताओं का कोई सम्मान नहीं है. बीजेपी में ही एक कार्यकर्ता बूथ से लेकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुंच सकता है. अब बदायूं समाजवादियों के लिए आसान सीट नहीं रह गई है, जिसके चलते शिवपाल ने अपनी किरकिरी बचाने के लिए अपने बेटे को आगे कर दिया है. 

उन्होंने कहा कि बदायूं से शिवपाल की जगह अगर अखिलेश यादव भी चुनाव लड़ते तब भी कमल खिलाना निश्चित था. बीजेपी ने बदायूं में दुर्विजय सिंह शाक्य जो कि एक कार्यकर्ता है, उन्हें प्रत्याशी बनाया है. पूरी पार्टी उनको चुनाव लड़ा रही है और बहुत बड़े अंतर से बदायूं की सीट बीजेपी जीतने वाली है.

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