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बंगाल में अकेले लड़ेंगी ममता, UP में अखिलेश का दबदबा, महाराष्ट्र में उद्धव गुट ने दिखाई आंख... सीट शेयरिंग से पहले इंडिया ब्लॉक में टकराव!

इंडिया अलायंस के सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग से पहले ही टकराव देखने को मिल रहा है. उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर विवाद हो गया है. पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की दावेदारी ने अलायंस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच लड़ाई है.

विपक्षी गठबंधन के लिए सीट शेयरिंग का मसला चुनौती बनता जा रहा है. विपक्षी गठबंधन के लिए सीट शेयरिंग का मसला चुनौती बनता जा रहा है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST

लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन इंडिया अलायंस में सीट बंटवारे का फॉर्मूला कैसा रहेगा? इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में तो चर्चाएं चल ही रही हैं, लेकिन गठबंधन के सहयोगी दलों में भी अभी से टकराव और विवाद की खबरें आने लगी हैं. महाराष्ट्र में खुलकर यह लड़ाई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिखने लगी है. शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस नेता आपस में भिड़ गए हैं. पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री और टीएमसी नेता ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वो अपने राज्य में अकेले लड़ाई लड़ेंगी. यानी कांग्रेस और लेफ्ट को सीट शेयरिंग के लिए तैयार नहीं हैं. इसी तरह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का यूपी में दबदबा देखने को मिल रहा है. अखिलेश लगातार इसके संकेत भी दे रहे हैं.

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बता दें कि इंडिया गठबंधन की बैठक में सीटों को लेकर सहमति बनाने के लिए 31 दिसंबर की डेडलाइन तय की गई लेकिन यह कैसे होगा? यह स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है. पंजाब, दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और यूपी तक में सीट शेयरिंग पर पेंच फंसा है और अलायंस में शामिल पार्टियों के स्थानीय नेताओं में टकराव देखने को मिल रहा है. हालांकि, दिल्ली की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि पहले राज्य स्तर पर सीटों का मसला सुलझाने की कोशिश होगी. वहां बात नहीं बन पाई तब इसे दिल्ली में सुलझाया जाएगा. दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में जहां दिक्कत है, वहां समस्या कैसे सुलझाना है, ये बाद में तय किया जाएगा. अब डेडलाइन में सिर्फ एक दिन ही बाकी है.

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'महाराष्ट्र: कोई भी हिस्सा छोड़ने को तैयार नहीं'

सबसे पहले बात महाराष्ट्र की करते हैं. यहां इस बात को लेकर चर्चा है कि महाविकास अघाड़ी में शामिल दल कांग्रेस, उद्धव गुट और एनसीपी में सीटों का बंटवारा कैसे होगा. राज्य में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं. उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से 23 सीटों की मांग की जा रही है. इसकी सूची तैयार कर ली है. हालांकि, अलायंस में शामिल कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है. अलायंस में प्रकाश अंबेडकर की पार्टी भी आएगी. हर कोई अपना हिस्सा चाहता है. कोई भी हिस्सा छोड़ने को तैयार नहीं है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सीट शेयरिंग को लेकर उद्धव गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत और कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा के बीच टकराव देखा गया है.

संजय राउत ने कहा, 'कांग्रेस जीरो से शुरुआत करेगी'

शिवसेना उद्धव गुट से राज्यसभा सांसद संजय राऊत ने सीधे तौर पर 23 सीटों पर दावा किया और कहा, पश्चिम मुंबई सीट को लेकर अभी तक शिवसेना और कांग्रेस के बीच चर्चा नहीं हुई है, इसलिए भले ही अभी कुछ लोग इस पर चर्चा कर रहे हैं, हम इस पर वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे और फैसला लेंगे. राउत ने कहा, ठाकरे की शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. राउत ने यह भी साफ किया कि जिन सीटों पर शिवसेना ने चुनाव लड़ा है, उन पर दावेदारी कायम रहेगी. राउत ने कहा, कांग्रेस को हमें यह नहीं बताना चाहिए कि शिवसेना अलग हुई है या नहीं. भले ही विधायक और सांसद पार्टी छोड़ रहे हैं, लेकिन जनता ही उन्हें चुनती है. 23 सीटों पर शिवसेना ने स्थायी रूप से चुनाव लड़ा है और उनमें से 18 पर शिवसेना के उम्मीदवार हैं. अब भले ही कुछ सांसदों ने शिवसेना छोड़ दी है, लेकिन उन्होंने मजबूती से कहा कि शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

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'दिल्ली में चर्चा चल रही है'

संजय राउत ने कांग्रेस की आलोचना की और कहा, आपने कौन सी सीटें जीती हैं. महाराष्ट्र में कांग्रेस जीरो से शुरुआत करेगी. वो महाविकास अघाड़ी में हमारे महत्वपूर्ण साथी हैं. हमने वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की है. हम दिल्ली में नेताओं से चर्चा के बाद इस बात पर जोर दे रहे हैं. अभी भी कुछ नेता हमारी आलोचना कर रहे हैं लेकिन हम उन्हें नजरअंदाज करते हैं. राउत ने संजय निरूपम को सलाह दी कि जब तक कांग्रेस आधिकारिक तौर पर स्थिति स्पष्ट नहीं करती, तब तक इस मामले पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है.

'महाराष्ट्र में शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी'

राउत का कहना था, यह महाराष्ट्र है और शिवसेना यहां की सबसे बड़ी पार्टी है. आज भी महाराष्ट्र में शिवसेना नंबर एक पार्टी है. लोग शिवसेना और शरद पवार के पूर्ण समर्थन में हैं. एमवीए के बीच सीट बंटवारे के मुद्दे पर कोई टकराव नहीं है. कांग्रेस के पास महाराष्ट्र में एक भी सांसद नहीं है. हमारे पास 18 सांसद थे लेकिन कुछ चले गए और हमारे पास अभी 6 सांसद हैं. हमारा गठबंधन कांग्रेस के साथ है और महा विकास अघाड़ी करीब 40 सीटें जीतेगी. बीजेपी को जीतने के लिए ईवीएम की जरूरत है, वे अकेले नहीं जीत सकते. उनका गठबंधन ईवीएम के साथ है.

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'तो फिर हमें कौन सी सीट पर लड़ना है?'

वहीं, कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने 23 सीटों पर शिवसेना के दावे पर आपत्ति जताई है. निरुपम ने कहा है कि अगर शिवसेना 23 सीटों का दावा करती है तो फिर यह भी बता दें कि हमें कौन सी सीट पर चुनाव लड़ना चाहिए. अगर राज्य में शिवसेना-राष्ट्रवादी और कांग्रेस और वंचित बहुजन अघाड़ी एक साथ आते हैं तो गठबंधन की संभावना है. अगर महाविकास अघाड़ी का कोई घटक दल ज्यादा सीटों पर जोर देगा तो नुकसान की संभावना है.

'23 सीटों के लिए नेता कहां हैं?'

कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा है कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) अब काफी कमजोर हो गई है. 23 सीटें देने का सवाल ही नहीं उठ रहा है. उन्होंने पूछा- वो 23 सीटों का क्या करेंगे? उनके सारे नेता चले गए हैं. उनके (उद्धव ठाकरे) उम्मीदवार कहां हैं? अब कोई नहीं जानता कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के पास कितने वोटर हैं. कांग्रेस का कहना है कि पूरा देश जानता है कि कांग्रेस के पास कितने वोटर हैं. हमारे पास भी नेता, कार्यकर्ता और वोटर है. एक-दूसरे की कमियों को पूरा करके और एक-दूसरे को साथ लेकर हम मजबूत होकर सामने आएंगे और बीजेपी को रोकेंगे. अगर हमें बीजेपी को रोकना है तो आपस में लड़ने से काम नहीं चलेगा. निरुपम ने सलाह दी, निश्चित रूप से ना सिर्फ कांग्रेस, बल्कि सभी दलों को समझौता करना होगा. कांग्रेस नेता संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा का कहना है कि शिवसेना के अधिकांश सांसद अब एकनाथ शिंदे गुट के साथ हैं और कांग्रेस अब महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.

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'कांग्रेस हाईकमान तय करेगा सीटों का फॉर्मूला'

कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का कहना है, हम महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए मुकुल वासनिक के नेतृत्व में एकत्र हुए हैं. जो चर्चाएं हुईं हैं, उन पर आलाकमान निर्णय लेगा. हमारा एकमात्र उद्देश्य यह है कि महाराष्ट्र में बीजेपी को सत्ता से बाहर करना है. सीटों का बंटवारा योग्यता के आधार पर होगा. महाराष्ट्र के एआईसीसी प्रभारी रमेश चेन्निथला कहते हैं, यह राज्य के नेताओं और गठित कमेटी के साथ सिर्फ शुरुआती चर्चा है. नागपुर से हमारी रैली ने चुनाव के लिए स्पष्ट आह्वान कर दिया है. वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं की बैठक के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना है कि हम सिर्फ स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं, जो लोग बैठक में आए थे, उन्होंने अपने क्षेत्रों में पार्टी की स्थिति के बारे में चर्चा की. 

'बंगाल में बीजेपी से अकेले मुकाबला करना चाहती हैं ममता'

अगले साल लोकसभा चुनाव हैं. यानी कुछ महीने का समय ही बाकी है. इससे पहले गुरुवार को ममता बनर्जी ने बंगाल में अकेले चुनाव में उतरने की इच्छा जताई थी. ममता बनर्जी ने कहा था, इंडिया अलायंस पूरे देश में होगा. बंगाल में टीएमसी लड़ेगी और बीजेपी को हराएगी. बंगाल में केवल टीएमसी ही बीजेपी को सबक सिखा सकती है. कोई अन्य पार्टी नहीं. वे उत्तर 24 परगना में एक सभा को संबोधित कर रही थीं. ममता के इस बयान से साफ है कि वो ज्यादा समझौते करने के मूड में नहीं हैं. ममता का बयान भी बताता है कि वो लेफ्ट और कांग्रेस को स्पष्ट संकेत दे रही हैं कि बंगाल में उनका जनाधार नहीं है. चुनावी लड़ाई सिर्फ टीएमसी और बीजेपी के बीच होगी. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा, इंडिया अलायंस देशभर में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगा.

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TMC के साथ लेफ्ट के बैठने की औकात नहीं: कुणाल घोष

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता कुणाल घोष ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में वाम दलों पर तंज कसा और विपक्षी गुट INDIA और सीट बंटवारे के मामले पर भी बात की. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, राज्य में वाम दल अपना आधार खो चुके हैं. यहां कोई 'लेफ्ट' नहीं है. टीएमसी के साथ बैठने की औकात भी लेफ्ट लोगों की नहीं है. टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा, ममता बनर्जी ने स्पष्ट कर दिया है कि इंडिया गठबंधन देश में लड़ेगा और टीएमसी बंगाल में बीजेपी विरोधी लड़ाई के खिलाफ नेतृत्व देगी. हमने 2021 में बीजेपी को हराया. सीपीआई (एम) और कांग्रेस को एक साथ शून्य मिला और वोट बांटकर बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की. सीट शेयरिंग पर आखिरी फैसला ममता बनर्जी करेंगी. यहां कोई 'लेफ्ट' नहीं है.

'यूपी में अखिलेश के फॉर्मूले पर मिलेंगी सीटें?'

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन ना होने से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव नाराज हैं. अखिलेश अलायंस में यूपी की कमान खुद अपने हाथों में रखना चाहते हैं. उन्होंने मध्य प्रदेश में यहां तक स्पष्ट कर दिया था कि अगर कांग्रेस उन्हें सीटें देने को तैयार नहीं तो यूपी में सपा बड़े भाई की भूमिका में है. हालांकि, बाद में अखिलेश दिल्ली की बैठक में गए और अपनी बात रखी. जानकार कहते हैं कि बैठक में सपा नेता अखिलेश यादव यूपी में अपनी पार्टी और गठबंधन में शामिल अन्य दलों के लिए सीटों का फॉर्मूला लेकर आए. उनका कहना है कि अलायंस में शामिल पार्टियां अपनी ताकत और हैसियत के हिसाब से उत्तर प्रदेश में सीटें लें, ना कि सिर्फ अपना नंबर बढ़ाने के लिए सीट मांगें. अखिलेश लगातार कह रहे हैं कि सीट बंटवारे का एकमात्र फॉर्मूला जीत की गारंटी होनी चाहिए. यानी जो उम्मीदवार जीतने की ताकत और हैसियत रखता है, उसे टिकट मिलना चाहिए, फिर वो चाहे किसी पार्टी का हो. अखिलेश यादव कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर बीजेपी को हराने का फॉर्मला उनका पीडीए तैयार कर रहा है जो कि इंडिया अलायंस के बैनर तले लड़ा जाएगा. दरअसल, अखिलेश यादव पूरे उत्तर प्रदेश में सीट बंटवारे में अपना नेतृत्व चाहते हैं. यानी उनकी अगुवाई में ही घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर सहमति बने.

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पंजाब और दिल्ली में भी सीट को लेकर फंसा पेंच

इसी तरह आम आदमी पार्टी भी दिल्ली और पंजाब में अपने हिसाब से सीटों का बंटवारा चाहती है. AAP का कहना है कि दिल्ली और पंजाब में AAP सबसे बड़ी पार्टी है. इसलिए वो खुद सीटों का फॉर्मूला तय करेगी. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पंजाब की सभी 13 सीटों पर दावेदारी भी ठोंक दी है. केजरीवाल का कहना है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है. वहीं, कांग्रेस नेता अपना हिस्सा मांग रहे हैं. यहां फिलहाल सीट शेयरिंग को लेकर दोनों ही पार्टियों में टकराव तेज होने की संभावना है. इसी तरह दिल्ली में भी सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंस सकता है. दिल्ली में भी AAP सत्ता में है.

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग कहते हैं कि हमें अब तक तो नेतृत्व ने यही कहा है कि सभी सीटों पर चुनाव लड़ना है. ऐसे में पंजाब कांग्रेस हर सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. दोनों दलों के बीच समझौता कैसे होगा? यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. बताते चलें कि दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से सत्ता छीनी है और सरकार बनाई है. कांग्रेस के स्थानीय नेता AAP के साथ आने को तैयार नहीं हैं. इसी तरह, केजरीवाल की पार्टी भी कांग्रेस को सीटें देने के मूड में नहीं है.

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