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मायावती ने फिर चला यूपी के विभाजन का चुनावी दांव, 'जाट लैंड' को लेकर किया बड़ा वादा

मायावती ने कहा कि पश्चिमी यूपी में, खासकर मुजफ्फरनगर जिले में हमने कोई भी दंगा नहीं होने दिया. सपा सरकार में जाट-मुस्लिम भाईचारे को तोड़ा गया. हमने जाट समाज की उपेक्षा नहीं की. मैं मुजफ्फरनगर से मुस्लिम प्रत्याशी को लड़ाना चाहती थी मगर दहशत में कोई नहीं लड़ा, फिर हरिद्वार से मुज़फ्फरनगर के मौलाना जमील को टिकट दिया है.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुजफ्फरनगर में जनसभा को किया संबोधित बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुजफ्फरनगर में जनसभा को किया संबोधित
संदीप सैनी
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 10:28 PM IST

बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुजफ्फरनगर के चुनावी मंच से एक बार फिर प्रदेश विभाजन का कार्ड चला है. यहां उन्होंने बसपा प्रत्याशी के समर्थन में रैली की और कहा कि, अगर केंद्र में उनकी सरकार मजबूती के साथ आती है तो पश्चिम उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे. इस तरह से एक बार फिर विभाजन की बात चुनावी माहौल में सामने आ गई है. 

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बसपा ने मुजफ्फरनगर में की रैली
दरअसल, बसपा सुप्रीमो मायावती रविवार को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर, सहारनपुर पहुंची थीं. यहां उन्होंने अपने प्रत्याशी के प्रचार में एक जनसभा को संबोधित किया, जिसके बाद उन्होंने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के लिए जीआईसी मैदान में भी एक रैली को संबोधित किया. बसपा ने यहां से दारा सिंह प्रजापति को प्रत्याशी बनाया है. मंच से जनता को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि अगर केंद्र में उनकी सरकार मजबूती के साथ आती है तो पश्चिम उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे. 

क्या बोलीं मायावती?
मायावती ने कहा कि पश्चिमी यूपी में, खासकर मुजफ्फरनगर जिले में हमने कोई भी दंगा नहीं होने दिया. सपा सरकार में जाट-मुस्लिम भाईचारे को तोड़ा गया. हमने जाट समाज की उपेक्षा नहीं की. मैं मुजफ्फरनगर से मुस्लिम प्रत्याशी को लड़ाना चाहती थी मगर दहशत में कोई नहीं लड़ा, फिर हरिद्वार से मुज़फ्फरनगर के मौलाना जमील को टिकट दिया है. देश में भ्रष्टाचार है और देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से मुसलमानों का शोषण किया जा रहा है. केंद्र में सरकार बनने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के लिए कठोर कदम उठाया जाएगा. 

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प्रदेश विभाजन रहा है बसपा के एजेंडे में शामिल
बता दें कि बसपा के एजेंडे में प्रदेश का विभाजन शामिल रहा है, और मायावती खुले मंचों से इसकी मांग करती रही हैं. वहीं, उत्तर प्रदेश में दो मांगे तो हर चुनाव में प्रमुखता से उठती रही हैं. एक तो 'जाट लैंड' को अलग राज्य बनाया जाए तो वहीं, हाईकोर्ट की बेंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश को मिले. इसके लिए आगरा और मेरठ का नाम भी चर्चा में रहा है. दरअसल, उत्तर प्रदेश सबसे बड़ी लोकसभा सीटों वाला राज्य है और पूर्व से पश्चिम तक इसमें काफी विविधता भी है. ऐसे में हाईकोर्ट इलाहाबाद में होने से कानूनी मामलों में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. हाईकोर्ट की ही पीठ लखनऊ में बनाई गई है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए यह भी बहुत नजदीक नहीं है. 

सीएम रहते साल 2011 में मायावती ने दिया था प्रस्ताव
ऐसे में बसपा लगभग हर चुनाव में प्रदेश विभाजन की मांग करती रही है. साल 2011 में बसपा ने उत्तर प्रदेश को 4 राज्यों में बांटने का प्रस्ताव दिया था. वह तब प्रदेश की सीएम थीं और इस दौरान उनके प्रस्ताव के मुताबिक, देश के सबसे बड़े राज्‍य (आबादी के लिहाज से) उत्तर प्रदेश को बांट कर 4 अलग-अलग राज्‍य बनाने की बात कही गई थी. जो राज्‍य बनते उनके नाम हरित प्रदेश, अवध प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वांचल दिए गए थे.

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'जाट लैंड' क्या है?
विशेषतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शहरों में जाट बाहुल्य आबादी होने के कारण इसे जाटलैंड कहा जाता है. इनमें मेरठ, सहारानपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, बुलंदशहर, बिजनौर, हापुड़, शामिल हैं. हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश इस परिभाषा से कहीं अधिक विस्तार लिए हुए है, जिनमें आगरा, मथुरा, कासगंज, अलीगढ़, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, एटा जैसे जिले भी आते हैं.  

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