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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती जब अपने जन्मदिन के मौके पर मीडिया के सामने आईं, ऐसा माना जा रहा था कि वह विपक्षी इंडिया गठबंधन को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकती हैं. हुआ भी कुछ ऐसा ही. मायावती ने जब अपनी बात कहनी शुरू की, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को निशाने पर लिया. मायावती के संबोधन की शुरुआत में इंडिया गठबंधन के लिए पॉजिटिव साइन था लेकिन उनकी बात जैसे-जैसे आगे बढ़ी, तस्वीर उलटी होती चली गई. बसपा प्रमुख ने बीजेपी के साथ ही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर भी निशाना साधा और यह ऐलान भी कर दिया कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी से गठबंधन किए बगैर अकेले ही मैदान में उतरेगी.
अखिलेश को कहा गिरगिट
इंडिया गठबंधन की दिल्ली बैठक में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा के साथ बातचीत को लेकर तल्ख तेवर दिखाते हुए यह तक कह दिया था कि अगर मायावती की पार्टी गठबंधन में आई तो उनकी पार्टी को भी अपना स्टैंड क्लियर करना पड़ेगा. अखिलेश ने इंडिया गठबंधन से सपा के बाहर जाने तक की बात कह दी थी. मायावती ने इंडिया गठबंधन की इस बैठक का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव को गिरगिट तक बता दिया. मायावती ने कहा कि कांग्रेस, बीजेपी और इनकी सभी सहयोगी पार्टियों की सोच पूंजीवादी, सामंतवादी और सांप्रदायिक है. यह पार्टियां इन्हें (दलित और अति पिछड़े) अपने पैरों पर खड़ा होते नहीं देख सकती हैं. आरक्षण का भी पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि सभी पार्टियां अंदर ही अंदर एक होकर साम-दाम-दंड-भेद का इस्तेमाल कर दलितों को सत्ता से दूर रखना चाहती हैं. इनसे सावधान रहने और हर वर्ग को बसपा से जुड़ने की जरूरत है. मायावती ने इंडिया गठबंधन की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि सपा प्रमुख ने जिस तरह बसपा प्रमुख को लेकर गिरगिट की तरह रंग बदला है, इससे भी सावधान रहना है. उन्होंने आकाश आनंद को अपना एकमात्र उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद राजनीति से संन्यास की अटकलों पर भी विराम लगा दिया और कहा कि ऐसी खबरों में रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है.
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INDIA गठबंधन को क्लियर NO
मायावती ने इंडिया गठबंधन में शामिल होने के कयासों पर भी विराम लगा दिया. मायावती ने साफ कहा कि बसपा लोकसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी. बसपा किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी. हालांकि, उन्होंने चुनाव बाद गठबंधन का विकल्प भी खुला रखा. बसपा प्रमुख ने गठबंधन नहीं करने की वजहें भी बताईं और कहा कि पार्टी का नेतृत्व दलित हाथ में है. हमारा वोट तो सहयोगी पार्टी को ट्रांसफर हो जाता है लेकिन दूसरी जातियों का वोट बसपा को नहीं मिलता. उन्होंने पिछले चुनावों में गठबंधन का उदाहरण भी दिया और अकेले चुनाव लड़कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का भी उदाहरण दिया.
मायावती ने कहा कि 1993 में हमने सपा से गठबंधन किया था. हम कम सीटें जीत पाए थे और गठबंधन का लाभ सपा को मिला. 1996 में बसपा-कांग्रेस का गठबंधन था और तब कांग्रेस को अधिक फायदा मिला. उन्होंने यह भी कहा कि 2002 में बसपा ने अकेले चुनाव लड़ा और करीब सौ सीटें जीतीं. 2007 में अकेले लड़े और पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. मायावती ने ईवीएम पर भी सवाल उठाए और कहा कि 2007 के चुनाव के समय ईवीएम का शुरुआती दौर था और इसलिए तब धांधली या बेईमानी संभव नहीं थी. अब जिस तरह से हर चुनाव में धांधली हो रही है, बसपा को यूपी के साथ ही बाकी देश में भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने चुनाव बाद गठबंधन का विकल्प खुला रखा, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि गठबंधन उनकी शर्तों पर होगा.
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फ्री राशन स्कीम को बताया गुलामी का टूल
मायावती ने मोदी सरकार की फ्री राशन स्कीम को गुलामी का टूल बताते हुए कहा कि हमने यूपी में अपनी चार बार की सरकार में सभी वर्गो के लिए काम किया. अल्पसंख्यक, गरीब, किसान और अन्य मेहनतकश लोगों के लिए जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की थीं. उन्होंने कहा कि सरकारें नाम और स्वरूप बदलकर उन योजनाओं को अपना बनाने का प्रयास कर रही हैं लेकिन जातिवादी होने के कारण यह काम नहीं हो पा रहा है. मायावती ने कहा कि रोजगार के साधन देने की बजाय फ्री में थोड़ा सा राशन आदि देकर इनको अपना गुलाम बना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बसपा की सरकार ने वर्तमान सरकारों की तरह अपना मोहताज नहीं बनाया बल्कि सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में रोजगार के साधन दिए जिससे वह सम्मान और स्वाभिमान के साथ जी सकें. यह सरकार लोगों को गरीबी और बेरोजगारी से मुक्ति दिलाने, स्वाभिमान के साथ जीने का अवसर उपलब्ध कराने की बजाय थोड़ा सा मुफ्त राशन बांटकर गुलाम बनाने की कोशिश कर रही है. मायावती ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें धर्म और संस्कृति की आड़ में राजनीति कर रही हैं जिससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है.
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क्लियर कर दी फ्यूचर लाइन
मायावती ने अपने जन्मदिन के मौके पर फ्यूचर पॉलिटिक्स की लाइन भी क्लियर कर दी. एक यह कि वह सियासत से संन्यास लेने नहीं जा रही हैं. दूसरा यह कि बसपा लोकसभा चुनाव में एकला चलो के फॉर्मूले पर बढ़ेगी और तीसरा यह कि बसपा को सत्ता में लाना, केंद्र की सियासत में प्रभावी रोल मायावती का फ्यूचर टास्क है. मायावती ने अभिषेक आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था तभी से उनके फ्यूचर को लेकर अटकलों का दौर चल रहा था. अब मायावती ने एक तरह से यह साफ कर दिया है कि वह सियासत के नेपथ्य में फिलहाल नहीं जा रही हैं. उनकी मंशा अपने सामने ही बसपा के शीर्ष पद के लिए अभिषेक आनंद को तैयार करना और स्थापित करना है.