
लोकसभा चुनाव 2024 में पंजाब का मुकाबला इस बार दलबदलुओं, स्विंग वोटरों, जातिगत समीकरणों और विभिन्न पंथों और डेरों के मानने वालों से प्रभावित होगा. राज्य में इस बार का चुनाव बहुकोणीय रहा है. बीजेपी, जो अब तक का चुनाव अकाली दल के सहयोग से लड़ा करती थी, इस बार पार्टी ने अकेले मुकाबला किया है. अभी यह कह पाना मुश्किल है कि पार्टी इस चुनाव में कितनी सीटें जीतेगी, या अपना पिछला परफोर्मेंस बरकरार रख पाएगी या नहीं, लेकिन एक स्पष्ट है कि इस चुनाव में पार्टी का वोट शेयर बढ़ने की संभावना है.
यकीनन, पंजाब की जातिगत गतिशीलता को समझना आसान नहीं है. पंजाब में मतदाता विभिन्न जातियों और समुदायों में विभाजित हैं. वे विभिन्न धर्मों से ताल्लुक रखते हैं. 57% सिख हैं जिनमें दलित भी शामिल हैं. हिंदू मतदाताओं का 38.15 प्रतिशत हिस्सा है और वे भी अलग-अलग पंथों में बंटे हैं. कई हिंदू सिख धर्म और ईसाई धर्म को मानते हैं.
कुल 33% दलित मतदाता हैं जो 39 उप-जातियों में विभाजित हैं. वे भी विभिन्न धर्मों से ताल्लुक रखते हैं. पंजाब में दलितों का बंटवारा सिख एससी, मजहबी सिख और हिंदू एससी जैसे समुदायों में है, जबकि अन्य प्रमुख दलों में सिख/हिंदू ओबीसी, सिख जनरल और जाट सिख शामिल हैं. चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि अब तक कोई भी राजनीतिक दल मतदाताओं के किसी भी समुदाय का ध्रुवीकरण करने में सक्षम नहीं रहा है. अकाली दल सिखों, बीजेपी हिंदुओं और बसपा दलितों का ध्रुवीकरण करने में नाकाम रही है.
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पंजाब की जटिल जातिगत गतिशीलता से निपटने की बीजेपी की कोशिश इस बार अधिक वोट खींच सकते हैं. इंडिया टुडे माय-एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल से संकेत मिलता है कि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के बाद बीजेपी दूसरी राजनीतिक पार्टी होगी जिसे मतदाताओं के विभिन्न वर्गों में बड़ी छलांग लगाने की उम्मीद है.
पंजाब के नतीजे सबको चौंका सकते हैं: एग्जिट पोल का अनुमान है कि आप और बीजेपी दोनों को सिख एससी, मजहबी सिख, हिंदू एससी, सिख/हिंदू ओबीसी, सिख जनरल और जाट सिख वोट अधिक मिलने की उम्मीद है. जहां तक सिख एससी मतदाताओं का सवाल है, आप को 14% की बढ़त मिलने की उम्मीद है, जबकि बीजेपी को सिख दलित वोट शेयर में 10% की अतिरिक्त बढ़त मिलने की उम्मीद है. कांग्रेस और अकाली दल को क्रमशः 4% और 9% दलित सिख वोट शेयर का नुकसान हो सकता है.
बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान मजहबी सिख समुदाय को लुभाने की भी कोशिश की, जबकि किसान यूनियनों ने गांवों में उनके प्रवेश को रोक दिया. इसका असर नतीजों पर भी देखने को मिल सकता है. एग्जिट पोल से संकेत मिलता है कि बीजेपी को कम से कम 13% मजहबी सिख वोट मिल सकते हैं, जबकि आप को 11% अधिक मजहबी सिख वोट मिलने की उम्मीद है.
अकाली दल और कांग्रेस के मजहबी सिख वोट शेयर में क्रमशः 3 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है. वोट शेयर में गिरावट के बावजूद, अकाली दल और कांग्रेस के पास अभी भी 24-24 प्रतिशत मजहबी सिख वोट शेयर मिल सकता है. राम मंदिर के निर्माण और दलित और हिंदू समुदाय के प्रति अपने नए रुख की वजह से बीजेपी को 20% हिंदू एससी वोट मिलने की उम्मीद है. इस समुदाय के वोट शेयर में आप को 9% की वृद्धि होने की उम्मीद है.
कांग्रेस और अकाली दल के हिंदू एससी वोट शेयर में क्रमशः 7% और 12% की गिरावट आने की उम्मीद है. राजनीतिक विश्लेषक एग्जिट पोल के अनुमानों ने हैरान हैं कि बीजेपी अपने सिख ओबीसी, सिख जनरल और सिख जाट वोट शेयर में बढ़ोतरी करेगी. भगवा पार्टी को अपने सिख ओबीसी, हिंदू ओबीसी, सिख जनरल और जाट सिख वोट शेयर में क्रमशः 12%, 20%, 13% और 10% की वृद्धि होने की उम्मीद है.
इसी तरह, सत्तारूढ़ आप को 9%, 13%, 8% और 11% अतिरिक्त सिख ओबीसी, हिंदू ओबीसी, सिख जनरल और जाट वोट शेयर मिल सकते हैं. आश्चर्य की बात यह है कि शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस ने अपने सिख ओबीसी, हिंदू ओबीसी, सिख जनरल और जाट वोट शेयर में तेज गिरावट क्यों दिखाई है. एग्जिट पोल के मुताबिक शिरोमणि अकाली दल के सिख ओबीसी, हिंदू ओबीसी, सिख जनरल और जाट सिख में क्रमशः 5%, 13%, 4% और 1% की गिरावट देखी जा सकती है.
2019 में आठ लोकसभा सीटें जीतने वाली कांग्रेस को भी अपना वोट शेयर खोने की उम्मीद है. एग्जिट पोल से अनुमान है कि कांग्रेस 8% सिख ओबीसी, 9 प्रतिशत हिंदू ओबीसी, 7% सिख जनरल और 10 प्रतिशत जाट वोट शेयर खो सकती है. किसान यूनियन के विरोध से भाजपा को कैसे फायदा हो सकता है: किसान विरोध ने पंजाब और हरियाणा दोनों में औद्योगिक और सामान्य व्यापार को प्रभावित किया है, जिससे उद्योगपति और स्थानीय व्यापारी नाराज हैं.
बरनाला में हाल ही में स्थानीय व्यापारियों की किसान यूनियन नेताओं से झड़प देखी गई थी. शंभू बॉर्डर की नाकेबंदी ने माल ढुलाई के किराए में वृद्धि की है क्योंकि तैयार माल और कच्चा माल समय पर नहीं पहुंच रहा है. बीजेपी को इस बार व्यापारी हिंदू समुदाय का अच्छा खासा वोट शेयर मिलने की उम्मीद है. अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण एक और कारक है जो हिंदू बहुल कस्बों और शहरों में भाजपा को अधिक वोट दिला सकता है. उत्तर प्रदेश से आये प्रवासी भी बीजेपी के वोट शेयर में योगदान कर सकते हैं.
बीजेपी को हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की उम्मीद है. पंजाब के मतदाताओं में 38.5% हिंदू हैं और स्विंग मतदाताओं का सबसे बड़ा हिस्सा हैं. पंजाब में हिंदू स्विंग वोटों का अनुमान 15% तक है. पंजाब में कट्टरपंथी सहित मतदाताओं का समान प्रतिशत न तो सत्ता पक्ष को वोट देता है और न ही विपक्ष को. यह समुदाय हमेशा तीसरी ताकत के पक्ष में रहा है. कुल 117 विधानसभा क्षेत्रों में से 45 पर दलितों का प्रभाव है.
हालांकि, इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन (आईडीसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रमोद कुमार कहते हैं कि बड़ी हिंदू आबादी होने के बावजूद हिंदू कभी किसी खास कारण से उम्मीदवारों को वोट नहीं देते हैं. पंजाब किसी खास धर्म के लिए वोट नहीं करता है. अगर लोगों ने धर्म के लिए वोट दिया होता तो अकाली दल जैसी सिख धर्म समर्थक पार्टियों को सत्ता के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता.