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बलिया, बिजनौर और मुरादाबाद पर अड़ गई सपा... देर रात तक हुई बात लेकिन सीट शेयरिंग पर नहीं निकला समाधान, अब राहुल की यात्रा से दूर ही रहेंगे अखिलेश

सपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच देर रात तक बातचीत का दौर चला लेकिन सीटों का पेच नहीं सुलझ सका. अखिलेश यादव ने दो टूक कह दिया है कि गठबंधन फाइनल नहीं हुआ तो वह राहुल गांधी की यात्रा में शामिल नहीं होंगे. अखिलेश यादव के रायबरेली में राहुल की न्याय यात्रा में शामिल होने की संभावना थी लेकिन वह अब इससे दूर ही रहेंगे. 

अखिलेश यादव और राहुल गांधी अखिलेश यादव और राहुल गांधी
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 20 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:42 AM IST

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा लोकसभा सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में है. यूपी में कांग्रेस के पुराने किले अमेठी या रायबरेली में इस यात्रा के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के शामिल होने की संभावनाएं थीं. खुद अखिलेश ने भी कहा था कि वह रायबरेली या अमेठी में इस यात्रा में शामिल होंगे. लेकिन सीट बंटवारे पर जारी रार के बीच अब अखिलेश यादव के इस यात्रा में शामिल होने पर सस्पेंस गहरा गया है.

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अखिलेश यादव अमेठी में इस यात्रा का अंग नहीं बने. अब सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव रायबरेली में भी इस यात्रा में शामिल नहीं होंगे. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अखिलेश यादव ने एक दिन पहले ही दो टूक कह दिया था कि अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन फाइनल नहीं हुआ तो वह राहुल गांधी के साथ रायबरेली की यात्रा में शामिल नहीं होंगे. अखिलेश की पार्टी ने कांग्रेस को 17 लोकसभा सीटों का फाइनल ऑफर भी दे दिया था. कांग्रेस और सपा नेताओं के बीच सोमवार देर रात तक बातचीत हुई लेकिन सीटों पर सहमति नहीं बन पाई.

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सपा और कांग्रेस के बीच अभी तक सीट शेयरिंग पर फाइनल सहमति नहीं बन सकी है और इसका असर दोनों दलों के रिश्तों और राहुल गांधी की यात्रा पर पड़ता नजर आ रहा है, जिसे एकजुटता दिखाने का बड़ा मौका माना जा रहा था. दोनों दलों के बीच कुछ सीटों को लेकर पेच फंसा है. कांग्रेस मुरादाबाद और बलिया की सीट भी मांग रही है. सपा इसके लिए तैयार नहीं है. कहा ये भी जा रहा है कि मुरादाबाद को लेकर समाजवादी पार्टी समझौते के मूड में बिलकुल भी नहीं है. कांग्रेस भी मुरादाबाद सीट के लिए अड़ी हुई है.

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जानकारी के मुताबिक कांग्रेस बिजनौर की सीट भी चाहती है. सपा यह सीट देने के लिए भी तैयार नहीं है. दोनों दलों के बीच 17 सीटों पर सहमति भी बन चुकी है. इनमें अमेठी, रायबरेली के साथ ही वाराणसी, प्रयागराज, देवरिया, बांसगांव, महाराजगंज, बाराबंकी, कानपुर, झांसी, मथुरा, फतेहपुर सीकरी, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हाथरस और सहारनपुर लोकसभा सीट शामिल है. पेच तीन सीटों पर ही फंस रहा है-  बलिया, मुरादाबाद और बिजनौर. दोनों ही दल इन सीटों के लिए अड़े हुए हैं. ऐसे में देखना होगा कि गठबंधन में इन सीटों का पेच सुलझाने के लिए किस तरह और क्या रास्ता निकलता है.

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