
किसान नेता राकेश टिकैत ने गुरुवार को लोगों से अपील की है कि वो ऐसे उम्मीदवारों को वोट दें जो केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार के प्रत्याशी को हरा सके. भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा चुनाव भारतीय जनता पार्टी नहीं, बल्कि पूंजीपतियों का एक ग्रुप लड़ रहा है, क्योंकि पूंजीपतियों के एक ग्रुप ने देश पर कब्जा कर लिया है.
19 अप्रैल से शुरू हुए संसदीय चुनाव में अब तक पांच चरण में मतदान हो चुका है. 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों समेत यूपी, हरियाणा, दिल्ली पंजाब, बिहार, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और चंडीगढ़ में 100 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर 25 मई और 1 जून को वोटिंग होनी है.
समाचार एजेंसी के अनुसार, राकेश टिकैत ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, मतदान के दो चरण बचे हैं. SKM का स्पष्ट कहना है कि आपको ऐसे उम्मीदवार को वोट देना चाहिए जो भाजपा को हरा सके. यह भाजपा की सरकार नहीं, बल्कि पूंजीपतियों के गिरोह की सरकार है. इस गिरोह ने देश पर कब्जा कर लिया है और चुनाव लड़ रहा है. चुनाव में कोई भी उनका समर्थन नहीं कर रहा है. यह भारत की जनता और इस गिरोह के बीच सीधा चुनाव है. जनता यह चुनाव लड़ रही है. चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है जो भी उम्मीदवार आपके क्षेत्र में भाजपा को हरा सकता है, उसे वोट दें.
गैर-राजनीतिक दल है SKM: राकेश टिकैत
उन्होंने कहा कि फोन कॉल के माध्यम से मतदाताओं को "गुमराह" करने के मामले सामने आए हैं, जिसमें कुछ उम्मीदवारों के बारे में गलत तरीके से चुनाव संबंधी चर्चा की गई है. चाहे हरियाणा हो, दिल्ली हो, पंजाब हो, उत्तर प्रदेश हो या देश का बाकी हिस्सा हो, मोर्चा ने यह दिशा निर्देश दिया है कि उम्मीदवार को वोट दें. भाजपा उम्मीदवार को कौन हरा सकता है. उन्होंने कहा कि एसकेएम गैर-राजनीतिक है और चुनाव से दूर रहता है.
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NOTA से नहीं होगा फायदा: टिकैत
टिकैत ने कहा कि लोग सरकार की नीतियों पर अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) पर NOTA विकल्प चुनते हैं. तो NOTA दबाने से सीधे तौर पर सरकार को मदद मिलती है. नोटा न दबाएं, अपने उम्मीदवार को वोट दें, निराश न हों. यह जनता का चुनाव है और लोग इस चुनाव को लड़ रहे हैं, नतीजा कुछ भी हो. हमें संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए.
चाहे किसी की भी बने सरकार
टिकैत ने कहा कि चाहे जो भी पार्टी सरकार बनाए पर एसकेएम भूमि अधिग्रहण, कृषि ऋण माफी, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करना, आदिवासियों के अधिकार, जंगलों की कटाई, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर अपनी मांग जारी रखेगा.
उन्होंने अंत में कहा कि जिस तरह से एक शांत समुदर ये नहीं दिखाता कि वह कितना गहरा है, लोगों को भी चुनाव में शांत तरीके से लड़ना चाहिए. शांति का मतलब ये नहीं है कि लोगों का गुस्सा खत्म हो गया है. धैर्य रखें, उम्मीद रखें. जनता की जीत होगी.