
लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा कर दी है, इसमें केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की फिर से अमेठी से टिकट दिया गया है. बीजेपी के इस फैसले को 'गांधी मुक्त' अमेठी के संकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल, स्मृति ईरानी अमेठी से ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थीं. लिहाजा उन्होंने हाल ही में अमेठी में घर भी बनवाया है. पिछले महीने हुए गृह प्रवेश समारोह के दौरान स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को अपनी पारिवारिक विरासत को फिर से हासिल करने और अमेठी से चुनाव लड़ने की खुली चुनौती दी थी.
बता दें कि स्मृति ईरानी तीसरी बार अमेठी से चुनावी ताल ठोकने जा रही है. इससे पहले वह 2014 में अमेठी से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन हार गईं थी. इसके बाद उन्होंने 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसी चुनाव में राहुल गांधी ने वायनाड से भी चुनाव लड़ा था, जहां से वह चुनाव जीते थे. लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी की जनता ने जो जनादेश दिया, उसे सबसे बड़े राजनीतिक उलटफेर के तौर पर समझा गया, क्योंकि गांधी परिवार की विरासत माने जाने वाले अमेठी में 50 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से राहुल गांधी की हार हुई थी.
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राहुल गांधी ने अमेठी से शुरू की थी राजनीतिक पारी
हाल ही में राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के तहत अमेठी की यात्रा की थी, जहां से उनके दिवंगत चाचा संजय गांधी, दिवंगत पिता राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी सांसद रही हैं. 2004 में राहुल गांधी ने अमेठी से राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी और भारी वोटों से जीत हासिल की थी. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनावों में ये अंतर काफी कम हो गया था, क्योंकि अमेठी में जोरदार प्रचार अभियान हुआ और वहां तत्कालीन पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपनी बहन स्मृति ईरानी के लिए वोट करने की भावनात्मक अपील की थी.
क्या अमेठी से चुनाव लड़ेंगे राहुल?
भारत जोड़ो न्याय यात्रा जब अमेठी से निकली, तब भी इस बात पर अस्पष्टता थी कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे या नहीं. वहीं, राहुल गांधी के आलोचकों का मानना है कि वह चुनाव हारने के बाद शायद ही कभी अमेठी के दौरे पर आए हों और अमेठी के लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया हो. हालांकि चुनाव के नतीजे आने तक कुछ भी कहना मुश्किल है कि जनता किस पर भरोसा करेगी और ऊंट किस करवट बैठेगा.