Advertisement

35 साल में पहली बार ... पीलीभीत से ना मेनका चुनाव लड़ेंगी और ना वरुण गांधी

मेनका गांधी ने 1989 में पीलीभीत सीट से जनता दल के बैनर तले अपनी पहली लोकसभा जीत हासिल की थी. वह 1991 का चुनाव हार गई थीं, लेकिन 1996 में उन्होंने फिर से इस सीट पर कब्जा कर लिया और 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी इस सीट से जीतती रहीं. 2009 और 2019 में वरुण गांधी यहां से सांसद रहे.

वरुण गांधी और मेनका गांधी वरुण गांधी और मेनका गांधी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 2:00 PM IST

पीलीभीत लोकसभा सीट पर  1989 के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है जब गांधी परिवार का कोई सदस्य यहां से चुनावी मैदान में नहीं है. बीजेपी ने इस बार पीलीभीत से मौजूदा बीजेपी सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया था और अटकलें लग रही थी कि वो निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर सकते हैं, लेकिन इन अटकलों को उस समय विराम मिल गया जब नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन वह यहां नहीं पहुंचे

Advertisement

बीजेपी ने इस सीट से वरुण गांधी की जगह उत्तर प्रदेश के मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट दिया है. जितिन प्रसाद ने बुधवार को अपने कैबिनेट सहयोगी स्वतंत्र देव सिंह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी की मौजूदगी में पीलीभीत सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. पिछले सप्ताह वरुण गांधी के प्रतिनिधि द्वारा नामांकन पत्र का एक सेट खरीदे जाने के बाद से ही वरुण गांधी के पीलीभीत से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गई थीं.

ये भी पढ़ें: वरुण गांधी को लेकर सस्पेंस बरकरार! क्या स्वीकार कर लेंगे कांग्रेस का ऑफर?

वरुण को लेकर थीं अटकलें

 तीन दशकों में यह पहली बार है कि मेनका और वरुण गांधी की मां-बेटे की जोड़ी नेपाल की सीमा से सटे तराई क्षेत्र में स्थित पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में नहीं होगी. इस बार वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि वह किसानों, स्वास्थ्य और नौकरियों के मुद्दों पर भाजपा की आलोचना करते रहे हैं.

Advertisement

जैसे ही बीजेपी ने यहां से जितिन प्रसाद को उतारा तो ऐसी खबरें आईं कि वरुण गांधी इस सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ सकते हैं. यह सस्पेंस बुधवार को उस वक्त खत्म हो गया, जब वह दोपहर तीन बजे नामांकन खत्म होने से पहले नहीं पहुंचे. हालांकि, उनकी माँ मेनका गांधी, जो सुल्तानपुर से मौजूदा सांसद हैं, को भाजपा ने उसी सीट से एक और मौका दिया है. 1996 से ही पीलीभीत सीट मेनका गांधी या उनके बेटे वरुण गांधी के पास रही है.

मेनका ने 1991 में हासिल की थी यहां से पहली जीत

मेनका गांधी ने 1989 में जनता दल के टिकट पर सीट जीती, 1991 में हार गईं और 1996 में फिर से जीतीं. उन्होंने 1998 और 1999 में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की. उन्होंने 2004 और 2014 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में सीट जीती. वरुण गांधी ने 2009 और 2019 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में सीट जीती.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस की ये 6 मजबूरियां रही होंगी जो वरुण गांधी के लिए पार्टी में नहीं बन पाई जगह

जितिन प्रसाद के नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए चौधरी ने कहा, "वरुण गांधी एक वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी जल्द ही उन्हें कोई जिम्मेदारी देगी."स्वतंत्र देव सिंह ने कहा, ''वरुण गांधी हमारे नेता हैं और पार्टी उनका इस्तेमाल किसी और जगह करेगी.'' मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भगवत सरन गंगवार को पीलीभीत से अपना उम्मीदवार बनाया है. बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट से अनीस अहमद खान को अपना उम्मीदवार बनाया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement