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राजपूत, त्यागी और सैनी वोट बैंक नाराज! पश्चिमी यूपी में BJP के लिए तगड़ी है चुनौती

अपने समाज को टिकट बंटवारे में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से कई जातियां नाराज हैं. 7 अप्रैल को सहारनपुर में राजपूत समुदाय की विशाल रैली ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाति-आधारित राजनीतिक गठबंधन के नए विकल्प खोल दिए. इमरान मसूद की स्थानीय राजपूत नेताओं से मुलाकात से बाकी पार्टियों ने भी इस समुदाय को लुभाने की कोशिश की.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूतों और अन्य प्रमुख जातियों ने भाजपा के बहिष्कार का आह्वान करते हुए बड़े पैमाने पर पंचायतें आयोजित की हैं। (फोटोः यूपी तक) पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूतों और अन्य प्रमुख जातियों ने भाजपा के बहिष्कार का आह्वान करते हुए बड़े पैमाने पर पंचायतें आयोजित की हैं। (फोटोः यूपी तक)
अभि‍षेक आनंद
  • नई दिल्ली,
  • 10 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 2:24 PM IST

लोकसभा चुनाव के पहले फेज के वोटिंग के लिए 10 दिन से भी कम समय बचा है, ऐसे में भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस बार मुश्किल हालातों का सामना कर रही है. इस बेल्ट में बीजेपी ने पिछले दशक में हिंदू वोटों की एकजुटता के कारण अधिकांश सीटें जीती थीं. क्षेत्र में स्थितियां अब तेजी से बदल रही हैं, कुछ प्रमुख जातियां खुले तौर पर अपनी नाराजगी जता रही हैं और अपने समुदायों से भाजपा का बहिष्कार करने का आह्वान कर रही हैं. राजपूत, त्यागी और सैनी सहित ये प्रमुख जातियां पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने "कम प्रतिनिधित्व" से असंतुष्ट हैं.

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7 अप्रैल को राजपूतों ने सहारनपुर में एक विशाल महापंचायत की, जिससे भाजपा के भीतर खलबली मच गई. यह समुदाय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगभग 10 प्रतिशत की बड़ी आबादी होने के बावजूद कम लोकसभा टिकट मिलने सहित कई मुद्दों से नाराज है.गाजियाबाद में जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह की जगह अतुल कुमार गर्ग को लाने के भाजपा के फैसले से समुदाय में नाराजगी फैल गई क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 10 फीसदी मतदाताओं को नजदीक के मुरादाबाद से ही एक टिकट मिला.

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कई समुदाय खुलकर कर रहे हैं विरोध- प्रदर्शन

इसी तरह त्यागी और सैनी समाज भी बीजेपी के खिलाफ जगह-जगह पंचायतें कर रहा है. यदि उनका वोट जातिगत आधार पर विभाजित होता है तो निर्वाचन क्षेत्र-वार वोट शेयर भाजपा के पक्ष में नहीं जाएगा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण का विश्लेषण करने से पता चलता है कि कैसे आगामी चुनावों में भाजपा के लिए कैसे परेशानी भरा हो सकता है.

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सहारनपुर के जातीय समीकरण

मुस्लिम: 42 फीसदी
जाटव: 17 फीसदी
राजपूत: 8 प्रतिशत
सैनी: 5 फीसदी
गुज्जर: 5 फीसदी
कश्यप/कोहर: 4 प्रतिशत
ब्राह्मण: 2.5 प्रतिशत
पंजाबी + बनिया: 8 प्रतिशत
त्यागी: 2.5 प्रतिशत
जाट: 1.5 प्रतिशत

राजपूत समाज में नाराजगी

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मुस्लिम गाड़ा समुदाय से आने वाले माजिद अली को सहारनपुर से मैदान में उतारा है. विपक्षी इंडिया गुट ने इमरान मसूद को टिकट दिया है, जो हाल ही में असंतुष्ट राजपूत समुदाय के साथ बैठकें कर रहे हैं. बीजेपी के लिए शर्मा-ब्राह्मण समुदाय से आने वाले राघव लखनपाल लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ेंगे.

भाजपा के खिलाफ मुखर रहने वाले राजपूत नेता ठाकुर पूरन सिंह ने आज तक से बात करते हुए कहा, 'राजपूत के गौरवशाली इतिहास को विकृत करने से लेकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी में समान अधिकारों से इनकार करने और लोकसभा में समान प्रतिनिधित्व से इनकार करने तक, भाजपा वह पार्टी है जो राजपूत समुदाय को हाशिए पर धकेलने की कोशिश कर रही है. समुदाय को समझाने के लिए सेवा में लगाया गया है लेकिन अब समुदाय ने भाजपा को सबक सिखाने की कसम खाई है.'

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मुजफ्फरनगर के जातीय समीकरण

मुजफ्फरनगर के जातीय समीकरणों की बात करें तो वो कुछ इस प्रकार हैं-
मुस्लिम: 36 फीसदी
जाटव: 10 फीसदी
जाट: 8 फीसदी
राजपूत: 8 प्रतिशत
त्यागी: 5-6 फीसदी
सैनी: 4 फीसदी
कश्यप/कोहर: 5 प्रतिशत
गुज्जर: 3 फीसदी

कई समुदाय खुलकर विरोध में आए

 बीजेपी ने निवर्तमान संजीव बलियान को टिकट दिया है, जिन्हें लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा है. समाजवादी पार्टी ने हरेंद्र मलिक को मैदान में उतारा है, जबकि बहुजन समाज पार्टी ने वेदपाल प्रजापति को टिकट दिया है. त्यागी, राजपूत, सैनी और कश्यप समुदाय के नेताओं का कहना है कि अच्छी खासी आबादी होने के बावजूद उन्हें बीजेपी से चुनाव टिकट नहीं मिल रहा है.

बालियान को कथित तौर पर उनकी अनदेखी करने और एक विशेष समुदाय के तुष्टिकरण के लिए प्रमुख जातियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

ब्राह्मण समुदाय की मांग

अखिल भारतीय ब्राह्मण भूमिहार महासभा के अध्यक्ष माने राम त्यागी ने कहा, "पश्चिमी यूपी में त्यागी समुदाय की आबादी बहुत अधिक है. इसके बावजूद, भाजपा ने पिछले कई चुनावों से हमें लगातार नजरअंदाज किया. राज्य विधानसभा में हमारा प्रतिनिधित्व बहुत कम है. राज्यसभा और अब लोकसभा में शून्य. हम पार्टी को यह बताने के लिए पूरे पश्चिमी यूपी में पंचायतें कर रहे हैं कि त्यागी के भाजपा के पारंपरिक मतदाता होने की गलतफहमी इस बार नहीं दोहराई जाएगी. अगर हमें समान प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो हम दिखा देंगे की रिजल्ट कैसा होता है."

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कैराना के जातीय समीकरण

मुस्लिम: 36 फीसदी
जाटव: 11 फीसदी
जाट: 7 फीसदी
गुज्जर: 7 फीसदी
सैनी: 7 फीसदी
कश्यप: 7 फीसदी
राजपूत: 6 प्रतिशत

बीजेपी ने निवर्तमान प्रदीप चौधरी को टिकट दिया है, जो गुर्जर समुदाय से आते हैं. बहुजन समाज पार्टी ने राजपूत समुदाय से श्रीपाल राणा को टिकट दिया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने इकरा हसन को मैदान में उतारा है. कश्यप, सैनी, जाट और राजपूत समुदाय राज्य विधानसभा या संसद में समान प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं, लेकिन भाजपा ने गुर्जर समुदाय से उम्मीदवारों को दोहराया है.पश्चिमी यूपी के कुछ हिस्सों में अच्छी खासी आबादी रखने वाले सैनी इस सीट से टिकट की मांग कर रहे हैं.

मिहिर भोज विवाद के बाद बीजेपी को लेकर नाराजगी

मिहिर भोज विवाद के दौरान प्रदीप चौधरी और नकुड़ विधायक मुकेश चौधरी की कथित विवादास्पद और 'पक्षपाती' भूमिका से राजपूत समाज नाराज हो गया है. नकुड विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी आबादी वाले कश्यप समुदाय में भी असंतोष दिख रहा है क्योंकि उन्हें भी पूरे पश्चिमी यूपी में पार्टी द्वारा प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है.

एकमात्र राजपूत विधायक रहे सुरेश राणा पिछले विधानसभा चुनाव में थाना भवन से हार गए थे. सैनी समुदाय ने नकुड, गंगोह और थाना भवन से विधानसभा टिकट की मांग की, लेकिन उन्हें इनकार कर दिया गया. इसलिए वे पश्चिमी यूपी में समुदाय के नेता के लिए कम से कम एक टिकट की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन यह भी नहीं हो सका.

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मेरठ के जातीय समीकरण

मुस्लिम: 32 फीसदी
जाटव: 15 फीसदी
ब्राह्मण, बनिया, पंजाबी: 13 प्रतिशत
जाट: 7 फीसदी
गुज्जर: 4 फीसदी
राजपूत: 6 प्रतिशत
त्यागी: 6 प्रतिशत
ओबीसी और अन्य: 5 फीसदी

मेरठ में बीजेपी ने रामायण टीवी सीरीज फेम अरुण गोविल को टिकट दिया है, जो खत्री/पंजाबी समुदाय से आते हैं. समाजवादी पार्टी ने ओबीसी समुदाय से सुनीता वर्मा को मैदान में उतारा है जबकि बहुजन समाज पार्टी ने त्यागी समुदाय से देवव्रत त्यागी को मैदान में उतारा है. जैसे ही भाजपा ने निवर्तमान सांसद की जगह गोविल को लाया, निर्वाचन क्षेत्र में जाति-आधारित राजनीति तेज हो गई और विपक्षी दल अन्य समुदाय के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करने लगे.

बहुजन समाज पार्टी की नजर मुस्लिम-दलित-राजपूत-त्यागी समुदायों के संयुक्त वोट पर है, जिन्होंने भाजपा के प्रति अपना असंतोष दिखाया है. समाजवादी पार्टी बीजेपी का विरोध करने वाले ओबीसी और अन्य समुदायों के साथ-साथ पारंपरिक मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है.

बिजनौर के जातीय समीकरण

मुस्लिम: 41 फीसदी
जाटव: 15 फीसदी
जाट: 7 फीसदी
गुज्जर: 6 फीसदी
सैनी: 6 फीसदी
राजपूत: 5 प्रतिशत

समाजवादी पार्टी ने सैनी समुदाय से दीपक सैनी को मैदान में उतारा है. बीजेपी की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल ने चंदन चौहान को मैदान में उतारा है, जो गुज्जर समुदाय से हैं. बहुजन समाज पार्टी ने चौधरी बृजेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है, जो जाट उम्मीदवार हैं.

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अखिल भारतीय सैनी महासभा के अध्यक्ष ओमपाल सैनी ने कहा, "सैनी समुदाय भाजपा का पारंपरिक मतदाता रहा है, लेकिन प्रतिनिधित्व की लगातार कमी के कारण, समुदाय अन्य विकल्प भी तलाश रहा है. कुछ लोकसभा सीटों पर हमारी आबादी सबसे अधिक है." .

अमरोहा के जातीय समीकरण

मुस्लिम: 42 फीसदी
जाटव: 13 फीसदी
राजपूत: 8 प्रतिशत
जाट: 7 फीसदी
खागी: 7 प्रतिशत
सैनी: 5 फीसदी
गुज्जर: 4 फीसदी
अन्य: 4 प्रतिशत

कांग्रेस ने निवर्तमान कुंवर दानिश अली को मैदान में उतारा है, जो बहुजन समाज पार्टी द्वारा निष्कासित किए जाने के बाद पार्टी में शामिल हुए थे. भाजपा ने गुर्जर समुदाय से आने वाले कंवर सिंह तंवर को दोबारा टिकट दिया है, जो पिछला चुनाव दानिश अली से हार गए थे. बहुजन समाज पार्टी ने मुजाहिद हुसैन को मैदान में उतारा है.

जहां बीजेपी की नजर एकजुट हिंदू वोट पर है, वहीं इंडिया ब्लॉक अनुसूचित जाति के वोटों को लुभाने की कोशिश कर रहा है और समुदाय को लुभाने के लिए दानिश अली के राजपूत वंश का भी इस्तेमाल कर रहा है.

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नगीना के जातीय समीकरण
मुस्लिम: 46 फीसदी
जाटव: 20 फीसदी
राजपूत 12 प्रतिशत
अन्य: 6 प्रतिशत

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इस आरक्षित सीट से दलित नेता चन्द्रशेखर आजाद अपनी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) से किस्मत आजमा रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी ने सुरेंद्र पाल को टिकट दिया है, जो आज़ाद से कड़ी चुनौती का सामना करने के बावजूद, पारंपरिक अनुसूचित जाति के वोटों के अलावा मुसलमानों और राजपूतों को एक साथ लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. बीजेपी ने ओम कुमार को मैदान में उतारा है, जबकि समाजवादी पार्टी ने मनोज कुमार को टिकट दिया है. पिछले चुनाव में यह सीट बीजेपी से खिसक कर बहुजन समाज पार्टी के पास चली गयी थी.

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