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MP Chunav 2023: इस हॉट सीट पर चाचा और भतीजे के बीच रोचक मुकाबला, गूंज रहे ऐसे नारे

MP Chunav 2023: 'चाचा सीट खाली करो, भतीजे की तैयारी करो..' इन दिनों देवतालाब विधानसभा में ऐसे ही नारे गूंज रहे हैं. ये नारे पद्मेश गौतम के समर्थन में कांग्रेस के युवा कार्यकर्ता लगाते सुने जा सकते हैं.

गिरीश गौतम और पद्मेश गौतम. गिरीश गौतम और पद्मेश गौतम.
विजय कुमार विश्वकर्मा
  • मऊगंज ,
  • 28 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST

MP Chunav 2023: कहते हैं चुनाव में प्रत्याशी जीतने के लिए लड़ता है. चाहे फिर वही दोस्त हो या रिश्तेदार. ऐसी ही मध्यप्रदेश में एक हॉट सीट है यहां चाचा भतीजे के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. भाजपा ने जहां विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने पद्मेश गौतम को प्रत्याशी बनाकर बड़ा दांव खेला है. 'चाचा सीट खाली करो, भतीजे की तैयारी करो..' इन दिनों देवतालाब विधानसभा में ऐसे ही नारे गूंज रहे हैं. ये नारे पद्मेश गौतम के समर्थन में कांग्रेस के युवा कार्यकर्ता लगाते सुने जा सकते हैं.

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दरअसल, मऊगंज जिले की देवतालाब विधानसभा सीट मध्यप्रदेश की हाट सीट बन गई है. देवतालाब में 2008 से लगातार भाजपा प्रत्याशी गिरीश गौतम चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच रहे हैं. भाजपा ने इन्हें फिर चौथी बार चुनाव के मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने युवा नेता पद्मेश गौतम को टिकट देकर रोचक मुकाबला  बना दिया है. रिश्ते में दोनों प्रत्याशी चाचा भतीजे हैं. 

देवतालाब में गौतम परिवार के दोनों प्रत्याशी एक दूसरे को हराने की कवायद में लगे हुए हैं. कुछ सगे संबधी गिरीश के तो कुछ पद्मेश के साथ हैं. चाचा गिरीश गौतम इसे रिश्ते की लड़ाई नहीं बल्कि विचारों की लड़ाई मानते हैं. उनका मानना है कि कांग्रेस सनातन विरोधी है. भाजपा का कार्यकर्ता होने के नाते मुझे हराने की जिम्मेदारी दी गई है. देवतालाब में भतीजे पद्मेश गौतम के समर्थक एक और नारा बुलंद कर रहे हैं- 'बेटा हारा अब बाप की बारी है' 

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यह नारा लगने की वजह गिरीश गौतम के बेटे राहुल की हार है. जिला पंचायत के चुनाव में  दो भाई पद्मेश और राहुल गौतम के बीच मुकाबला था. इसमें राहुल गौतम को हार नसीब हुई जबकि पद्मेश को जीत. अब राहुल के पिता गिरीश से मुकाबला पद्मेश का है. पद्मेश गौतम ने भाई राहुल गौतम को हराने के बाद चाचा को हराने की पूरी तैयारी बना रखी है. 

पद्मेश गौतम मानते हैं कि राजनीति के इस महाभारत में विराट का युद्ध हो चुका है, अब कुरुक्षेत्र का बाकी है. एक साल पहले पद्मेश को मिली इस जीत से उनके समर्थक अति उत्साहित हैं. गिरीश गौतम अपनी राजनीतिक विरासत राहुल सौपना चाहते थे लेकिन हार ने पानी फेर दिया. पद्मेश के समर्थक यह भूल रहे हैं कि पंचायत के चुनाव में उनका मुकाबला नए नवेले नेता था लेकिन अबकी बार मुकाबला मंझे हुए नेता से है.

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