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एक आदिवासी को हराने गलियों में भटक रहे 'महाराजा-महारानी', उत्तराखंड-झारखंड के राजपरिवार भी आएंगे प्रचार करने

MP Assembly Election 2023: सिरमौर विधानसभा सीट पर चुनाव जीतने के लिए राजपरिवार गांव की गलियों में ख़ाक छान रहा है. आदिवासी नेता से खतरा इतना ज्यादा है कि महाराज-महारानी, युवराज- युवरानी और राजकुमारी को चुनाव प्रचार में दिन रात एक करना पड़ रहा है. कुल मिलाकर मुकाबला रोचक और दिलचस्प हो गया है.

चुनाव प्रचार करने पहुंचे राजपरिवार के सदस्य का स्वागत करती हुईं महिलाएं. चुनाव प्रचार करने पहुंचे राजपरिवार के सदस्य का स्वागत करती हुईं महिलाएं.
विजय कुमार विश्वकर्मा
  • रीवा,
  • 08 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST

आदमी आजाद है, देश भी स्वतंत्र है...राजा गए रानी गई, अब तो प्रजातंत्र है... 'वेलकम टू सज्जनपुर' फिल्म का यह गाना चुनाव के बीच मध्य प्रदेश के एक विधानसभा क्षेत्र में जमकर गूंज रहा है. लोकतंत्र के महापर्व विधानसभा चुनाव में मुकाबला एक गरीब आदिवासी का रियासत के राजा से है. राजपरिवार चुनाव जीतने के लिए गांव की गलियों में ख़ाक छान रहा है. आदिवासी नेता से हार का खतरा इतना ज्यादा है कि महाराज-महारानी, युवराज- युवरानी और राजकुमारी को चुनाव प्रचार में दिन रात एक करना पड़ रहा है. 

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रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा सीट में मुकाबला रोचक और दिलचस्प मुकाबला है. बघेलखंड की सबसे बड़ी रीवा रियासत ने 450 वर्षों तक हुकूमत चलाई. राजतंत्र के अंत के बाद प्रजातंत्र में भी राज परिवार की हिस्सेदारी रही. महाराज मार्तंड सिंह और राजमाता प्रवीण कुमार ने राजनीति की. इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए पुष्पराज सिंह विधायक और मंत्री बने. 

अब इस रियासत के युवराज विधायक दिव्यराज सिंह को भाजपा ने सिरमौर विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं, कांग्रेस ने बड़ा दांव लगाते हुए रामगरीब वनवासी को मैदान में उतार दिया. 

लिहाजा, एक तरफ क्षेत्र के आदिवासी अपने अपने नेता को जीतने के लिए प्रचार प्रसार कर रहे हैं, तो वहीं युवराज दिव्यराज सिंह को जीतने के लिए महाराजा पुष्पराज सिंह, महारानी युवरानी वसुंधरा सहित पूरा राज परिवार मैदान में उतर गया है. 

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सतपाल महाराज आएंगे प्रचार करने 

शाही परिवार के जो सदस्य नहीं पहुंचे, वो डिजिटल मध्यम से कर रहे हैं. अभिनेत्री राजकुमारी मोहिना सिंह उत्तराखंड से वीडियो मैसेज भेज रही हैं. उनके ससुर यानी उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज प्रचार के लिए आने वाले हैं. जबकि दिव्यराज सिंह की ससुराल नगर उतारी झारखंड से शाही राज परिवार आकर सिरमौर में जमा हुआ है. 

दूसरी बार विधायक हैं राजकुमार 

दिव्यराज सिंह सिरमौर से लगातार दूसरी बार से विधायक हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में दिव्यराज सिंह ने राजनीति के राजकुमार विवेक तिवारी और 2018 में विवेक तिवारी की पत्नी अरुणा तिवारी को हराया था. लेकिन इस बार एक आदिवासी से मुकाबला चुनाव को दिलचस्प बना रहा है. 

राज महल को छोड़कर राजा रानी गांव की गलियों में घूम रहे हैं और जनता से वोट की अपील करते दिखाई पड़ रहे हैं. 

दिव्यराज सिंह का मानना है कि रियासत जनता की थी तब भी उनके पूर्वजों ने सेवा की और अब वह सेवा कर रहे हैं. दिव्यराज विकास के मुद्दे पर चुनाव के मैदान में हैं. 

यह विचारधारा की लड़ाई: रामगरीब वनवासी

वहीं, रामगरीब वनवासी मानते हैं कि यह राजा और आदिवासी के बीच लड़ाई नहीं है. यह विचारधारा की लड़ाई है. अकेले सिरमौर नहीं बल्कि विंध्य की 30 सीटो पर परिणाम बदलने के लिए उन्हें आला कमान ने मैदान में उतारा है. रामगरीब का दावा है कि उनकी जीत होगी और भाजपा की हार. 

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