Advertisement

कोई टिकट कटने से परेशान, तो कोई मिलने से हैरान... MP के बीजेपी दिग्गजों ने ऐसे निकाली भड़ास

मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी हैं. दूसरी सूची ने जितना दावेदारों को चौंकाया है, उससे कहीं ज्यादा राजनीतिक जानकार हैरान देखे गए हैं. इस लिस्ट के बाद नेताओं के बीच विरोध-बगावत भी देखने को मिली तो कुछ नेताओं को हैरान- परेशान देखा गया. सबसे ज्यादा चर्चा में बीजेपी महासचिव कैलाश विजयर्गीय का बयान बना हुआ है. वहीं, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बयान के जरिए बड़ा इशारा किया है.

मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले बीजेपी ने उम्मीदवार घोषित किए हैं. मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले बीजेपी ने उम्मीदवार घोषित किए हैं.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:08 PM IST

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव करीब आ गया है. सत्तारूढ़ बीजेपी ने चुनाव तारीखों की घोषणा से पहले ही उम्मीदवारों की तीन सूचियों में 80 नामों का ऐलान कर दिया है. इनमें कुछ नाम ऐसे हैं, जो चौंकाने वाले हैं. पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों, चार सांसदों और संगठन के राष्ट्रीय महासचिव को टिकट दिया है. कांग्रेस इसे अभी से हारने का डर बता रही है. वहीं, जिन नेताओं के टिकट काटे गए हैं, उनमें नाराजगी है और बगावत के संकेत दे रहे हैं. जबकि कुछ नेताओं को टिकट मिलने पर हैरान और परेशान देखा जा रहा है. जानिए किसने क्या कहा...

Advertisement

1. सतना जिले की मैहर विधानसभा सीट से बीजेपी ने इस बार टिकट में बदलाव किया है. पार्टी ने चार बार के विधायक नारायण त्रिपाठी का टिकट काट दिया है. उनकी जगह श्रीकांत चतुर्वेदी को उम्मीदवार बनाया है, जो सिंधिया के करीबी माने जाते हैं. टिकट में बदलाव का असर भी देखने को मिला है. नारायण त्रिपाठी ने शीर्ष नेतृत्व पर तंज कसा है. उन्होंने कहा, 'बीजेपी ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है. मेरी तरफ से धन्यवाद और शुभकामनाएं हैं. मैं ना उस दौड़ में था और ना मुझे कोई लेना-देना था. मैं विंध्य प्रदेश की लड़ाई लड़ रहा हूं. वो लड़ाई अलग राज्य बन जाने तक जारी रहेगी. मैहर जिला बना है, विंध्य प्रदेश भी बनेगा. कैंडिडेट घोषित करने वाले नेताओं को धन्यवाद देता हूं.' 

'तो क्या विधायक, सरपंच का चुनाव लड़ेंगे'

Advertisement

त्रिपाठी ने आगे कहा, 'यदि इतने सीनियर सांसद, नेता, मंत्रियों को बीजेपी चुनाव लड़ा सकती है तो फिर मुरली मनोहर जोशीजी और लालकृष्ण आडवाणीजी का अपराध क्या था? उनको क्यों किनारे कर दिया गया. यह सोचनीय विषय है. जब सांसद, विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे तो क्या विधायक, सरपंच का चुनाव लड़ेंगे? युवा राष्ट्र की कल्पना करने वाली बीजेपी ने अपने बुजुर्ग नेताओं को विधानसभा का प्रत्याशी बनाया है.' बता दें कि नारायण त्रिपाठी ने अपनी अलग 'विंध्य पार्टी' का गठन किया है. वो अपनी पार्टी के टिकट से मैहर सीट से चुनाव लड़ेंगे. त्रिपाठी ने मैहर सीट से अब तक चार बार अलग-अलग पार्टियों सपा, कांग्रेस और बीजेपी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

2. 'टिकट काटे जाने से सीधी विधायक नाराज!'

बीजेपी ने एक अन्य विधायक केदारनाथ शुक्ला का भी टिकट काटा है. शुक्ला चार बार से एमएलए हैं और सीधी सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. केदारनाथ शुक्ला की जगह सीधी की सांसद रीति पाठक को पार्टी ने टिकट दिया है. माना जा रहा है कि सीधी में हुए पेशाबकांड के बाद से बीजेपी शीर्ष नेतृत्व शुक्ला से नाराज था. इस घटना के आरोपी का नाम शुक्ला के करीबी के तौर पर जोड़ा गया था. हालांकि, अब टिकट काटे जाने पर उनकी तीखी प्रतिक्रिया की ऑडियो क्लिप वायरल होने का दावा किया जा रहा है. हालांकि, Aajtak.in इसकी पुष्टि नहीं करता है.

Advertisement

'सीधी उम्मीदवार की सबसे बड़ी हार होगी'

शुक्ला ने कहा, आज हजारों की संख्या में कार्यकर्ता मेरे घर में आए थे. मैंने सबको एक सप्ताह का समय दिया है. एक सप्ताह में कार्यकर्ताओं की जो राय होगी, वही मेरा फैसला होगा. मेरे खिलाफ सारे मुद्दे ख्याली पुलाव थे. मैं नहीं समझता कि हाईकमान में बैठे लोग यह नहीं जानते कि क्या उचित है और क्या अनुचित है? सीधी से सांसद को टिकट देना उचित नहीं है. वो (रीति पाठक) मध्य प्रदेश में हारने वालों में नंबर एक पर रहेंगी. लेकिन भाजपा ने टिकट दिया है तो क्या कर सकते हैं. फिलहाल, टिकट कटने के बाद शुक्ला का अगला कदम क्या होगा, इस पर अब सबकी निगाहें हैं. वो विंध्य के बड़े नेता माने जाते हैं. दिलचस्प बात यह है कि टिकट की लिस्ट आने के बाद सोमवार को सीधी के पूर्व बीजेपी जिलाध्यक्ष राजेश मिश्रा ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. माना जा रहा है कि मिश्रा भी उम्मीदवारों की दौड़ में शामिल थे. 

3. 'केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने जताया आभार'

बीजेपी ने नरसिंहपुर से विधायक जालम सिंह पटेल का टिकट काट दिया है. उनकी जगह जालम के भाई और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि, जालम की तरफ से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. केंद्रीय मंत्री पटेल ने एक्स पर पोस्ट किया और शीर्ष नेतृत्व का आभार जताया. पटेल ने कहा, मुझे पहली बार विधानसभा चुनाव का अवसर देने के लिए भारतीय जनता पार्टी संसदीय बोर्ड समेत मध्य प्रदेश बीजेपी के सभी नेताओं का हार्दिक आभार.

Advertisement

4. 'बड़ा नेता बन गया अब... मुझे टिकट मिलने का विश्वास नहीं हो रहा'

बीजेपी ने इंदौर-1 विधानसभा से कैलाश विजयवर्गीय को उम्मीदवार बनाया है. खुद को टिकट दिए जाने पर विजयवर्गीय लगातार हैरानी जता रहे हैं. उन्होंने मंगलवार को विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता को संबोधित किया और कहा, आप सभी को कैलाश विजयवर्गीय बनकर काम करना है. एक रिकॉर्ड जीत यहां पर होना चाहिए. ये मेरी आपसे अपेक्षा है. इसलिए मेरी लड़ने की इच्छा नहीं थी. एक प्रतिशत इच्छा नहीं थी. एक माइंडसेट होता है लड़ने का. बड़े नेता हो गए हैं अब. हाथ-पांव जोड़ने कहां जा पाएंगे. अपने को तो जाना है और भाषण देना है. फिर निकल जाना है. हमने तो यही सोचा था.'

'भीड़ से आवाज आई.... अब सीएम बन जाओगे'

'मैंने प्लान बनाया था कि रोज आठ सभाएं करनी हैं. पांच हेलिकॉप्टर से करेंगे और तीन सभाएं कार के जरिए करेंगे. लेकिन, आप जो सोचते हैं, वो होता कहां है. भगवान की इच्छा होती है, वही होता है. भगवान की ऐसी इच्छा थी कि मैं चुनाव लड़ूं. एक बार फिर से जनता के बीच जाऊं. मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं उम्मीदवार हूं. मुझे लग ही नहीं रहा है कि टिकट मिल गया है और मैं उम्मीदवार बन गया.' भीड़ से आवाज आई- सीएम बन जाओगे अब? इस पर विजयवर्गीय मुस्कुराए और बोले- 'ठीक है वो तो...' आखिरी में उन्होंने भारत माता की जय के नारे लगवाए. इससे पहले विजयवर्गीय ने कहा था, टिकट घोषित होने से मैं आश्चर्यचकित हूं, लेकिन पार्टी का आदेश है. एक पिता के नाते मन में आ रहा था कि बेटे (आकाश) का राजनीतिक अहित ना हो. आकाश ने शहर में बहुत मेहनत की.

Advertisement

5. 'आगे-आगे देखिए होता है क्या?'

BJP ने मुरैना जिले की दिमनी सीट से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीदवार बनाया है. एक दिन पहले आजतक ने जब तोमर से सवाल किया तो वो बिना जवाब दिए आगे बढ़ गए थे. अब ग्वालियर में तोमर ने चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा, केंद्रीय मंत्री हो, सांसद हो या अन्य व्यक्ति... पहले वह पार्टी का कार्यकर्ता है. केंद्रीय चुनाव समिति ने निर्णय किया है तो चुनाव लड़ेंगे. पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से कांग्रेस भयभीत है. उसके पास कोई मुद्दा नहीं है. तोमर से पूछा गया कि क्या और भी बड़े नेताओं को टिकट मिलेगा? इस पर उन्होंने कहा, आगे-आगे देखिए होता है क्या?

'सतना में भी नाराजगी... बगावत के फूटे स्वर'

सतना से सांसद गणेश सिंह को टिकट दिया गया है. संगठन के निर्णय पर स्थानीय तौर पर निराशा देखने को मिली है. BJP नेता रत्नाकर चतुर्वेदी ने निर्दलीय चुनाव लडने की घोषणा कर दी है. उन्होंने कहा, अगर सतना की जनता कहेगी तो वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कोरोनाकाल का जिक्र किया और कहा, कोरोनाकाल में कोई मैदान में नहीं आया. मैंने लोगों की सेवा की. मेरी मेहनत का पार्टी ने मुझे ये फल दिया है, उसका तह दिल से शुक्रिया. रत्नाकर BJYM और सतना सहकारी बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं. वहीं, सांसद गणेश सिंह ने पार्टी का आभार जताया है. उन्होंने कहा, समय-समय पर पार्टी हर कार्यकर्ता की भूमिका शुरू से तय करती आ रही है.

Advertisement

'जबलपुर सांसद ने कहा, संगठन का आभार'

जबलपुर पश्चिम से उम्मीदवार बनाए गए सांसद राकेश सिंह का बयान आया. उन्होंने कहा, मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने मुझे प्रत्याशी घोषित किया है. पार्टी के विश्वास के प्रति मैं आभार प्रकट करता हूं. कार्यकर्ताओं की संगठन शक्ति और जनता के आशीर्वाद से पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरूं, ऐसा मेरा प्रयास होगा.

'हारी सीटों पर जीत का दम भरेंगे दिग्गज नेता'

बता दें कि दो बार से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और फग्गन सिंह कुलस्ते मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन सीटों से मैदान में उतरेंगे, जो 2018 में कांग्रेस ने जीती थीं. जबकि चार अन्य लोकसभा सांसदों में से तीन भी पिछले चुनाव में हारी सीटों से दम भरेंगे. सिर्फ नरसिंहपुर सीट बीजेपी के कब्जे में है, जहां से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल चुनाव लड़ेंगे.

'दो बार विधायक रहे हैं तोमर'

नरेंद्र सिंह तोमर मध्य प्रदेश की सरकार में भी मंत्री रहे हैं. वो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. हाल ही में जुलाई में पार्टी ने तोमर को मध्य प्रदेश में चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक नियुक्त किया है. 2009 में तोमर ने पहला लोकसभा चुनाव जीता था. वो तीन बार से सांसद हैं. इससे पहले वो दो बार ग्वालियर से विधायक चुने गए. 2008 तक एमएलए रहे.

Advertisement

'MP में कांग्रेस से मिल रही है कड़ी चुनौती?'

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल पांच बार लोकसभा सांसद रहे हैं. वो कभी विधायक नहीं रहे. जबकि आदिवासी नेता कुलस्ते छह बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा के लिए चुने गए. इससे पहले वो 1992 में विधायक रहे. पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले अन्य सांसदों में चार बार के लोकसभा सदस्य गणेश सिंह और चार बार के लोकसभा सदस्य राकेश सिंह भी शामिल हैं. राकेश सिंह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. पार्टी नेताओं का मानना ​​है कि नेतृत्व ने कांग्रेस से कड़ी चुनौती को ध्यान में रखकर नए सिरे से रणनीति तैयार की है. कांग्रेस ने 1998 के बाद पहली बार 2018 में राज्य विधानसभा में सबसे ज्यादा सीटें हासिल की थीं.

'2020 में उलटफेर के बाद सत्ता में आई थी बीजेपी'

बीजेपी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में 2008 और 2013 के चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी. हालांकि, 2018 में कांग्रेस ने शिवराज को सत्ता से बाहर कर दिया था. हालांकि, डेढ़ साल बाद सत्ता का उलटफेर हुआ था. सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली थी और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर सीएम बन गए थे. ऐसे में इस बार बीजेपी ने अपने कई नेताओं को खड़ा करके नेतृत्व के मुद्दे को खुला रखने की कोशिश की है.

'दिग्गज नेताओं के सामने क्षमताएं साबित करने का मौका' 

जानकारों का कहना है कि चुनावी दौड़ में बड़े नामों को टिकट देकर पार्टी ने समर्थकों के बीच एक संकेत दिया है. पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी टिकट दिया, जिन्हें लंबे समय से मुख्यमंत्री की कुर्सी की दौड़ में शामिल देखा गया. जानकारों का कहना है कि पार्टी ने विजयवर्गीय समेत अन्य सभी दिग्गज नेताओं को इस चुनाव में अपनी क्षमताएं साबित करने का मौका दिया है. नवंबर-दिसंबर में होने वाले संभावित विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को छोड़कर सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों के लड़ने से पार्टी को उम्मीद है कि इससे गुटबाजी कम होगी और सीटें बढ़ सकती हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement