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विधानसभा चुनाव: शरद पवार ने खेला मराठा कार्ड, दिल्ली बनाम महाराष्ट्र को बनाया मु्ददा

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपने खोए हुए सियासी आधार को वापस लाने के लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार हाथ-पांव मार रहे हैं. सहकारी बैंक घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शरद पवार पर मामला क्या दर्ज किया, उन्होंने इसे लेकर मराठा कार्ड खेलना शुरू कर दिया है.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार (फोटो-फाइल) एनसीपी प्रमुख शरद पवार (फोटो-फाइल)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

  • शरद पवार ने खेला मराठा कार्ड

  • महाराष्ट्र में 33 % मराठा किंगमेकर

  • पवार ने दिल्ली बनाम महाराष्ट्र दांव

महाराष्ट्र राजनीति में बीजेपी की जड़ें मजबूत क्या हुईं, कांग्रेस और एनसीपी के पैरों तले से आधार ही खिसक गया. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपने खोए हुए सियासी आधार को दोबारा से वापस लाने के लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार हाथ-पांव मार रहे हैं. सहकारी बैंक घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शरद पवार पर मामला दर्ज क्या किया, उन्होंने इसे लेकर मराठा कार्ड खेलना शुरू कर दिया है. शरद पवार ने कहा कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र है, इसे दिल्ली के तख्त के सामने झुकना नहीं आता.

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बता दें कि ईडी ने 25000 करोड़ के महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाले में शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार सहित कई और नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है. विधानसभा चुनाव के सरगर्मी के बीच पवार पर मामला दर्ज होने की घटना ने सूबे में सियासी माहौल को गरमा दिया है. एनसीपी के कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

कांग्रेस-एनसीपी के कई नेता बीजेपी और शिवसेना का दामन थाम चुके हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. हालांकि शरद पवार को अब तक मराठों का निर्विवाद नेता माना जाता रहा है. अब पवार के खिलाफ ईडी द्वारा दर्ज किए गए मामले ने उन्हें सहानुभूति बटोरने का मौका दे दिया है.

विधानसभा चुनाव को देखते हुए शरद पवार इस मौके को गंवाना नहीं चाहते हैं. उन्होंने इस मामले को सियासी रंग देते हुए मराठा कार्ड खेल दिया है. छत्रपति शिवाजी महाराज के समय का इतिहास याद दिलाने की कोशिश करते हुए शरद पवार ने कहा है कि यह शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र है, इसने दिल्ली के तख्त के सामने झुकना नहीं सीखा है. हम 27 सितंबर को ईडी की मेहमाननवाजी स्वीकार करने जाएंगे.

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एनसीपी प्रमुख का मराठा कार्ड के पैंतरे से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को सफाई देने के लिए मजबूर होना पड़ा है. फडणवीस को कहना पड़ा है कि सहकारी बैंक घोटाले के मामले में कार्रवाई राजनीतिक उद्देश्य से नहीं हो रही है. इस मामले का प्रदेश सरकार से कोई मतलब नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही ये कानूनी कार्रवाई की जा रही है. इस मामले में जो लोग दोषी हैं, उन पर कार्रवाई होगी.

दरअसल महाराष्ट्र की सियासत में मराठा समुदाय किंगमेकर माना जाता है. राज्य में मराठों की आबादी 28 से 33 फीसदी है. राज्य की विधानसभा की कुल 288 सीटों में से 80 से 85 सीटों पर मराठा वोट निर्णायक माना जाता है. 1960 में महाराष्ट्र राज्य बना.

महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री रहे यशवंतराव चव्हाण ने उस वक्त कहा था कि ये राज्य मराठी लोगों का है. यहीं से शुरू होती है मराठा के नाम पर राजनीति. राज्य के गठन के बाद से अब तक 12 मराठा सीएम हुए हैं. जबकि ब्राह्मण के तौर पर केवल दो हुए-सीएम शिवसेना के मनोहर जोशी और बीजेपी से देवेंद्र फडणवीस. इससे महाराष्ट्र में मराठों के राजनीतिक वर्चस्व और दबदबे को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है.

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दरअसल शरद पवार की राजनीति पूरी तरह से मराठों पर टिकी है. यही वजह है कि उनका आधार मराठावाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के जिलों में है. 2014 और 2019 में मोदी लहर में शरद पवार का किला पूरी तरह से धराशायी हो गया था. मराठा क्षत्रप होने के बावजूद उन्हें  इस बार महज 4 सीटें मिली थीं. 2014 में एनसीपी के जीते 41 विधायकों में से बड़ी संख्या में विधायक बीजेपी और शिवसेना का दामन थाम चुके हैं.

दरअसल बीजेपी इस बात को बखूबी समझती है कि मराठा उसके परंपरागत वोटर नहीं हैं. मराठाओं की पहली पसंद एनसीपी, उसके बाद शिवसेना और तीसरे नंबर पर कांग्रेस आती थी, लेकिन नरेंद्र मोदी की राजनीति ने इस समीकरण को पूरी तरह से तोड़ दिया है. हालांकि इस बार के चुनाव में मराठों का बड़ा तबका बीजेपी के साथ गया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठा समुदाय की सबसे बड़ी मराठा आरक्षण की मांग को पूरा कर बड़ा दांव चला था.

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