
मणिपुर विधानसभा में ताल ठोक रहे उम्मीदवारों में आपराधिक पृष्ठभूमि वालों की कमी नहीं है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव मैदान में उतरे 265 उम्मीदवारों में से 53 पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं. इनमें से 41 गंभीर अपराधों के मुलजिम हैं. कुल उम्मीदवारों में 20 फीसदी आपराधिक रिकॉर्ड वालों हैं जबकि 15 फीसदी उम्मीदवार गंभीर अपराधों में आरोपी हैं. कुल 265 उम्मीदवारों में से 161 राष्ट्रीय दलों से हैं जबकि 57 राज्य स्तरीय क्षेत्रीय दलों के और 17 निर्दलीय उम्मीदवार हैं.
2017 में भी थे 265 उम्मीदवार
पिछली बार 2017 में भी राज्य में 265 उम्मीदवार ही विधानसभा चुनाव में लड़ रहे थे. उनमें से सिर्फ 9 ही आपराधिक रिकॉर्ड वाले थे. इस बार उनकी संख्या में करीब चार गुना इजाफा हुआ है.
10 गुना बढ़े गंभीर अपराधों के उम्मीदवार
पिछले चुनाव में सिर्फ चार उम्मीदवार गंभीर अपराधों के मुलजिम थे तो इस बार ऐसे उम्मीदवारों के संख्या 41 हैं यानी इसमें भी दस गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी.
भाजपा में सबसे ज्यादा दागी
आपराधिक रिकॉर्ड वाले सबसे ज्यादा 13 बीजेपी के हैं तो वहीं कांग्रेस में यह संख्या 12 है. इसके अलावा 11 उम्मीदवारों के साथ जेडीयू तीसरे पायदान पर है. कुल उम्मीदवारों का अनुपात लगाएं तो जेडीयू, कांग्रेस, बीजेपी और एनपीपी का प्रतिशत क्रमश: 29, 23, 22 और 13 बैठता है.
गंभीर अपराधों में भी भाजपा प्रत्याशी आगे
हत्या, जानलेवा हमला या फिर महिलाओं बच्चों के प्रति अपराध यानी गंभीर प्रकृति के अपराध रिकॉर्ड में बीजेपी के 11, जेडीयू के 9, कांग्रेस के 8 और एनपीपी के तीन उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
महिला उम्मीदवारों पर रेप-हत्या के केस
पांच उम्मीदवार महिलाओं के प्रति अपराध के मुलजिम हैं. एक पर तो रेप का मुकदमा चल रहा है. दो पर हत्या और सात पर हत्या के प्रयास का मुकदमा चल रहा है.
यहां पुरुषों से ज्यादा हैं महिला वोटर
चुनाव आयोग के मुताबिक मणिपुर में पुरुष वोटरों की संख्या 9,85,119 जबकि महिला वोटरों की संख्या 10,49,639 है. वहीं 80 साल से ज्यादा उम्र के मतदाताओं की संख्या भी कोई कम नहीं है. यहां ऐसे मतदाताओं की संख्या 41,867 है.
सरकार बनाने से चूक गई थी कांग्रेस
2017 के चुनाव में कांग्रेस के खाते में 28 सीटें थीं लेकि बीजेपी को सिर्फ 21 सीटें ही हासिल हुई थीं जबकि बहुमत के लिए 31 सीटें चाहिए थी. सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस का पलड़ा भारी था लेकिन वह सरकार बनाने से चूक गई थी. बीजेपी ने नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल कर सरकार बना ली थी.