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पुडुचेरी में कल मतदान, पहली बार सरकार बनाने की कोशिश में BJP, कांग्रेस ने दी कड़ी चुनौती

पुडुचेरी विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को वोटिंग होनी है. कांग्रेस डीएमके के साथ मिलकर एक बार फिर से पुडुचेरी की सत्ता में वापसी की कवायद में है. वहीं, बीजेपी ने अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस और एआईडीएमके सहित अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है. ऐसे में पुडुचेरी का सियासी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. 

नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 05 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST
  • पुडुचेरी की 30 सीटों पर 323 कैंडिडेट मैदान में
  • पुडुचेरी की सभी सीटों पर मंगलवार को वोटिंग
  • कांग्रेस और बीजेपी गठबंधन के बीच सीधी फाइट

पुडुचेरी विधानसभा चुनाव की 30 सीटों पर कुल 323 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनकी किस्मत का फैसला मंगलवार को होना है. कांग्रेस डीएमके के साथ मिलकर एक बार फिर से पुडुचेरी की सत्ता में वापसी की कवायद में है. वहीं, बीजेपी ने अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस और एआईडीएमके सहित अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है. ऐसे में पुडुचेरी का सियासी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. 

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पुडुचेरी में किस पार्टी के कितने प्रत्याशी

पुडुचेरी में कुल 33 विधानसभा सीटें है, जिनमें से 3 सदस्यों को मनोनीत किया जाता है. इस तरह से सिर्फ 30 सीटों पर ही चुनाव हो रहे हैं, जिनमें से पांच सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. एन रंगासामी की अगुवाई वाली एआईएनआरसी 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि बाकी 14 सीटों में से भाजपा नौ पर और एआईएडीएमके ने 5 पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. इसी तरह कांग्रेस 14 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और यानम सीट पर एक निर्दलीय का समर्थन कर रही है जबकि उसके सहयोगी दल डीएमके सहित अन्य दल 13 सीटों से चुनाव लड़ रही हैं. यहां अभिनेता से नेता बने कमल हसन और उनकी पार्टी भी किस्मत आजमा रही है. 

पिछले चुनाव में कांग्रेस ने आधी सीटें जीती थी

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बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. पुडुचेरी की 33 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 15 सीटें मिली थी जबकि डीएमके ने तीन पर जीत हासिल की थी. इस तरह से वी नारायणसामी मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले 22 फरवरी को उनकी सरकार गिर गई. ऐसे में कांग्रेस एक बार फिर से राज्य की सत्ता में वापसी के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है, लेकिन एनडीए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने है. 

पुडुचेरी की हाई प्रोफाइल सीटें
पुडुचेरी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी ही नहीं बल्कि कई दिग्गज नेताओं की किस्मत का फैसला भी मंगलवार को राज्य की जनता करेगी. यानम हाई प्रोफाइल के तौर पर जानी जा रही है, क्योंकि एआईएनआरसी नेता एन रंगासामी यहां चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा वह पुदुचेरी के थातांचवडी से भी मैदान में हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ए वी सुब्रमण्यन अपने गृह शहर कराईकल (उत्तर) से चुनाव लड़ रहे हैं. एआईएडीएमके नेता ए अंबलगन उप्पलाम सीट और ओम सखी सेगर ओर्लीनपेट सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. उप्पलाम सीट पर साल 2001 से अंबालागन लगातार चुनाव जीत रहे हैं, लेकिन इस बार उनके सामने डीएमके के उम्मीदवार व पूर्व विधायक एनीबाल कैनेडी मैदान में हैं.

ओम सल्थी सेगर दो बार से नेलिथोप से जीते थे, लेकिन इस बार वो ऑरलिथ सीट से उतरे हैं. कामराज नगर सीट से पूर्व मंत्री एम ओ एच एफ शाहजहां चुनाव लड़ रहे हैं. एमबालम सीट पर एम कंदलसामी और तिरुनलार सीट से आर कमलाकनन मैदान में है. एआईएडीएमके नेता अंबलगन के भाई ए बसकर एआईएडीएमके के टिकट पर मुदलियारपेट सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. मन्नादीपिप सीट काफी अहम है, यहां से पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री ए नमस्सिवयम भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले  उन्होंने अपने गृहनगर विलेनूर से चुनाव लड़ा था. 

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पुडुचेरी के सियासी समीकरण 

तमिलनाडु में डीएमके और एआईएडीएमके के बीच कई दशकों से राजनीति सिमटी हुई है. यही दोनों पार्टियां बारी-बारी राज करती आई हैं जबकि पुडुचेरी इसके विपरीत हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा हैं, क्योंकि बीजेपी अभी तक यहां एंट्री नहीं कर पाई है. केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते तमाम यहां के फैसले केंद्र सरकार के द्वारा नियुक्त एलजी के द्वारा किए जाते हैं. इसलिए इसके मतदाताओं ने विकास और इन्फ्रा परियोजनाओं को प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय पार्टी को प्राथमिकता दी. 

केंद्र की सत्ता पर काबिज मोदी सरकार की अगुवाई वाले गठबंधन को विश्वास है कि इस बार उसे पुडुचेरी में राज्य करने का मौका मिल सकता है. इसके पीछे वजह यह है कि बीजेपी ने पुडुचेरी की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी एन रंगासामी की अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस (एआईएनआरसी) के साथ हाथ मिला रखा है. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और जेपी नड्डा ने पुडुचेरी की 9 सीटों पर पूरी ताकत झोंक दी है और लगातार दौरे करके बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कवायद की है. 

 

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