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सिद्धू ने केजरीवाल को दी बहस की चुनौती, दिल्ली सीएम बोले- जगह और समय बताएं

अरविंद केजरीवाल ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा आम आदमी पार्टी को दी गई बहस की चुनौती स्वीकार की और सिद्धू से बहस के लिए जगह और समय तय करने को कहा. केजरीवाल ने बहस के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान का नाम तय किया और सकारात्मक चर्चा की उम्मीद जताई.

अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान
सतेंदर चौहान
  • चंडीगढ़,
  • 19 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:38 PM IST
  • केजरीवाल ने कहा सिद्धू की चुनौती स्वीकार
  • सिद्धू विकास पर बहस के लिए समय और जगह तय करें: केजरीवाल

विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले ही पंजाब की राजनीति गर्मा गयी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की बहस की चुनौती स्वीकार कर ली है.

बता दें कि राज्य के विकास को लेकर सिद्धू ने उन्हें चुनौती दी है. केजरीवाल ने कहा विकास के मुद्दों पर बहस जरूरी, हमें नवजोत सिद्धू की चुनौती स्वीकार है.

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अरविंद केजरीवाल ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा आम आदमी पार्टी को दी गई बहस की चुनौती स्वीकार की और सिद्धू से बहस के लिए जगह और समय तय करने को कहा. केजरीवाल ने बहस के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान का नाम तय किया और सकारात्मक चर्चा की उम्मीद जताई.

रविवार को चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए केजरीवाल ने कहा, मैं नवजोत सिद्धू द्वारा दी गई बहस की चुनौती स्वीकार करता हूं और उम्मीद करता हूं कि चर्चा सकारात्मक और विकास के मुद्दे पर होगी.

उन्होंने कहा, चूंकि सिद्धू कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष है इसलिए हमारी पार्टी के भी प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान उनसे पंजाब के विकास के मुद्दे पर बहस करेंगे. केजरीवाल ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस को पंजाब का विकास करने के लिए 5 साल मिले थे, लेकिन उन्होंने लोगों से वादाखिलाफी की और सिर्फ बहानेबाजी कर रही है.

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वहीं अमृतसर के श्री हरमंदिर साहिब में हुई बेअदबी की घटना पर दुख जताते हुए केजरीवाल ने कहा, यह घटना साजिश का हिस्सा हो सकता है. पंजाब का अमन-चैन खराब करने के लिए कुछ गलत ताकतें साजिश रच रही है. 

इस घटना के लिए केजरीवाल ने कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि अगर पिछली बार की बेअदबी मामले के दोषियों को सख्त सजा मिली होती, तो किसी व्यक्ति में भी दोबारा ऐसा गुनाह करने की हिम्मत नहीं होती.

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