
पंजाब की राजनीति में इस समय अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया सुर्खियों में बने हुए हैं. ड्रग्स केस के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया और उनकी गिरफ्तारी के भी आदेश दे दिए गए हैं. अभी के लिए मजीठिया अंडरग्राउंड हो चुके हैं और उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी कर दिया गया है.
किस मामले में फंसे मजीठिया?
अब इस कार्रवाई की टाइमिंग पर अकाली दल सवाल खड़ा कर रही है. कहा जा रहा है चुनाव नजदीक है और बेअदबी मामले से लोगों का ध्यान भटकाना है, ऐसे में ब्रिकम सिंह मजीठिया को झूठे मामले में फंसाया जा रहा है. अब कितना सच कितना झूठ, ये जांच का विषय है, लेकिन जिस मामले में अकाली नेता फंसे हुए हैं, ये कई साल पुराना हो गया है.
2013 में जब 6000 करोड़ रुपये के ड्रग्स रैकेट का पर्दाफाश हुआ था, तभी मामले के मुख्य आरोपी जगदीश भोला ने पूछताछ में ब्रिकम सिंह मजीठिया का नाम लिया था. बाद में ईडी ने उनसे पूछताछ भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे, उन्होंने अपनी ही सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए. अब उस दवाब और सत्ता में साढ़े चार साल बिताने के बाद पंजाब की कांग्रेस सरकार ने ड्रग्स मामले में बड़ी कार्रवाई की. सबसे पहले तो पंजाब सरकार ने इकबाल प्रीत को डीजीपी के पद से मुक्त कर दिया. उनको हटाने के बाद सिद्धू के करीबी माने जाने वाले सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को वो पद सौंप दिया गया. अब उन्होंने जिम्मेदारी संभालते ही ब्रिकम सिंह मजीठिया के खिलाफ NDPS एक्ट की धारा 25, 27 ए और 29 के तहत मामला दर्ज कर लिया.
मजीठिया पर कार्रवाई, बादल परिवार क्यों परेशान?
अब सवाल आता है कि मजीठिया के खिलाफ केस दर्ज होने से बादल परिवार की मुश्किलें क्यों बढ़ गई हैं? आखिर पंजाब चुनाव के दौरान इसे अकालियों के लिए एक बड़े सैटबैक की तरह क्यों देखा जा रहा है? अब इसका जवाब ब्रिकम सिंह मजीठिया की शख्सियत में छिपा हुआ है. दरअसल ब्रिकम सिंह मजीठिया अकाली नेता और सांसद हरसिमरत कौर के छोटे भाई हैं, यानी कि वे पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल के साले हैं. ऐसे में उनका ताल्लुक एक बड़े राजनीतिक परिवार से है जिसका पंजाब की राजनीति में शुरुआत से गहरा प्रभाव रहा है.
उन्होंने खुद अकाली सरकार के दौरान बड़ी जिम्मेदारियां निभाई हैं. उन्हें सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया था. वे दो बार मजीठा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव भी जीतते आ रहे हैं. इसके अलावा वे यूथ अकाली दल के अध्यक्ष भी हैं. ऐसे में मजीठिया का कद भी काफी ऊंचा है और जिस परिवार से वे ताल्लुक रखते हैं, उसकी भी पंजाब की राजनीति में एक सक्रिय भूमिका है.
मजीठिया की निजी जिंदगी पर नजर
ब्रिकम सिंह मजीठिया की निजी जिंदगी की बात करें तो उनका जन्म 1976 में एक जाट सिख परिवार में हुआ था. उनके परिवार में सभी काफी पढ़े लिखे भी हैं और अपने समय में बड़े पदों पर आसीन रहे हैं. उनके पिता सरदार सत्यजीत सिंह मजीठिया भी राजनीति में सक्रिय रह चुके हैं. वे पूर्व उप रक्षा मंत्री हुआ करते थे. उनके दादा की बात करें तो वे वायुसेना में विंग कमांडर रह चुके हैं. ऐसे में शुरुआत से ही ब्रिकम सिंह मजीठिया का बड़े लोगों के साथ उठना-बैठना रहा.
बाद में उन्होंने साल 2009 में गनीवे ग्रेवाल से शादी की और उनके दो बच्चे भी हैं. लेकिन जब से मजीठिया ड्रग्स मामले में फंसे हैं, अकाली पार्टी और बादल परिवार के लिए अलग ही मुसीबत खड़ी हो गई है. विपक्ष के लिए तो ये सबसे बड़ा मुद्दा रहता ही है, लेकिन अपने करीबी को लगातार बचाना पार्टी और बादल परिवार के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है.
कार्रवाई का पंजाब चुनाव पर कितना असर?
वैसे भी इस बार ब्रिकम सिंह मजीठिया के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी है, मतलब बड़ी कार्रवाई कभी भी हो सकती है. उनकी गिरफ्तारी भी संभव है. ऐसे में पंजाब का सियासी पारा काफी हाई है. पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने इसे बदले वाली कार्रवाई बता दिया है. उन्होंने चुनौती दी है कि वे कही भी आने को तैयार हैं, उनसे पूछताछ की जा सकती है. सुखबीर सिंह बादल भी इसे बहुत बड़ी गलती बात रहे हैं. लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे पर पूरी तरह आक्रमक हो गई है.
सबसे ज्यादा हमला तो नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ से होता दिख रहा है. सिद्धू ने आज फिर मजीठिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं और पूरे बादल परिवार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने मजीठिया के बहाने कैप्टन पर हमला करते हुए कहा है कि सीएम रहते हुए उन्होंने ड्रग्स माफिया के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. उन्होंने राजनीतिक फायदे के लिए मजीठिया को बचाया, उनकी तरफ से Gutka Sahib की झूठी शपथ ली गई थी.