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अमृतसर के मजीठा विधानसभा सीट को अकालियों का गढ़ भी कहा जाता है. जब भी अमृतसर से सांसद के चुनाव होते हैं तो सबसे ज्यादा अकाली दल और भाजपा के गठजोड़ के उमीदवार की उम्मीदें मजीठा विधानसभा से ही होती हैं. आइये जानते हैं कि अब तक कितनी बार अकाली दल के उमीदवार यहां से विधायक रह चुके हैं. अमृतसर के विधानसभा मजीठा से इस समय हरसिमरत बादल के भाई बिक्रम मजीठिया विधायक हैं. बिक्रम मजीठिया अपनी सरकार के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं और आज भी मजीठा के विकास की बात करें तो लोग संतुष्ट हैं. उनका मानना है कि बिक्रम मजीठिया ने विकास का कोई ऐसा काम नहीं है जो छोड़ा हो. आज मजीठा की सड़कें और बस स्टैंड शहरों से बेहतर हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अमृतसर के विधानसभा मजीठा की शुरुआत 1972 में हुई थी जब किरपाल सिंह, कांग्रेस की तरफ से यहां से विधायक चुने गए थे. किरपाल सिंह ने अकाली दल के उमीदवार उत्तम सिंह को महज 300 वोटों से हरा कर जीत दर्ज कर थी. लेकिन अगली बार यानी 1977 में अकाली दल के उमीदवार प्रकाश सिंह ने किरपाल सिंह को हरा दिया. 1980 में प्रकाश सिंह ने इसी विधानसभा सीट से दोबारा जीत दर्ज की लेकिन 1985 में अकाली दल हैट्रिक नहीं लगा पाई और कांग्रसी उमीदवार सुरिंदर पाल सिंह ने जीत दर्ज कर ली.
इस बीच 1992 में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला फैसला आया और आज़ाद उमीदवार के तौर पर अपनी किस्मत आजमाने वाले रंजीत सिंह ने कांग्रसी उमीदवार सुरिंदर पाल को हराया. इन चुनावों में अकाली दल के उमीदवार को महज 800 वोट हासिल हुई. अकाली दल इतने आराम से इस सीट को हाथ से कैसे जाने दे सकता था. 1997 में अकाली दल के उमीदवार प्रकाश सिंह ने 3000 वोट से जीत कर इस सीट पर कब्ज़ा कर लिया.
2002 में सविंदर सिंह कांग्रेसी उमीदवार ने फिर से इस सीट पर कब्ज़ा किया. वहीं 2007 में बिक्रम मजीठिया मैदान में उतरे और उनके सामने कांग्रेस ने सुखजिंदर राज सिंह लाली को टिकट से नवाजा लेकिन बिक्रम मजीठिया ने करीब 22000 वोट से जीत दर्ज की. 2012 में बिक्रम मजीठिया को हराने के लिए कांग्रेस ने लाली मजीठिया को टिकट न देकर शैलेन्द्र जीत सिंह को टिकट दी. इस चुनाव में सुखजिंदर राज लाली आज़ाद उमीदवार के तौर पर खड़े हुए और जीत एक बार फिर बिक्रम मजीठिया की हुई. 2017 में बिक्रम मजीठिया ने एक बार फिर 20000 वोट से जीत कर मजीठा विधानसभा में हैट्रिक लगाई.
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मजीठा में ज्यादातर सिख वोट
अमृतसर के विधानसभा एरिया मजीठा में ज्यादातर सिख वोट है और विकास के नाम पर लोग अपने मतों का प्रयोग करने जाते हैं. लोगों के मुताबिक विकास का कोई ऐसा काम नहीं है जो बिक्रम मजीठिया ने ना किया हो. शायद इसीलिए बिक्रम मजीठिया लोगों के चहेते हैं.
बिक्रम मजीठिया का राजनीतिक इतिहास ये है कि उनकी बहन हरसिमरत बादल, मोदी सरकार में मंत्री रह चुकी हैं और बठिंडा से सांसद हैं. इसके साथ ही शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के वह साले हैं और आज भी मजीठा के लोग उन्हें उनके किये गए कामों की वजह से वोट करते हैं.