
पंजाब में विधानसभा चुनाव (Punjab Elections) से पहले कांग्रेस (Congress) पार्टी में जारी विवाद अभी तक थमा नहीं है. इस विवाद के बीच शुक्रवार को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने एक बार फिर नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात की है. पार्टी यूनिट में लगातार हो रही इस हलचल के कारण पंजाब में बैठे कांग्रेस के नेता, मंत्री भी कन्फ्यूज़न में हैं.
दरअसल, संकट का सबसे बड़ा कारण ये है कि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ही पार्टी का मुख्य चेहरा हैं. लेकिन दूसरी ओर नवजोत सिंह सिद्धू हैं, जिन्हें इस वक्त गांधी परिवार का करीबी माना जा रहा है.
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गांधी परिवार और नवजोत सिंह सिद्धू की नजदीकियों को पंजाब कांग्रेस के तमाम नेता जानते हैं. और उन्हें अभी भी ये डर सता रहा है कि कहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह के बराबर ही पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर लाकर आलाकमान नवजोत सिंह सिद्धू को ना बैठा दे.
इसी वजह से पंजाब कांग्रेस के किसी भी नेता या विधायक से अगर पूछा जाए कि नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह में से कौन ज्यादा महत्वपूर्ण और बड़ा नेता है. तो इन सवालों पर उनका सिर्फ यही नपा-तुला जवाब होता है कि जो ऐलान आलाकमान करेगा वो फैसला सबको मंजूर होगा.
पंजाब में किसका पलड़ा भारी?
अगर विधायकों की संख्या पर नजर डाली जाए तो भी पलड़ा कैप्टन अमरिंदर सिंह का ही भारी लगता है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ अभी भी 80 में से करीब 60 से 65 विधायक हैं, जबकि कैबिनेट के 17 मंत्रियों में से 13 मंत्री कैप्टन के साथ ही हैं. इन सभी के अलावा ज्यादातर सांसद, जिलों के अध्यक्ष और अन्य निगम-बोर्डों के चेयरमैन भी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ ही हैं.
वहीं संख्या के हिसाब से नवजोत सिंह सिद्धू के साथ अब तक खुलकर सिर्फ 4 कैबिनेट मंत्री और 4 विधायक ही आए हैं. यही वजह है कि चाह कर भी कांग्रेस आलाकमान नवजोत सिंह सिद्धू के सामने कैप्टन अमरिंदर सिंह को दरकिनार करने की हिम्मत दिखा पा रहा है.
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाना चाहता है, तो कैप्टन अमरिंदर सिंह इसके विरोध में हैं. बीते दिन पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने जब ऐसे संकेत दिए, तब कैप्टन अमरिंदर की नाराजगी की खबरें सामने आने लगीं. इसी के बाद हरीश रावत ने अपने बयान पर यू-टर्न लिया और कहा कि अंतिम फैसला सोनिया गांधी ही लेंगी.