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Election Results 2022: कौन हैं वो चेहरे जिनसे हार गए चन्नी, सिद्धू, बादल और धामी जैसे धुरंधर

Election Results 2022: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव के नतीजे गुरुवार को सामने आए. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी अपनी सरकार बचाने में कामयाब रही. तो पंजाब में आप ने बड़ा उलटफेर कर कांग्रेस को करारी मात दी.

नवजोत सिंह सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी, अमरिंदर सिंह और पुष्कर सिंह धामी अपनी अपनी सीट पर चुनाव हार गए. नवजोत सिंह सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी, अमरिंदर सिंह और पुष्कर सिंह धामी अपनी अपनी सीट पर चुनाव हार गए.
aajtak.in
  • चंडीगढ़. ,
  • 11 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 10:05 AM IST
  • पंजाब में हारे कैप्टन, सिद्धू और बादल
  • उत्तराखंड में सीएम धामी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को मिली हार

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव के नतीजे गुरुवार को सामने आए. इन चुनावों में कुछ चौंकाने वाले नतीजे भी आए हैं. इस चुनाव में पंजाब कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू, पंजाब सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे दिग्गज अपना गढ़ नहीं बचा पाए. उत्तराखंड में बीजेपी सरकार बनाने में तो सफल रही, लेकिन सीएम चेहरा रहे पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट हार गए. आईए जानते हैं कि इन दिग्गज नेताओं को मात देने वाले नेता कौन हैं?

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चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीट से हारे 

पंजाब के सीएम और मुख्यमंत्री चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी दो सीटों (भदौर और चमकौर साहिब) से चुनाव मैदान में उतरे थे. उन्हें दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. चन्नी को भदौर सीट से आप उम्मीदवार लाभ सिंह उगोके ने मात दी. लाभ सिंह 35 साल के हैं. वे राजनीति में आने से पहले मोबाइल रिपेयर की दुकान पर काम करते थे और 2013 में ही आप से जुड़े थे.

वहीं, चमकौर साहिब सीट से चन्नी को आप उम्मीदवार डॉ चरणजीत सिंह ने मात दी. डॉ चरणजीत सिंह आंखों के डॉक्टर हैं. वे लंबे समय से समाज सेवा से जुड़े हैं. वे चंडीगढ़ पीजीआई में कार्यरत हैं. 

नवजोत सिंह सिद्धू को महिला उम्मीदवार ने दी मात

नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर पूर्व सीट से चुनाव मैदान में थे. उनके खिलाफ आम आदमी पार्टी ने जीवनजोत कौर को चुनाव मैदान में उतारा था. इस सीट से शिरोमणि अकाली दल के विक्रम सिंह मजीठिया ने भी चुनाव लड़ा था. जीवनजोत कौर ने इस सीट से दोनों दिग्गजों को मात दी. 

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5 बार सीएम रहे प्रकाश बादल भी हारे

पंजाब में इस चुनाव में बड़ा उलटफेर देखने को मिला. उलटफेर का असर दिग्गज नेताओं की सीटों पर भी हुआ. यहां तक की 5 बार के सीएम प्रकाश बादल खुद लांबी सीट से चुनाव हार गए. उन्हें आप उम्मीदवार गुरमीत सिंह खुडियां ने मात दी. गुरमीत सिंह खुडियां के पिता जगदेव सिंह खुडियां 1989 में फरीदकोट सीट से सांसद रहे हैं. गुरमीत सिंह पहले कांग्रेस में थे. लेकिन इस बार वे आप में शामिल हो गए. 

सुखबीर सिंह बादल भी हारे चुनाव

प्रकाश बादल के बेटे और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल भी चुनाव हार गए. सुखबीर बादल जलालाबाद सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे. उन्हें आप के जगदीप सिंह गोल्डी कंबोज ने मात दी. जगदीप सिंह एलएलबी पास हैं और कांग्रेस में भी रहे हैं. लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे और हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, इस बार उन्हें आप पार्टी ने टिकट दिया था. जगदीप ने 23310 वोटों से सुखबीर बादल को मात दी. 

कांग्रेस छोड़ अपनी पार्टी बनाने वाले अमरिंदर सिंह भी हारे

पंजाब के पूर्व सीएम और कांग्रेस छोड़ नई पार्टी बनाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी हार का सामना करना पड़ा. अमरिंदर सिंह पटियाला शहर से चुनाव मैदान में थे. उन्हें अजीतपाल कोहली ने मात दी. अजीतपाल पहले अकाली दल की सरकार में पटियाला के मेयर भी रहे हैं. हाल ही में वे आप में शामिल हुए थे. अमरिंदर सिंह के पिता सुरजीत भी विधायक रह चुके हैं. 

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पुष्कर सिंह धामी-हरीश रावत भी हारे

उत्तराखंड में छह महीने पहले सत्ता की कमान संभालने वाले सीएम पुष्कर धामी बीजेपी की वापसी कराकर हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन की रवायत को तोड़ने कामयाब रहे, लेकिन अपनी सीट ही नहीं बचा सके. सूबे की हाई प्रोफाइल खटीमा विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी भुवन चंद्र कापड़ी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को करारी मात दी है.

भुवन चंद्र कापड़ी कांग्रेस प्रदेश युवा कार्यकारी अध्यक्ष हैं. वे 2017 में भी धामी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्हें कड़ी टक्कर दी थी. कापड़ी खटीमा की राजनीति में काफी एक्टिव हैं. 

हरीश रावत लाल कुआं सीट से हारे

उधर, कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अपना चुनाव हार गए. हरीश रावत को लालकुआं सीट से बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने हराया. मोहन सिंह को बीजेपी ने 6 साल के लिए निकाला था. लेकिन चुनाव से ठीक पहले उनकी बीजेपी में फिर वापसी की. बिष्ट ने छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. उन्हें जमीनी नेता माना जाता है. 

 

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