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Pratap singh bajwa: पिता से सीखा राजनीति का ककहरा, अब भाई की सीट से ठोकी ताल

Punjab Assembly 2022: पंजाब में सियासी पारा हाई है. सूबे में शह-मात का खेल जारी है. ऐसे में चुनावी जंग रिश्तों पर भी भारी पड़ती दिखाई दे रही है. दरअसल कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने कादियां सीट से ताल ठोक दी है. इसी सीट से उनके भाई फतेहजंग पिछली बार कांग्रेस से विधायक बने थे. फतेहजंग भाजपा में चले गए हैं. ऐसे में परिवार की यह रार कहां जाकर ठहरेगी ये तो 10 मार्च को ही साफ होगा.

प्रताप सिंह बाजवा (फाइल फोटो) प्रताप सिंह बाजवा (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:17 AM IST
  • Punjab Assembly 2022: पंजाब में सियासी पारा हाई है. सूबे में शह-मात का खेल जारी है. ऐसे में चुनावी जंग रिश्तों पर भी भारी पड़ती दिखाई दे रही है. दरअसल कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने कादियां सीट से ताल ठोक दी है. इसी सीट से उनके भाई फतेहजंग पिछली बार का
  • कांग्रेस ने प्रताप सिंह बाजवा को कादियां सीट से दिया टिकट

Punjab Assembly 2022: पंजाब में इलेक्शन नजदीक हैं. चुनावी चौसर बिछ चुकी है. सभी पार्टियां मैदान में पूरा दमखम लगा रही हैं. इसी बीच इन दिनों एक नाम सुर्खियों में हैं. वो है प्रताप सिंह बाजवा (Pratap Singh Bajwa). राज्यसभा सदस्य और पंजाब कांग्रेस की चुनाव घोषणा पत्र कमेटी के चेयरमैन प्रताप सिंह बाजवा की पंजाब के चुनाव में भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है. राज्यसभा सदस्य बाजवा एक बार फिर से पंजाब की पॉलिटिक्स में एक्टिव हो गए हैं. वह कादियां विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं.

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छात्र राजनीति से शुरू हुआ सियासी सफर

अपने पिता से सियासी गुर सीखने वाले प्रताप सिंह बाजवा ने 1976 में डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से छात्र राजनीति में कदम रखा था. इसके बाद 1982 में युवा कांग्रेस अध्यक्ष बने. सियासी संघर्ष जारी रहा. बाजवा का राजनीतिक करियर अभी उछाल मारने वाला था. वह 1992 में चुनाव जीतकर विधायक बने. बाजवा की लगन और मेहनत की वजह से उन्हें 1994 में कैबिनेट में मंत्री पद दिया गया. सियासी करियर आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 2002 और 2007 में चुनाव लड़ा और एमएलए बने. बता दें कि 2002 में उन्हें एक बार फिर से कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. इसके बाद 2013 में वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे.

2009 में चुनाव जीतकर पहुंचे संसद

फिर साल आया 2009 का. जब देश में आम चुनाव हो रहे थे. इसमें बाजवा ने भी पंजाब की गुरुदासपुर लोकसभा सीट से चुनावी दंगल में दो-दो हाथ करने की ठानी. ये चुनाव काफी दिलचस्प हो गया था क्योंकि उन्होंने बीजेपी के वीआईपी कैंडिडेट और 4 बार के सांसद रहे विनोद खन्ना को चुनाव में पटखनी दे दी थी. लिहाजा वह 2009 से  2014 तक सांसद रहे. इसके बाद बाजवा 10 अप्रैल 2016 को राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए.

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प्रताप सिंह बाजवा (फाइल फोटो)

कैप्टन से खटपट का मामला आता रहा है सामने

64 साल के प्रताप सिंह बाजवा अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. जानकारी के मुताबिक साल 2013 में जब उन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर सौंपी गई थी तब वह काफी सुर्खियों में आए थे. हालांकि उन्हें कैप्टन के दवाब में प्रदेश अध्यक्ष पद की कुर्सी गंवानी पड़ी थी. पंजाब के सियासी गलियारों में ये बात काफी हवा लेती रही है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और बाजवा में लंबे समय तक खटपट रही थी.

पंजाब के संभावित सीएम में शुमार रहा है नाम

प्रताप सिंह बाजवा का नाम कांग्रेस के द‍िग्‍गज नेताओं में शुमार है. बता दें कि हाल ही में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा सौंपा था तब उनका नाम मुख्यमंत्री के दावेदारों में शामिल था. इसके साथ ही प्रताप सिंह पंजाब की राजनीति में काफी पुराना चेहरा हैं. लिहाजा सियासत में उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है.

प्रताप सिंह बाजवा (फाइल फोटो)

पिता के नक्शे कदम पर चले बजावा

कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजाव सतनाम सिंह बाजवा के बेटे हैं. बता दें कि उन्होंने अपने पिता से राजनीति का ककहरा सीखा. उनके पिता सतनाम सिंह 3 बार विधायक बने और विधानसभा पहुंचे. वहीं प्रताप सिंह भी तीन बार विधायक चुने गए. 

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बाजवा का परिवार भी पॉलिटिक्स में शामिल

प्रताप स‍िंह बाजवा की पत्नी चरणजीत कौर बाजवा पिछली विधानसभा में विधायक रही हैं. इसके साथ ही उनके भाई फतेह जंग सिंह बाजवा कादियां सीट से ही कांग्रेस के विधायक चुने गए थे. लेकिन इस बार प्रताप सिंह ने इसी सीट से चुनाव लड़ने की दावेदारी ठोक दी तो भाई फतेह जंग सिंह बाजवा ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया.
 

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