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Tarn Taran assembly seat: अकाली दल फिर से कब्जा कर पाएगी या कांग्रेस बरकरार रखेगी सीट

तरनतारन शहर (Tarn Taran seat ) में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तरह वहां पर भी बहुत बड़ा स्वर्ण मंदिर है जिसे सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जुन देव जी ने बनवाया था. इस शहर को गुरु अर्जुन देव जी ने बसाया था.

Tarn Taran assembly seat Tarn Taran assembly seat
जगदीप सिंह
  • तरनतारन ,
  • 17 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 4:10 AM IST
  • सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जुन देव जी ने बसाया था तरनतारन
  • 2017 के चुनाव में कांग्रेस के धर्मबीर ने SAD से छीनी थी सीट
  • धर्मबीर अग्निहोत्री पेशे से डॉक्टर और आज भी करते हैं प्रैक्टिस

तरनतारन विधानसभा सीट (Tarn Taran assembly seat) पंजाब के 117 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से एक है और यह सामान्य वर्ग की सीट है. यह सीट तरन तारन जिले के तहत आती है लेकिन खडूर साहिब लोकसभा के 9 विधानसभा सीट में से एक है. अभी इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है.

सामाजिक तानाबाना
तरनतारन शहर में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तरह वहां पर भी बहुत बड़ा स्वर्ण मंदिर है जिसे सिखों के पांचवें गुरु गुरु अर्जुन देव जी ने बनवाया था. इस शहर को गुरु अर्जुन देव जी ने बसाया था. अमृतसर से तरनतारन की दूरी 25 किलोमीटर है यहां पर लोग पंजाबी भाषा बोलते हैं.

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तरनतारन शहर की बात करें तो अमावस वाले दिन स्वर्ण मंदिर में लाखों श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं. तरनतारन शहर में रेलवे स्टेशन भी है जो अमृतसर से चल कर राजस्थान की ओर रवाना होती है.

तरनतारन में 2017 रिकॉर्ड के मुताबिक कुल वोट 181901 थे जिसमें 86450 महिलाए और 95447 पुरुष वोटर्स थे. इसके अलावा चार थर्ड जेंडर वोटर भी शामिल थे. 2017 चुनाव में 72.75 % वोट डाले गए थे.

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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कभी इस सीट पर अकाली दल का कब्जा था. तरनतारन में बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग रहते हैं और अकाली दल के साथ जुड़े हुए हैं. यहां पर 4 दशक से ज्यादा समय तक अकाली दल का कब्जा रहा. 45 साल बाद 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस ने यहां पर विजय हासिल की थी.

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कांग्रेस की कोशिश है कि अगले साल 2022 में होने वाले चुनाव में फिर से जीत हासिल की जाए, इसलिए पार्टी ग्राउंड लेवल पर लगातार मेहनत कर रही है. 

2017 का जनादेश
2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस के डॉक्टर धर्मबीर अग्निहोत्री ने जीत हासिल की थी. अग्निहोत्री ने अकाली दल के वर्चस्व को तोड़ते हुए यह जीत अपने नाम की थी. उन्होंने यह जीत 14629 मतों के अंतर से हासिल की थी.

डॉक्टर अग्निहोत्री को 59794 मत मिले तो अकाली दल के हरमित सिंह संधू को 45165 वोट मिले. आम आदमी पार्टी के करतार सिंह पहलवान तीसरे स्थान पर रहे.

2017 में कांग्रेस के डॉक्टर धर्मबीर अग्निहोत्री ने जीत हासिल की

13 मार्च 1946 को जन्मे विधायक डॉक्टर धर्मबीर अग्निहोत्री ने दिल्ली से BAMS की डिग्री हासिल की और उसके बाद अपने गांव और शहर में प्रैक्टिस करने लग गए. डॉक्टर धर्मबीर अग्निहोत्री पहले गांव के सरपंच बने और इसके बाद वह राजनीति में आ गए. लेकिन अपना डॉक्टरी का पेशा नहीं छोड़ा. आज भी हर रोज 4 घंटे अपने क्षेत्र के गांव के मरीजों का इलाज करते हैं.

धर्मबीर अग्निहोत्री ने 2007 में पहली बार कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ा मगर जीत न सके. 2012 में कांग्रेस ने फिर डॉक्टर धर्मबीर अग्निहोत्री को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन तब महज 4400 वोटों से हार गए. इसके बाद 2014 में कांग्रेस ने उन्हें जिला कांग्रेस कमेटी तरनतारन का अध्यक्ष बनाया. 2017 के चुनाव में डॉक्टर अग्निहोत्री फिर चुनाव मैदान में उतरे और इस बार 14629 वोटों के अंतर से जीत हासिल की.

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रिपोर्ट कार्ड

तरनतारन के लोगों की मुश्किलों की बात करें तो बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है जिसकी वजह से नौजवान रोजगार न मिलने की वजह से नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं. तरनतारन शहर में इंडस्ट्री पर नजर डालें तो यहां एक शुगर मिल थी जो लंबे समय से बंद है और जहां पर काम करने वाले 1500 लोगों का रोजगार चला गया. लोगों की मांग है कि उनके क्षेत्र में इंडस्ट्री होनी चाहिए. विधायक ने कम्युनिटी सेंटर, आईटीआई कालेज, रेन बसेरा बनाया और चार पार्क बनवाए हैं.

तरनतारन में पानी की समस्या विकराल थी और इसके चलते स्पेशल कोटे से 6 ट्यूब वेल लगवाए. अभी भी तरनतारन में सीवरेज की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. इलाके में सरकारी शुगर मिल है जो आतंकवाद के समय से ही बंद पड़ी है. बेरोजगारी इस हल्के का मुख्य मुद्दा है.

विविध

तरनतारन के लिए नशा सबसे बड़ी चुनौती है. कांग्रेस सरकार भले ही नशा खत्म करने के लक्ष्य को लेकर सत्ता में आई थी. मगर अभी भी नशे पर पूरी तरह से लगाम नहीं कसी जा सकी है. इलाके में नशा तस्करी एक सामजिक अभिशाप है.

हाल ही में पंजाब में जहरीली शराब को लेकर कई मौतें हुई थीं और इसकी मुख्य वजह भी अवैध शराब की तस्करी ही थी. इलाके में अकाली दल के कट्टर वोटरों का एक बड़ा वोट बैंक है जो 2017 में खिसक कर कांग्रेस के पाले में चला गया. बेरोजगारी के कारण तरनतारन के कई युवक नामी गैंगस्टर बन चुके हैं.

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