
राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों के लिए 25 नवंबर को मतदान होना है. जयपुर में हलचल है, दिल्ली में बैठकों का दौर चल रहा है लेकिन कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची फंस गई है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट, राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ये तो कह रहे हैं कि उम्मीदवारों की सूची जल्द जारी की जाएगी. लेकिन कब? ये कोई नहीं बता रहा.
जो पार्टी चुनाव से कम से कम दो महीने पहले उम्मीदवारों के ऐलान की बात कर रही थी, उसकी लिस्ट में हो रही देरी के पीछे असली वजह क्या है? ये कांग्रेस नेतृत्व ही जाने लेकिन कयासों-अटकलों का दौर भी जारी है. खासकर तब, जब मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से 229 और छत्तीसगढ़ की 90 में से 85 सीटों के लिए पार्टी उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है.
कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व भले ही ऊपर-ऊपर राजस्थान कांग्रेस में 'ऑल इज वेल' का संदेश देने की कोशिश कर रहा हो, जमीन पर ऐसा है नहीं. पिछले 24 घंटे के भीतर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के टिकट वितरण से लेकर अगले मुख्यमंत्री तक, जो बयान आए हैं उनमें ये पांच कड़वे तथ्य भी हैं.
प्यार की बात, 40 दिन की याद
अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को लेकर ये तो कहा कि हमारे बीच इतनी प्यार-मोहब्बत है कि क्या बताएं, विपक्ष को तकलीफ हो रही है कि अब हमारे झगड़े क्यों नहीं हो रहे? लगे हाथ वह पायलट की बगावत के समय 40 दिन के घटनाक्रम का जिक्र करना भी नहीं भूले. सीएम गहलोत ने कहा कि जब 40 दिन होटल में रहने के बाद हम सब बाहर आए, मैंने कहा था कि हम सब भूलकर काम करेंगे. गहलोत का ये बयान बताता है कि चुनावी मजबूरी हो या नेतृत्व का दबाव, पायलट और वह साथ तो नजर आ रहे हैं लेकिन कड़वाहट गई नहीं है.
टिकटों पर बयान में भी खटास
टिकट बंटवारे को लेकर भी दोनों के बयान में खटास झलक रही है. अशोक गहलोत ने कहा कि पायलट साहब के सब टिकट क्लियर हो रहे हैं. उनके साथ जो गए थे, उनके टिकट सब क्लियर हो रहे हैं. मैंने एक भी टिकट पर आपत्ति नहीं की. गहलोत टिकट के मुद्दे पर भी राजस्थान सरकार के संकट की याद दिलाना नहीं भूले. वहीं, पायलट ने भी टिकट बंटवारे के सवाल पर कहा कि मैंने किसी दावेदार का विरोध नहीं किया है. अब प्यार-मोहब्बत का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है.
गहलोत-पायलट के बयानों में गांधी परिवार केंद्र
सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बयानों के केंद्र में गांधी परिवार भी है, लेकिन जो संदेश है उसमें खटास साफ झलक रही है. गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी ने सबसे पहले मुझे सीएम बनाया था. मेरे ऊपर हाईकमान ने भरोसा किया है तो कुछ तो कारण होंगे. वहीं, पायलट ने भी इशारों-इशारों में नेतृत्व की अवमानना का चैप्टर खोलना नहीं भूले.
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उन्होंने कहा कि पिछले साल जो घटनाक्रम हुआ उसमें किसी ने सोनिया गांधी की अवमानना की हो, तब भी मैंने ये कहा कि जो पार्टी के हित में है उसको टिकट मिलना चाहिए. पायलट इशारों-इशारों में पार्टी नेतृत्व के विधायक दल की बैठक बुलाने के फैसले की अवमानना कर समानांतर बैठक बुलाए जाने की याद दिला गए. पायलट के इस बयान को नेतृत्व के लिए संदेश के रूप में देखा जा रहा है. चर्चा ये भी है कि स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में गहलोत के भरोसेमंद शांतिलाल धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ का नाम देख सोनिया और राहुल गांधी भड़क गए थे.
सीएम फेस से पार्टी को परहेज, गहलोत देने लगे संदेश
कांग्रेस ने राजस्थान चुनाव से पहले ये साफ कर दिया था कि पार्टी चुनाव मैदान में सीएम के लिए कोई चेहरा आगे किए बिना उतरेगी. पार्टी को सीएम फेस बताने से परहेज है लेकिन अशोक गहलोत अभी से ही ये संदेश में जुट गए हैं कि सरकार बनी तो मुख्यमंत्री वही बनेंगे. गहलोत ने फिर कहा है कि मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता लेकिन ये कुर्सी मुझे नहीं छोड़ रही... छोड़ेगी भी नहीं. गहलोत के इस बयान पर पायलट ने कहा है कि कौन क्या बनेगा, ये आलाकमान तय करेगा. गहलोत जहां तस्वीर साफ करने की कोशिश में जुट गए हैं कि मुख्यमंत्री हम ही बनेंगे. वहीं, पायलट भी ये बताने में जुट गए हैं कि फैसला चुनाव के बाद नेतृत्व करेगा.
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गले मिल लिए, क्या दिल भी मिले हैं?
चुनाव का ऐलान हो चुका है. सूबे की सभी 200 सीटों के लिए 25 नवंबर को मतदान होना है और नतीजे भी 3 दिसंबर को आ जाएंगे. मतदान की तिथि जैसे-जैसे करीब आती जा रही है, सियासी तापमान बढ़ रहा है. चुनावी बयार भी अब रफ्तार पकड़ रही है, सीएम गहलोत और पायलट, दोनों ही नेता जीत को अपना लक्ष्य बता रहे हैं. आलाकमान का दबाव हो या भविष्य की महत्वाकांक्षा, दोनों नेता गले तो मिल लिए लेकिन ताजा बयानों के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या इनके दिल मिले हैं? क्या राजस्थान कांग्रेस में सब ठीक है?