
राजस्थान में मतदान की घड़ी करीब आ गई है. चुनाव प्रचार के लिए अब बस दो दिन का समय बचा है और सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. रैलियों का रेला है तो सबकी नजरें मंच से लेकर पोस्टर पर तस्वीर से लेकर किसकी किसके साथ कैसी केमिस्ट्री है? इस पर भी हैं. इन सबके बीच सबसे अधिक चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर हो रही है.
सन 2003 के बाद ये पहला चुनाव है जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बिना सीएम फेस के चुनाव मैदान में उतरी है. दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा को बीजेपी ने सीएम फेस बनाने से परहेज किया तो तमाम तरह की चर्चा होने लगी. कहा तो यह तक जाने लगा कि बीजेपी अब राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा से आगे देख रही है. तमाम कयासों और चर्चाओं को पीएम मोदी की रैलियों समेत पार्टी की बड़ी रैलियों से वसुंधरा की दूरी और बड़े नेताओं के वसुंधरा सरकार की योजनाओं के जिक्र से परहेज ने और हवा दे दी.
अब चुनाव प्रचार थमने से दो दिन पहले वसुंधरा राजे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक मंच पर नजर आए हैं. पीएम मोदी और पूर्व सीएम वसुंधरा बारां जिले के अंता में आयोजित चुनावी रैली में साथ-साथ मंच पर थे. चुनाव कार्यक्रम के ऐलान के बाद ये पहला मौका था जब वसुंधरा और पीएम मोदी किसी मंच पर साथ नजर आए हों. वसुंधरा ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ भी की. मंच पर पीएम मोदी और वसुंधरा के बीच अच्छी कैमिस्ट्री नजर आई. वसुंधरा के साथ मंच पर उनके बेटे सांसद दुष्यंत भी थे. दुष्यंत ने पीएम मोदी का पगड़ी पहनाकर, श्रीनाथजी की तस्वीर भेंटकर स्वागत किया.
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पीएम मोदी और वसुंधरा की ताजा जुगलबंदी के बाद अब चर्चा ये भी हो रही है कि क्या वसुंधरा सीएम पद की रेस में लौट आई हैं? मुख्यमंत्री पद की रेस में कौन-कौन है, कौन आगे है, बीजेपी सत्ता में आई तो कौन सीएम बनेगा, ये बहस का विषय हो सकता है लेकिन यह भी एक पहलू है कि वसुंधरा राजस्थान में सीएम पद के लिए बीजेपी का सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं. वसुंधरा राजे जाट, राजपूत और गुर्जर का जटिल जातीय समीकरण गढ़ने के साथ ही आधी आबादी में खासी पैठ रखती हैं.
वसुंधरा राजे 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा की करीब 60 सीटों पर सीधा प्रभाव रखती हैं. आंकड़ों के आइने में देखें तो सीटों का ये आंकड़ा 30 फीसदी पहुंचता है. राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने कहा था कि वसुंधरा की उपेक्षा से नुकसान बीजेपी का ही होगा. बीजेपी भी शायद इसे भांप गई और पहले ये खबर आई कि पार्टी ने नेताओं और कार्यकर्ताओं से वसुंधरा के सम्मान में कमी नहीं आने देने के लिए कहा है. अब पीएम मोदी और वसुंधरा के बीच चुनावी रैली के मंच पर जिस तरह की जुगलबंदी नजर आई है, इसे भी इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है.
वसुंधरा को अहमियत देना क्यों था जरूरी?
कांग्रेस ने पीएम मोदी की रैली से पहले अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी किया था. कांग्रेस ने इस घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए राजस्थान सशस्त्र बल में तीन बटालियन बनाने, गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को 10 हजार रुपये सालाना देने के साथ ही चिरंजीवी योजना के तहत हेल्थ इंश्योरेंस की राशि 25 से बढ़ाकर 50 लाख करने की गारंटी का कार्ड चल दिया है. कांग्रेस के घोषणा पत्र के बाद कहा जा रहा है कि बीजेपी के लिए जरूरी हो गया था कि वसुंधरा को पूरी अहमियत, पूरा सम्मान देने का मैसेज दे.
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि महिलाओं को अलग-अलग राज्यों में भले ही बीजेपी का साइलेंट वोटर माना जाता हो, ये वोट बैंक राजस्थान में वसुंधरा का ही रहा है. 2018 के चुनाव में जब बीजेपी की स्थिति खराब बताई जा रही थी, तब भी पार्टी 75 सीटों के करीब पहुंचने में सफल रही तो इससे भी राजस्थान में वसुंधरा का प्रभाव पता चलता है. अब अलग-अलग जाति-वर्ग को अपने पाले में करने के लिए कांग्रेस ने जब लोकलुभावन गारंटियों का कार्ड चल दिया है, बीजेपी के लिए जरूरी हो गया था कि वह अपने तुरुप के इक्के को आगे करे.
चिरंजीवी योजना की काट भामाशाह
गहलोत सरकार की चिरंजीवी योजना को कांग्रेस के नेता गेम चेंजर मान रहे हैं तो वहीं बीजेपी ने इसकी काट के लिए नई रणनीति अपनाई है. बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता इस योजना की आलोचना करने से परहेज कर रहे हैं और जनसंपर्क करते हुए जनता के बीच वसुंधरा सरकार की भामाशाह योजना का बार-बार जिक्र कर रहे हैं.
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भामाशाह स्कीम वसुंधरा सरकार की सबसे लोकप्रिय योजनाओं में से एक थी. साल 2014 में वसुंधरा सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी जिसके तहत महिलाओं को 30 हजार रुपये तक का मेडिकल बीमा, गंभीर बीमारी की स्थिति में तीन लाख तक की सहायता, छात्रों औरा दिव्यांगों के लिए आर्थिक सहायता और विशेष सहायता दी जा रही थी.
बीजेपी ने कहीं देर तो कर दी?
राजस्थान की जनता विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने के लिए अपना विधानसभा सदस्य और अगले पांच साल के लिए अपनी सरकार चुनने को 25 नवंबर के दिन वोटिंग करेगी. चुनाव नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. चुनाव प्रचार थमने से महज दो दिन पहले वसुंधरा राजे और पीएम मोदी के एक साथ एक मंच पर आने को बीजेपी की 'ऑल इज वेल' का संदेश देने की कोशिश माना जा रहा है. लेकिन सवाल ये भी उठ रहा है कि बीजेपी ने कहीं देर तो नहीं कर दी?