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21 कांग्रेस तो 60 सीट BJP की 'फिक्स', 119 सीटों से तय होता है राजस्थान में किसकी बनेगी सरकार!

राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी-कांग्रेस सूबे की सभी 200 सीटों पर चुनावी समीकरण बिठाने में लगे हुए हैं. राजनीति के इतिहास पर नजर डालें तो कांग्रेस की 21 और बीजेपी की 60 सीटें फिक्स हैं. मतलब बची हुई 119 सीटों पर सूबे में हार-जीत तय होती है.

राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं
हिमांशु शर्मा
  • अलवर,
  • 07 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 6:38 PM IST

राजस्थान में चुनावी घमासान के बीच भाजपा, कांग्रेस और बसपा सहित सभी पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं, लेकिन राजस्थान की सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने के लिए भाजपा और कांग्रेस की असल खींचतान 119 सीटों पर रहती है. प्रदेश में 60 सीट ऐसी हैं जिन पर हमेशा भाजपा का कब्जा रहता है तो 21 सीटों पर कांग्रेस जीतती आई है. लेकिन प्रदेश की 119 सीटें ऐसी हैं जिनको जीतने के लिए दोनों ही पार्टियां राजनीति का हर दांव-पेच खेलती हैं. इन सीटों पर जीतने हासिल करने के बाद ही पार्टी सत्ता में पहुंचती है. 

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भाजपा का इन सीट पर रहता है कब्जा

अगर विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो भाजपा को 5 बार पाली में जीत मिली है. जबकि 4 बार उदयपुर, लाडपुरा, रामगंज मंडी, सोजत, झालरापाटन, खानपुर, भीलवाड़ा, ब्यावर, फुलेरा, सांगानेर, रेवदर, राजसमंद, नागौर में जीत दर्ज की. साथ ही कोटा साउथ, बूंदी, सूरसागर, भीनमाल, अजमेर नॉर्थ, अजमेर साउथ, मालवीय नगर, रतनगढ़, विद्याधर नगर, बीकानेर ईस्ट, सिवाना, अलवर सिटी, आसींद में 3 बार बीजेपी ने जीत दर्ज कराई. जबकि 33 सीटों पर 2 बार भाजपा को जीत मिली है.

कांग्रेस को इन पर मिलती रही है जीत

इसी तरह कांग्रेस की बात करें तो 5 बार जोधपुर की सरदारपुरा सीट से कांग्रेस को जीत मिली. जबकि बाड़ी सीट पर 3 बार कांग्रेस जीती. 3 बार झुंझुनू में बागीदौरा, सपोटरा, बाड़मेर, गुढ़ामालानी, फतेहपुर में कांग्रेस ने जीत दर्ज कराई. साथ ही डीग कुमेर, सांचौर, बड़ी सादड़ी, चित्तौड़गढ़, कोटपूतली, सरदारशहर सहित 13 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है.

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प्रदेश की प्रमुख सीटों पर पार्टियों का परफॉर्मेंस

उदयपुर में 25 साल से कांग्रेस का खाता नहीं खुला है. 51 साल में 11 चुनाव हुए लेकिन कांग्रेस सिर्फ 1985 और 1998 में जीती थी. इसी तरह फतेहपुर में 1993 के चुनाव में आखिरी बार भंवरलाल ने जीत हासिल की. उसके बाद बीजेपी कभी नहीं जीत पाई. बस्ती में कांग्रेस 1985 में अंतिम बार जीती थी, 38 साल में कांग्रेस को कभी सफलता नहीं मिली. पिछले तीन चुनाव लगातार निर्दलीय ने बस्ती सीट से जीते हैं. कोटपूतली में 1998 के चुनाव में बीजेपी के रघुवीर सिंह जीते थे, उसके बाद भाजपा की इस सीट पर कभी वापसी नहीं हुई. तो प्रदेश की सांगानेर सीट से 1998 के चुनाव में कांग्रेस से आखरी बार इंदिरा मायाराम जीती थीं, उसके बाद कांग्रेस यहां कभी नहीं जीत पाई.

इन सीटों पर कौन भारी?

रतनगढ़ सीट में 1998 में कांग्रेस के जयदेव प्रसाद इंदौरिया अंतिम बार जीते थे. फिर कांग्रेस की सीट पर वापसी नहीं हुई. सिवान में 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गोपाराम मेघवाल जीते थे, उसके बाद कांग्रेस का सीट पर खाता नहीं खुला. इस तरह से अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट जातीय समीकरण के आधार पर रहती है. यहां हिंदू-मुस्लिम का चुनाव रहता है.

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