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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर और आसपास के गांवों की सात शराब दुकानों में पिछले डेढ़ माह में टारगेट (बिक्री के लिए मिनिमम गारंटी) से 50 प्रतिशत ज्यादा शराब बेची गई. आबकारी अमले ने जब एमजी की जांच की, तब ज्यादा शराब बिकने का खुलासा हुआ.
बढ़ी हुई शराब बिक्री को चुनावी माहौल से जोड़कर देखा जा रहा है. आबकारी अमले ने इन सातों दुकानों के खिलाफ केस बना लिया है. सभी को नोटिस जारी किया गया है कि ज्यादा शराब कैसे बेची और इसकी ड्यूटी (शुल्क) चुकाई गई है या नहीं. राजनीतिक संगठन पिछले कुछ दिन से लगातार एक-दूसरे के खिलाफ शराब बांटने की शिकायत कर रहे हैं. ये शिकायतें चुनाव आयोग से की जा रही हैं.
जिला सहायक आबकारी उपायुक्त आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि सभी दुकानों के संचालकों को 'कारण बताओ नोटिस' जारी किया गया है. इन दुकानों के साथ-साथ शहर की सभी दुकानों की जांच की जा रही है, ताकि पता चले कि किन दुकानों से टारगेट से कहीं ज्यादा शराब बेची गई है. अगर स्टॉक गड़बड़ मिलता है तो आबकारी अधिनियम के तहत तगड़ा जुर्माना या लाइसेंस पर कार्रवाई की जाएगी.
आयोग ने प्रशासन को इन शिकायतों की जांच के निर्देश दिए हैं. इस आधार पर जिला आबकारी अफसरों ने शराब दुकानों की बिक्री की जांच-पड़ताल शुरू की, तब पता चला कि राजधानी में पचपेड़ी नाका, मालवीय रोड, संतोषी नगर, डूंडा, सिलतरा, गुल्लू और माना कैंप की शराब दुकानों ने मिनिमम गारंटी (एमजी) से 50 फीसदी ज्यादा शराब बेच दी है. इसीलिए इन पर कार्रवाई शुरू की गई है.
राज्य में सभी शराब दुकानों के लिए निश्चित मात्रा तय है कि उन्हें एक माह में वेयरहाउस से कितनी मात्रा उठानी है और बेचनी है. इस मात्रा को मिनिमम गारंटी (एमजी) कहा जाता है. जो दुकानदार इससे कम शराब बेचता है, उस पर जुर्माना कर दिया जाता है. आबकारी अमला यह भी पता लगा रहा है कि एमजी से जितनी ज्यादा शराब बेची गई है, उसकी ड्यूटी चुकाई गई है या नहीं.