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बिहार उपचुनाव में नीतीश कुमार को झटका, सांसदों के रिश्तेदारों को जनता ने नकारा

जेडीयू को ये झटका ऐसे समय में लगा है जब विपक्ष बेहद कमजोर है. दूसरी तरफ आरजेडी ने तीन सीटें जीतकर अपना कद बढ़ाया है तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भी किशनगंज की सीट जीत कर बिहार में अपना खाता खोल लिया है.

नीतीश कुमार नीतीश कुमार
सुजीत झा
  • पटना,
  • 24 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 5:33 PM IST

  • बिहार की जनता ने जेडीयू उम्मीदवारों को नकारा
  • आरजेडी ने उपचुनाव में मारी बाजी

बिहार में उपचुनाव के नतीजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बेहद निराश करने वाले हैं. विधानसभा की पांच सीटों के लिए हुए उपचुनावों में चार पर जेडीयू का कब्जा था. ये वो सीटें थीं, जहां के विधायक लोकसभा 2019 का चुनाव जीतकर सांसद बने थे, लेकिन उपचुनाव में पार्टी को भारी झटका लगा है. मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने चुने गए सांसदों को ही अपना उम्मीदवार तय करने का मौका दिया था, जिसकी वजह से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा.

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जेडीयू को ये झटका ऐसे समय में लगा है, जब विपक्ष बेहद कमजोर है. दूसरी तरफ आरजेडी ने तीन सीटें जीतकर अपना कद बढ़ाया है तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भी किशनगंज की सीट जीतकर बिहार में अपना खाता खोल लिया है.

एनडीए में संतोष की बात ये है कि एलजेपी ने समस्तीपुर लोकसभा उपचुनाव में फिर जीत हासिल कर ली है. एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान के निधन के बाद ये सीट खाली हुई थी. एलजेपी ने इस सीट से प्रिंस राज को चुनाव मैदान में उतारा था. प्रिंस राज ने अच्छे अंतर से कांग्रेस के अशोक राम को अपने पिता की तरह शिकस्त दी है. जाहिर है प्रिंस राज को सहानुभूति वोट का फायदा भी मिला है.

जेडीयू से क्यों नाराज हुई जनता?

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सिवान की दरौंदा विधानसभा सीट सीएम नीतीश के लिए प्रतिष्ठा की सीट बनी हुई थी. चूंकि यहां से जेडीयू ने सांसद कविता सिंह के पति अजय सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था. पार्टी ने अजय सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था, जिन्हें पहले पार्टी ने टिकट नहीं दिया था, लेकिन बाद में कविता सिंह से शादी के बाद अजय सिंह को पार्टी ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया था.

अजय सिंह के जेडीयू में शामिल होने का पार्टी स्थानीय स्तर पर भारी विरोध हुआ था. सहयोगी पार्टी बीजेपी के नेता खुलेआम जेडीयू कैंडिडेट का विरोध कर रहे थे. बताया जा रहा है कि बीजेपी के जिलास्तर के नेताओं के विरोध पर वरिष्ठ नेताओं का मौन पार्टी की सहमति दिखा रहा था. यहां से बीजेपी के बागी उम्मीदवार कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जेडीयू के अजय सिंह को पटखनी दे दी.

चुनावों में जनता ने जिन विधायकों को रिकॉर्ड मतों से जिताकर संसद भेजा, उपचुनाव में उन्हीं के रिश्तेदारों को नकार दिया.उपचुनाव में वोटरों ने जेडीयू सांसद के पति और भाई को पूरी तरह से नकार दिया है. दरौंदा सीट से जेडीयू ने सिवान की सांसद कविता सिंह के पति अजय सिंह को मैदान में उतारा था. वहीं बेलहर सीट से जेडीयू सांसद गिरधारी यादव के भाई लालधारी यादव को उम्मीदवार बनाया गया था. दोनों ही चुनाव हार गए.

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