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मोदी सरकार 2.0: एम. जे. अकबर के बाद एस. जयशंकर होंगे विदेश राज्यमंत्री!

1977 बैच के विदेश सेवा के अधिकारी सुब्रमण्यम जयशंकर मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सन 2015 से 2018 तक विदेश मंत्रालय में सचिव रहे. जयशंकर कीविदेश मामलों में अच्छी दखल मानी जाती है. वह अमेरिका, चीन और चेक गणराज्य में भारत के एम्बेस्डर और सिंगापुर में हाई कमिश्नर के तौर पर कार्य कर चुके हैं.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2019,
  • अपडेटेड 6:32 PM IST

मोदी सरकार पार्ट टू के शपथ ग्रहण में अब महज कुछ ही पल का समय शेष बचा है. मंत्रिमंडल की तस्वीर भी धीरे-धीरे साफ होने लगी है. सूत्रों के मुताबिक पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर को भी मंत्री बनाया जाएगा. उन्हें विदेश राज्यमंत्री बनाए जाने की संभावना जताई गई है.

1977 बैच के विदेश सेवा के अधिकारी सुब्रमण्यम जयशंकर मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सन 2015 से 2018 तक विदेश मंत्रालय में सचिव रहे. जयशंकर की विदेश मामलों में अच्छी दखल मानी जाती है. वह अमेरिका, चीन और चेक गणराज्य में भारत के एम्बेस्डर और सिंगापुर में हाई कमिश्नर के तौर पर कार्य कर चुके हैं. उन्हें चीन मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है. विदेश सचिव के रुप में कार्यकाल पूरा होने के बाद जयशंकर को टाटा समूह के वैश्विक कारपोरेट मामलों का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

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मोदी के विदेश दौरों की सफलता का दिया जाता है श्रेय

मोदी सरकार में अहम ओहदे पर रहे जयशंकर को पीएम मोदी के विदेशी दौरों की सफलता का श्रेय भी दिया जाता है. कूटनीतिक मामलों में उनका अच्छा दखल माना जाता है.

जेएनयू से की है पढ़ाई

जयशंकर हाल के कुछ वर्षों में विवादों में रहे जेएनयू के छात्र रहे हैं. अगर जयशंकर को मोदी मंत्रिमंडल में स्थान मिलता है, तो वह जेएनयू के छात्र रहे दूसरे मंत्री होंगे. निवर्तमान रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी जेएनयू की छात्र रही हैं.

चीन मामलों के विशेषज्ञ

जयशंकर को चीनी मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है. वह चीन में राजदूत के तौर पर कार्य करने का भी अनुभव रखते हैं. ऐसे में उनके सामने पड़ोसी चीन के साथ संबंधों को मजबूती देने की चुनौती भी होगी.

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पिछली बार एमजे अकबर थे विदेश राज्यमंत्री

पीएम मोदी ने सन 2014 में पत्रकार एमजे अकबर को विदेश राज्यमंत्री बनाया था. महिला पत्रकारों द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरने के बाद अकबर को चौतरफा दबाव में इस्तीफा देना पड़ा था.

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