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यूनिफॉर्म सिविल कोड पर गुजरात सरकार का बड़ा फैसला, कमेटी गठित करने को दी मंजूरी

इससे पहले गुजरात सरकार के गृहमंत्री ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. इसके लिए एक कमेटी का गठन करने की योजना है. जानकारी के मुताबिक इस मामले में वह दोपहर तीन बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे.

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल.
गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 29 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 8:31 PM IST

गुजरात सरकार ने चुनाव से पहले बड़ा दांव खेला है. शनिवार को गुजरात सरकार की कैबिनेट बैठक में यूनिफार्म सिविल कोर्ड लागू करने के लिए एक कमेटी बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है. कैबिनेट ने कमेटी के गठन की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को दी है. ये कमेटी समान नागरिक संहिता की संभावनाएं तलाशेगी. इसके लिए विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन किया जाएगा. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज इस कमेटी की अध्यक्षता करेंगे.

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इससे पहले गुजरात सरकार के गृहमंत्री ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. इसके लिए एक कमेटी का गठन करने की योजना है. जानकारी के मुताबिक इस मामले में वह दोपहर तीन बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे. बताया जा रहा है कि आज कैबिनेट की बैठक में उत्तराखंड की तर्ज पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा. 

गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने ट्वीट किया और बताया- राज्य में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता की जांच करने और इस कोड के लिए एक मसौदा तैयार करने के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट / हाई कोर्ट न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति बनाने के लिए राज्य कैबिनेट की बैठक में आज एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.

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उत्तराखंड में चुनाव बाद लागू किया गया UCC

सूत्रों की मानें तो गुजरात में 1 या 2 नवंबर को चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है, जिसके बाद राज्य में आचार संहिता लागू हो जाएगी. चुनाव से पहले राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड का बड़ा दांव काफी महत्वपूर्ण हो सकता है. कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में तय किया जाएगा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना है या नहीं. इससे पहले उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड की घोषणा की गई थी. सरकार बनने के बाद इसे लागू भी किया गया था.

बीजेपी के एजेंडे में शामिल है UCC 

समान नागरिक संहिता एक ऐसा मुद्दा है, जो हमेशा से बीजेपी के एजेंडे में रहा है. 1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता का मुद्दा शामिल किया था. 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी बीजेपी ने समान नागरिक संहिता को शामिल किया था. बीजेपी का मानना है कि जब तक समान नागरिक संहिता को अपनाया नहीं जाता, तब तक लैंगिक समानता नहीं आ सकती. 

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड 

कानून की नजर में सब एक समान होते हैं. जाति हो या धर्म. आप पुरुष हों या महिला, कानून सबके लिए बराबर है. शादी, तलाक, एडॉप्शन, उत्तराधिकार, विरासत. लेकिन सबसे बढ़कर लैंगिक समानता वो कारण है, जिस वजह से यूनिफार्म सिविल कोड की आवश्यकता महसूस की जाती रही है. यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम. इसका अर्थ है- भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों ना हो. समान नागरिक संहिता जिस राज्य में लागू की जाएगी- वहां, शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा.

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