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जानिए करहल में लालू के दामाद के खिलाफ लड़ रहे 'फूफा' अनुजेश यादव का फैमिली बैकग्राउंड, बीजेपी में कैसे आ गए मुलायम के रिश्तेदार

करहल सीट पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद उपचुनाव हो रहे हैं. अखिलेश अब कन्नौज से सांसद हैं. उन्होंने यह सीट खाली की है और अपने भतीजे तेजप्रताप को यहां से उम्मीदवार घोषित किया है. करहल में बीजेपी ने दूसरी बार यादव चेहरे पर दांव लगाया है.

मैनपुरी जिले की करहल सीट से बीजेपी उम्मीदवार अनुजेश यादव. (फाइल फोटो) मैनपुरी जिले की करहल सीट से बीजेपी उम्मीदवार अनुजेश यादव. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST

उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव में मैनपुरी जिले की करहल सीट चर्चा में है. यहां बीजेपी के दांव से चुनावी मुकाबला रोचक हो गया है. इस बार करहल में सैफई परिवार और उनके दामाद के बीच सीधे जंग होगी. सपा ने पार्टी संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव के भाई रतन सिंह के पोते और रणवीर सिंह यादव के बेटे तेजप्रताप यादव को टिकट दिया है. जबकि बीजेपी ने मुलायम के बड़े भाई अभय राम यादव के दामाद अनुजेश यादव पर दांव लगाया है. साफ है कि करहल का मुकाबला ना सिर्फ रोचक होने जा रहा है, बल्कि रिश्तों के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई भी देखने को मिल सकती है.

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करहल सीट पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद उपचुनाव हो रहे हैं. अखिलेश अब कन्नौज से सांसद हैं. उन्होंने यह सीट खाली की है और अपने भतीजे तेजप्रताप को यहां से उम्मीदवार घोषित किया है. करहल में बीजेपी ने दूसरी बार यादव चेहरे पर दांव लगाया है. इससे पहले बीजेपी ने 2002 में सोबरन सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया था और उन्होंने जीत हासिल की थी. हालांकि, बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया था. 

बीजेपी उम्मीदवार अनुजेश यादव, सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव के पति हैं. जबकि सपा उम्मीदवार तेजप्रताप रिश्ते में अनुजेश के भतीजे हैं. इस लिहाज से करहल में फूफा और भतीजे के बीच जंग देखने को मिलेगी. 

अनुजेश की मां रहीं सपा से दो बार विधायक

अनुजेश, फिरोजाबाद जिले के भरौल गांव के रहने वाले हैं. ये गांव मैनपुरी बॉर्डर से सटा है और यहां राजनीति में सक्रिय रहते हैं. जबकि तेजप्रताप यादव सैफई परिवार के सदस्य हैं. अनुजेश की पत्नी और धर्मेंद्र की बहन संध्या यादव की एक पहचान यह भी है कि यादव परिवार की वे पहली बेटी हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा था. संध्या साल 2015 से 2020 तक मैनपुरी से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. इसी दरम्यान अनुजेश फिरोजाबाद में जिला पंचायत सदस्य रहे. अनुजेश के राजनीतिक करियर में एक और बात यह है कि उनकी मां उर्मिला यादव साल 1993 और 1997 में मैनपुरी के घिरोर विधानसभा क्षेत्र से दो बार सपा विधायक रही हैं. अनुजेश के परिवार की इस इलाके में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. 

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मैनपुरी में सैफई परिवार और रिश्तेदार के बीच मुकाबला

करहल इलाके को सपा का गढ़ माना जाता है और 1993 से यहां पार्टी का दबदबा है. 2022 के विधानसभा चुनाव में खुद अखिलेश यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. हालांकि, 2024 में कन्नौज से लोकसभा में जीत के बाद अखिलेश ने यह सीट खाली कर दी. इस विधानसभा क्षेत्र में यादव वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा करीब सवा लाख है. एक फैक्टर भी है कि मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में एंट्री से पहले करहल में जैन इंटर कॉलेज में शिक्षक के रूप में सेवाएं दी हैं. जिसके कारण यहां के लोगों का सैफई परिवार से नजदीकी जुड़ाव भी रहा है. यादव परिवार के पैतृक गांव सैफई से करहल सिर्फ चार किमी दूर है और ये इलाका अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र का भी हिस्सा है.

मुलायम और लालू के दामाद मैदान में

अनुजेश को मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव के दामाद के रूप में पहचाना जाता है. तेजप्रताप यादव सांसद भी रहे हैं और आरजेडी अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं. उनकी शादी लालू यादव की सबसे छोटी बेटी राजलक्ष्मी यादव से हुई है. यानी करहल में दो दिग्गज नेताओं के दामाद के बीच लड़ाई होने जा रही है.

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अनुजेश के परिवार ने क्यों छोड़ी थी सपा?

अनुजेश के परिवार का सैफई की यादव फैमिली से गहरा रिश्ता रहा है. अनुजेश की पत्नी संध्या यादव साल 2015 में मैनपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं थीं. दो साल बाद 2017 में सपा का एक स्थानीय गुट संध्या यादव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया. संकट के वक्त संध्या को बीजेपी का सहयोग मिला और उन्होंने अपनी कुर्सी बचा ली थी. यहीं से सपा के साथ रिश्तों में खटास आ गई और बाद में पार्टी ने संध्या और अनुजेश को बाहर कर दिया था.

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अनुजेश बीजेपी में शामिल हो गए. बाद में उनकी पत्नी ने भी बीजेपी जॉइन कर ली थी. साल 2021 में पंचायत चुनाव हुए तो संध्या को बीजेपी ने जिला पंचायत सदस्य के लिए टिकट दिया. हालांकि, वे यह चुनाव हार गईं. सैफई परिवार से रिश्ते के बीच प्रतिद्वंद्विता तब और बढ़ गई, जब अनुजेश ने सपा छोड़ी और बीजेपी में शामिल हो गए. 24 मार्च, 2019 को धर्मेंद्र यादव के नाम से सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल हुआ था. इस पत्र में लिखा था, ‘जो कोई भी बीजेपी में शामिल होता है, वो मेरा रिश्तेदार नहीं हो सकता.’ धर्मेंद्र, सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं.

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इससे पहले सपा ने कई बार अनुजेश की मां उर्मिला को विधानसभा चुनाव लड़वाया और उन्होंने दो बार जीत हासिल की. हालांकि, 1997 के बाद वो चुनाव नहीं जीत सकीं. साल 2011 में वो सपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गई थीं. 2012 में उर्मिला ने कांग्रेस के टिकट पर के विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं. बाद में वे दोबारा सपा में शामिल हो गईं. 

सपा के किले में सेंध लगाने के लिए बीजेपी का बड़ा दांव

करहल इलाके को यादव बहुल माना जाता है. यही वजह है कि ये इलाका सपा के लिए एक मजबूत किले के रूप में काम करता है. 2022 के चुनाव में बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल को अखिलेश यादव के खिलाफ मैदान में उतारा, लेकिन बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में करहल में सपा को घेरने के लिए बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है और यादव परिवार से ही नाता रखने वाले सदस्य को चुनाव में खड़ा कर दिया है. 

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